जल और जंगल के सहारे ही मानव सभ्यता का विकास हुआ. लेकिन आज प्रकृति के ये दोनों नायाब तोहफ़े ही ख़त्म होने की कगार पहुंच चुके हैं. जल संकट से तो पहले पूरा देश जूझ रहा है, अब हमारा वन क्षेत्र भी लगातार घटता नज़र आ रहा है.

पर्यावरण मंत्रालय द्वारा हाल ही में संसद में पेश किए गए आंकड़ों के अनुसार, देश के 24.49 फ़ीसदी हिस्से में ही पेड़ बाकी बचे हैं. ये हमारे लिए किसी ख़तरे की घंटी से कम नहीं. रिपोर्ट के अनुसार, हरियाणा के सबसे कम केवल 6.79 प्रतिशत भू-भाग पर ही वन बचे हैं. 

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इसके बाद पंजाब और राजस्थान का नंबर है, जहां के क्रमशः 6.87 और 7.26 भौगोलिक क्षेत्र पर ही जंगल बचे हैं. वहीं 97 फ़ीसदी वन क्षेत्र के साथ लक्ष्यद्वीप देश का सबसे अधिक हरा-भरा क्षेत्र है. जबकि इसका कुल क्षेत्रफल ही 30 Square Kilometre(sqkm) है. 

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6 सबसे अधिक जंगलों वाले राज्यों में से 4 पूर्वोत्तर से ही हैं. मणिपुर, अरुणाचल प्रदेश, मिज़ोरम और मेघालय. गोवा और केरल ऐसे दो राज्य हैं, जहां का 50 प्रतिशत भू-भाग पर वन मौजूद हैं. क्षेत्रफल के हिसाब से देखें तो मध्यप्रदेश का सबसे अधिक इलाका वनाछादित है. इसका 85,487sqkm क्षेत्र हरा भरा है. ये सभी आंकड़े वन विभाग ने India State of Forest Report (ISFR) की एक रिपोर्ट में प्रकाशित किए हैं.

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कभी हमारे देश के 50 फ़ीसदी हिस्से पर वन मौजूद थे. लेकिन तेज़ी से विकास के लिए हो रही पेड़ों की कटाई के चलते वनों की संख्या घटती ही जा रही है. इसे हमें ख़तरे की घंटी के तौर पर लेते हुए वनों को बचाने का प्रयास करना चाहिए. इसके लिए हम यूपी सरकार से प्रेरणा ले सकते हैं, जिन्होंने हाल ही में 22 करोड़ पौधे लगाए हैं.

अगर हमें स्वच्छ वायु और ग्लोबल वार्मिंग से लड़ना है, तो पूरे देश इसी प्रकार से बड़े स्तर पर पौधरोपण करना होगा.