जम्मू-कश्मीर से आर्टिकल 370 हटाए जाने के बाद से ही वहां इंटरनेट और मोबाइल सेवाएं बंद कर दी गई थीं. इसके चलते देश के दूसरे हिस्सों में रहने वाले कश्मीरियों का अपने परिवार वालों से संपर्क कर पाना मुश्किल हो गया था. पुणे में स्किल इंडिया के तहत नर्सिंग का कोर्स करने आईं 32 कश्मीरी लड़कियों को भी अपने परिवार की चिंता सता रही थी. उनकी मदद के लिए दिल्ली के रहने वाले 3 सिख फरिश्ता बनकर सामने आए और उन्हें सुरक्षित उनके घर पहुंचाया. 

ये सभी कश्मीरी लड़कियां 5 अगस्त से कुछ दिनों पहले ही जम्मू-कश्मीर से नर्सिंग का कोर्स करने पुणे पहुंची थी. लेकिन आर्टिकल 370 के हटाए जाने के बाद उन्हें अपने परिवारवालों की चिंता सताने लगी. साथ उनके मन ये भी भय था कि कहीं उनके साथ भी कोई अनहोनी न हो जाए. क्योंकि उनके दिमाग़ में पुलवामा हमले के समय कुछ कश्मीरी छात्रों पर हुए हमले की तस्वीरें घूम रही थीं. 

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इस मुश्किल की घड़ी में दिल्ली के तीन सिख उनके लिए महीहा बनकर सामने आए. उन्होंने धारा 370 हटाए जाने के बाद कश्मीरी लोगों की मदद के लिए फ़ेसबुक लाइव के ज़रिये उनसे संपर्क करने को कहा था.  

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इसके बाद पुणे में रहने वाली इन सभी लड़कियों ने अपनी सुपरवाइज़र रुकैया किरमानी की मदद से दिल्ली में रहने वाले हरमिंदर सिंह, बलजीत सिंह और अरमीत सिंह से संपर्क किया. इन तीनों दोस्तों ने चंदा इकट्ठा कर सभी लड़कियों के जम्मू कश्मीर जाने का इंतज़ाम किया. 

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लेकिन ये इतना आसान भी नहीं था. क्योंकि जम्मू-कश्मीर जाने के लिए पुणे से मिलने वाली फ़्लाइट का किराया काफ़ी बढ़ गया था. इसके बाद इन तीनों दोस्तों ने तय किया कि वो स्वयं उन्हें उनके घर तक छोड़कर आएंगे.

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तीनों दोस्त पहले उन्हें लेकर दिल्ली पहुंचे यहां से फ़्लाइट से श्रीनगर पहुंचे. ये सभी लड़कियां जम्मू-कश्मीर के अलग-अलग ज़िलों में रहती थीं. इन्हें उनके घर तक पहुंचाने इंडियन आर्मी ने भी उनकी हेल्प की. 

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सभी छात्राओं को भारतीय सेना के वाहनों के द्वारा बारामूला,बड़गाम, शोपियां, कुपवाड़ा और श्रीनगर समेत पांच अलग ज़िलों में पहुंचाया गया. अपने बच्चों को सही सलामत घर पहुंचा देखकर उनके माता-पिता के आंखों में आंसू आ गए. साथ ही उन्होंने तीनों दोस्तों और भारतीय सेना का शुक्रिया भी अदा किया. 

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सोशल मीडिया पर इन लड़कियों के वीडियो तेज़ी से शेयर किए जा रहे हैं. साथ ही लोग इन तीनों सिखों की जमकर तारीफ़ कर रहे हैं. 

कश्मीरी लड़कियों को सही सलामत उनके घर पहुंचा कर इन सिखों ने मानवता की मिसाल पेश की है.