उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार ने महिलाओं की सुरक्षा के लिए 2017 में ‘एंटी रोमियो स्क्वॉड’ का गठन किया था. उस वक़्त कहा गया था कि सरकार के इस क़दम से महिलाओं में सुरक्षा की भावना पैदा होगी और अपराधियों में भय क़ायम होगा. हालांकि, बाद में स्क्वॉड के काम करने के तौर तरीक़ों पर ही सवाल उठने लगे थे.
सोशल मीडिया पर कई वीडियो वायरल हुए थे, जिसमें पुलिस कपल्स को परेशान करती नज़र आ रही थी. अब ताज़ा आंकड़ों को देखें तो मालूम होगा कि ये स्क्वॉड सरकार और जनता दोनों की उम्मीदों पर ख़री नहीं उतरी है. क्योंकि इसके गठन के चार साल गुज़रने के बावजूद प्रदेश में महिलाओं के ख़िलाफ़ होने वाले अपराधों में कमी नहीं आई है.
दरअसल, India Today ने एक आरटीआई फ़ाइल की है. इसके मुताबिक, 2017 के बाद से यूपी के एंटी-रोमियो स्क्वॉड ने 14,454 लोगों को गिरफ़्तार किया है. यूपी-पुलिस महानिदेशक ने बताया कि, ‘मार्च 2017 से नवंबर 2020 के बीच 14,454 लोगों को गिरफ़्तार किया गया है.’
इसके बावजूद महिलाओं के ख़िलाफ़ अपराध थमने का नाम नहीं ले रहे. राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (NCRB) के आंकड़ों के मुताबिक, 2017 में हर रोज़ महिलाओं के ख़िलाफ़ 153 अपराध होते थे, जो 2019 में बढ़कर 164 पर पहुंच गए.
हालांकि, इस दौरान यूपी में रेप के मामलों में कमी देखी गई है. 2017 में प्रदेश में बलात्कार के मामले 13 प्रति दिन थे, ये 2019 में घटकर प्रति दिन 8 रह गए हैं. हालांकि, ये संख्या भी कम नहीं है.
NCRB की ‘भारत में अपराध’ 2019 रिपोर्ट के अनुसार, भारत में 2019 में महिलाओं के ख़िलाफ़ अपराधों के 4,05,861 मामले दर्ज किए गए. इसमें उत्तर प्रदेश में सबसे ज़्यादा 59,853 केस हुए.
इतना ही नहीं, छोटी बच्चियों के ख़िलाफ़ अपराध में भी यूपी पहले नंबर पर है. POCSO अधिनियम के तहत प्रदेश में 7,444 मामले सामने आए. इसके बाद महाराष्ट्र (6,402) और मध्य प्रदेश (6,053) का स्थान था.
ऐसे में सरकार को एंटी-रोमियो स्क्वॉड की कार्यप्रणाली में सुधार करने की बहुत ज़रूरत है. ताकि, पुलिस ज़्यादा प्रभावी और संवेदनशील बने और महिलाएं ज़्यादा सुरक्षित अनुभव कर सकें.