लम्बे इंतज़ार के बाद आख़िरकार इलाहबाद हाई कोर्ट ने आरुषि-हेमराज हत्याकांड में अपना फ़ैसला सुनाया. कोर्ट ने 2013 में दिए गए सीबीआई कोर्ट के फ़ैसले को निरस्त करते हुए तलवार दम्पति को सभी आरोपों से बरी कर दिया. बेशक इस हत्याकांड को ले कर कोर्ट ने अपना फ़ैसला सुना दिया हो, पर आज भी ये हत्याकांड एक अनसुलझी पहेली ही बना हुआ है. आज हम आपके लिए इस केस से जुड़ी कुछ ऐसी ही घटनायें ले कर आये हैं, जिसने समय-समय में इस केस को और उलझाने का काम किया.
आरुषि तलवार
15-16 मई 2008 की रात नोएडा के नौवीं क्लास में पढ़ने वाली आरुषि तलवार अपने घर में मृत पाई गई थी. पुलिस को आरुषि के सिर पर चोट के और जीभ पर चोट के निशान मिले. 24 मई को आरुषि अपना 15वां जन्मदिन मनाने वाली थी, जिसे लेकर वो काफ़ी उत्सुक थी. आरुषि पढ़ने में भी तेज़ थी और लगातार तीन सालों से 85% से ज़्यादा नंबर ले कर आ रही थी, जिसकी वजह से उसे स्कूल की तरफ़ से ‘Blue Blazer’ दिया गया था.
आम बच्चों की तरह आरुषि भी सोशल मीडिया पर काफ़ी एक्टिव थी. Orkut पर उसका लास्ट स्टेटस ‘Loving Life’ पढ़ा गया था. उसके जन्मदिन को लेकर तलवार दम्पति भी सेक्टर 18 की मार्केट में दोस्तों को पार्टी देने वाले थे.

हेमराज
शुरुआती जांच में पुलिस तलवार दम्पति के नौकर हेमराज को आरोपी मान रही थी, क्योंकि आरुषि के मर्डर वाले दिन से ही हेमराज गायब चल रहा था. 16 मई 2008 को हेमराज की लाश तलवार दम्पति के घर की छत से मिला. इसके बाद पुलिस ने इस केस को एक नया मोड़ दिया. सीबीआई ने अपनी जांच में कहा कि राजेश तलवार ने आरुषि और हेमराज को आपत्तिजनक हालत में देखा, जिसके बाद उसने धारदार हथियार से दोनों की हत्या कर दी. हेमराज नेपाल का रहने वाला था और तलवार के घर काम किया करता था.
राजेश और नुपुर तलवार
सीबीआई की विशेष अदालत ने तलवार दम्पति को इस हत्याकांड का आरोपी बनाया. इसके पीछे दलील थी कि हत्याकांड के समय उनके अलावा कोई घर में मौजूद नहीं था. राजेश तलवार, मौलाना आज़ाद मेडिकल कॉलेज से पास होने के बाद लखनऊ के King George’s Medical College से डेंटल में पोस्ट ग्रेजुएशन कर चुके थे. राजेश Fortis Hospital के डेंटल डिपार्टमेंट में हेड के पद पर थे और दिल्ली के हौज़ खास और सेक्टर 27 के पार्स्वनाथ मॉल में अपनी दोस्त डॉ. अनीता दुरानी के साथ मिलकर क्लिनिक चलाते थे.
नुपुर भी Fortis Hospital में डेंटिस्ट का काम करती थीं और पति के साथ मिल कर “Your Guide to Teeth Care” नाम की एक किताब भी लिख चुकी थीं. उन्होंने अपने किताब के कवर पर भी आरुषि की तस्वीर लगाई हुई थी. इसके अलावा वो दिल्ली के खान मार्केट में अपना एक क्लिनिक भी चलाती थीं, जिसकी गिनती दिल्ली के हाई-प्रोफाइल डेंटल क्लीनिक में होती थी.
अधिकारियों ने अपनी जांच में कहा कि तलवार दम्पति ने आरुषि को उनके नौकर के साथ आपत्तिजनक हालत में देखा, जिसके बाद वो अपना गुस्सा काबू नहीं रख पाए. जांचकर्ताओं ने इस हत्याकांड को ऑनर किलिंग करार दिया. सीबीआई जज श्याम लाल ने भी इस हत्याकांड में तलवार दम्पति को 2013 में दोषी घोषित किया.

कृष्णा ठाडारै, राज कुमार और विजय मंडल
कृष्णा, राजेश के क्लिनिक में कम्पाउण्डर था, जबकि राज कुमार, दुरानी के घर में नौकर था. वहीं विजय मंडल भी घर के छोटे-मोटे कामों में तलवार दम्पति की मदद किया करता था.
इन तीनों को भी शुरुआत में सीबीआई ने आरोपी माना था. केस से जुड़े सीबीआई के जॉइंट डायरेक्टर अरुण कुमार ने यहां तक दावा किया था कि इन तीनों के ख़िलाफ़ उनके पास साइंटिफिक एविडेंस हैं. इन तीनों का एजेंसी ने लाई-डिटेक्शन टेस्ट भी करवाया था. हालांकि सीबीआई ने अपनी क्लोज़र रिपोर्ट में इन तीनों का नाम बाहर निकल दिया था.
डॉ. अनीता दुरानी
पुलिस ने अपनी जांच में डॉ. अनीता दुरानी का भी नाम लिया. अनीता को ले कर उस समय चर्चा उठी कि राजेश और उनके बीच प्रेम प्रसंग है, जिसके बारे में आरुषि को मालूम चल गया था. राजेश और अनीता की कॉल रिकॉर्ड तक की गई, पर पुलिस के हाथ कुछ नहीं लगा.
उत्तर प्रदेश पुलिस
इस केस में नोएडा पुलिस के बयान में बार-बार बदलाव देखने को मिला, पर अपने किसी भी बयान का साक्ष्य प्रस्तुत करने में नोएडा पुलिस नाकाम रही. आख़िरकार यही नतीजा निकाला कि डॉ. राजेश तलवार इस केस के मुख्य आरोपी हैं. इस केस की जांच सीबीआई के हाथों में सौंपी गई, जहां सीबीआई के IG गुरदर्शन सिंह प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान ही आरुषि का नाम गलत ले बैठे और उसे श्रुति कह बैठे.

AGL Kaul
आखिर में इस केस के जांच की कमान AGL Kaul के हाथों सौंपी गई, जो सीबीआई के सबसे अनुभवी अधिकारी माने जाते हैं. कौल ही वो अधिकारी थे, जिन्होंने निठारी हत्याकांड, बडौन मर्डर, पंजाब के मुख्यमंत्री बेअंत सिंह और आरटीआई कार्यकर्ता शेहला मसूद के केस के सच को उजागर किया था.
2015 में आई किताब ‘आरुषि’ में अविरूक सेन ने इस बात का ख़ुलासा हुआ था कि इस मर्डर केस की जांच में कई लूपहोल थे, जिन्हें कौल सुलझाने के काफ़ी करीब पहुंच गए थे. कौल 1983 में सीबीआई में बतौर सब-इंस्पेक्टर आये थे, पर 2014 में दिल की धड़कन की वजह से उनकी मौत हो गई थी.

जज श्याम लाल
सीबीआई के स्पेशल जज श्याम लाल ने भी इस मामले में अभियुक्त के वकील की दलील को सुनने से इंकार कर दिया था. उन्होंने बिना कोई दलील सुने ही तलवार दम्पति को आरोपी मान लिया और उन्हें उम्र कैद की सज़ा सुना दी. लाल ने 26 सीबीआई द्वारा पेश किये गए 26 एविडेंस के आधार पर अपना फ़ैसला सुनाते हुए कहा कि ‘ये इतिहास में इंसानियत की हत्या है, जहां एक मां-बाप ही अपनी बेटी के कातिल बन बैठे.’
इस केस से जुड़े लोग जितने संदेहस्पद रहे हैं, उतनी ही इससे जुड़ी कार्यवाही भी संदेह के घेरे में रही है. इस केस की जांच में जुटी हर टीम के बयान समय-समय पर बयान बदलती हुई दिखाई दी.

- पहली सीबीआई इंवेस्टिगेटिंग टीम को जॉइंट डायरेक्टर अरुण कुमार लीड कर रहे थे, जो उत्तर प्रदेश कैडर के आईपीएस ऑफ़िसर थे. इन्होंने अपनी जांच को नोएडा पुलिस की जांच के बिल्कुल विपरीत बताया.
- सीबीआई के केंद्र में हेमराज के तीनों नेपाली दोस्त कृष्णा, राज और विजय थे, जिनके बारे में सीबीआई ने कहा कि ये आरुषि के साथ ज़बरदस्ती करने की कोशिश कर रहे थे. उनका विरोध करने पर उन्होंने आरुषि और गवाह हेमराज का कत्ल कर दिया.
- इस बाबत इन्हें गिरफ़्तार भी किया गया, पर घटना स्थल पर मिली किसी भी चीज़ से इनके DNA नहीं मिले. इसके बाद आई सीबीआई टीम ने इस थ्योरी को पूरी तरह से नकार दिया. उनक कहना था कि ये जांच तलवार दम्पति को बचाने के लिए मात्र एक दिखावा भर है.
घर के दरवाज़े को ले कर बरकार रहस्य
16 मई 2016 की सुबह तलवार दम्पति की नौकरानी भारती मंडल काम करने के लिए पहुंची, तब आरुषि की मौत का खुलासा हुआ. मंडल के मुताबिक, जब उसने अंदर हाथ डाल कर बाहर के ग्रिल को खोलने की कोशिश की, तो वो नहीं खुला. इसके बाद नूपुर ने लकड़ी के दरवाज़े को खोलने को कहा. इसके साथ ही नूपुर ने कहा शायद हेमराज दूध लेने गया है और उसने ही ग्रिल को अंदर से बंद कर दिया है.
इसके बाद नूपुर अंदर गई और और चाबी फेंकी, जिसके बाद उसने दरवाज़ा खोला. भारती जब अंदर गई, तो उसने देखा कि तलवार दम्पति आरुषि के शव के पास बैठ कर रो रहे हैं. भारती ने आगे कहा कि हेमराज ये सब करके गया है. सीबीआई ने अपनी जांच में कहा कि गरिल्ले बाहर से बंद था ही नहीं. नूपुर खुद इसे बंद करके पिछले दरवाज़े से अंदर आई और ये सब कहानी रची.
सीबीआई की स्पेशल इन्वेस्टीगेशन टीम और गोल्फ़ स्टिक
ये वही टीम थी, जिसकी कमान AGL कौल के हाथों में थी. इन्होंने उस पुरानी जांच का विरोध किया, जिसमें कहा गया था कि हत्या में खुकरी का इस्तेमाल हुआ था. उनका कहना था कि हत्या में राजेश की गोल्फ़ स्टिक का इस्तेमाल किया गया है. उनकी जांच के मुताबिक, राजेश के पास 12 स्टिक का एक सेट था, जिसमें से दो स्टिक दूसरों की तुलना में ज़्यादा साफ़ दिखाई दे रही थी. अपनी जांच में कौल ने बताया कि गोल्फ़ स्टिक का इस्तेमाल करके ही राजेश ने हेमराज की हत्या की और आरुषि पर वार किया.
आरुषि के गुप्तांग के फैलने की थ्योरी.
आरुषि का पोस्टमॉर्टेम कर चुके डॉ. सुनील कुमार ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि आरुषि के सेक्सुअल अंग फैले हुए थे. इसके साथ ही उन्होंने रिपोर्ट में कहा कि आरुषि के गुप्तांग में वीर्य के होने की संभावना थी, पर उसे साफ़ करने की कोशिश की गई थी.
तकिया और Typographical मिस्टेक.
इस केस में नया मोड़ तब आया, जब हेमराज के कमरे से तकिया मिला. हालांकि इसे सीबीआई ने अपनी Typographical गलती बताया और कहा कि ये तकिया कृष्णा के घर से बरामद किया गया था.