मध्य प्रदेश के ग्वालियर में 25 दिसंबर, 1924 को जन्मे अटल बिहारी वाजपेयी (Atal Bihari Vajpayee) तीन बार देश के प्रधानमंत्री रहे. लंबी बीमारी के बाद 16 अगस्त 2018 को उनका निधन हो गया था. यूं तो भारत रत्न अटल बिहारी वाजपेयी को लोग अलग-अलग ख़ूबियों के लिए याद करते हैं. विपक्षी नेता उनके मिलनसार स्वभाव के लिए तो जनता उनकी मंत्र मुग्ध कर देने वाली भाषण शैली के लिए याद करती है. मगर इन सबसे बढ़कर हर शख़्स उनकी हाज़िर जवाबी का क़ायल था.

 

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वजह थी कि वाजपेयी जी का सेंस ऑफ़ ह्ययमर (sense of humor). वो हमेशा इसका इस्तेमाल करते थे, फिर चाहें मीडिया को जवाब दे रहे हों या फिर विपक्ष को. ऐसे में आज हम आपको अटल बिहारी वाजपेयी की हाज़िर जवाबी के मज़ेदार क़िस्से बताने जा रहे हैं.

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1. कुंवारा नही हूं

अटल बिहारी वाजपेयी (Atal Bihari Vajpayee) ने शादी नहीं की. ऐसे में लोग उनसे हमेशा पूछते थे कि आप कुंवारे क्यों हैं? इस पर उनका एक जवाब काफ़ी मशहूर हुआ था. दरअसल, वाजपेयी जी ने कहा था कि ‘मैं अविवाहित हूं, लेकिन कुंवारा नहीं.’ ऐसे ही एक सवाल पर उन्होंने पत्रकार को कहा था कि ‘मैं आदर्श पत्नी की खोज में हूं.’ पत्रकार ने जब पूछा कि क्या वो मिली नहीं तो वाजपेयी जी बोले, ‘मिली तो थी लेकिन उसे भी आदर्श पति की तलाश थी.’

2. जब वाजपेयी जी जाने भगवान की पत्थर की मूर्तियों का रहस्य

ये बात सत्तर के दशक की है. पुणे में एक सभा थी, जहां पार्टी कार्यकर्ता जमा किया हुआ फंड वाजपेयी जी को भेंट करने वाले थे. सभा शुरू हुई और कार्यकर्ता उन्हें माला पहनाने एक-एक कर स्टेज पर आए. कार्यकर्ता आते जाते और मालाएं वाजपेयी जी पहनाते जाते. जब मालाएं ज़्यादा हो जातीं तो वाजपेयी उन्हें उतारकर एक तरफ़ कर देते. ऐसा काफ़ी देर चला. फिर जब वो भाषण देने के लिए आए तो बोले, ‘अब समझ आया कि ईश्वर की मूर्ति पत्थर की क्यों होती है. ताकि वो भक्तों के प्यार के बोझ को सहन कर सके.’

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3. जब नेहरू के शीर्षासन पर अटल ने ली चुटकी

साल 1957, देश में दूसरी लोकसभा स्थापित हुई थी. अटल जी जनसंघ की सीट पर उत्तर प्रदेश के बलरामपुर से चुन कर संसद में पहुंचे थे. उस वक़्त नेहरू (Jawaharlal Nehru) ने जनसंघ की आलोचना की तो अटल ने कहा, ‘मैं जानता हूं पंडित जी रोज़ाना शीर्षासन करते हैं, मुझे इससे कोई परेशानी नहीं है. लेकिन मेरी पार्टी की तस्‍वीर उल्‍टी ना देखें.’ बता दें, अटल जी का ये जवाब सुनकर नेहरू जी भी ज़ोर से हंस पड़े थे.

4. जब ममता बनर्जी बनी वाजपेयी का सिरदर्द

गठबंधन की अटल सरकार में ममता बनर्जी मंत्री थीं. वो आए दिन किसी न किसी बात पर नाराज़ हो जाती थीं. कहते हैं एक बार वाजपेयी ने ममता को मनाने के लिए जॉर्ज फर्नांडीज़ को कोलकाता भेजा, मगर वो उनसे मिली नहीं. फिर एक दिन वाजपेयी ख़ुद ममता बनर्जी के घर पहुंच गए, लेकिन वो वहां नही थीं. ऐसे में वाजपेयी ने ममता के घर पर उनकी मां के पैर छू लिए और उनसे कहा, ‘आपकी बेटी बहुत शरारती है, बहुत तंग करती है.’ कहते हैं जब ममता को इस बारे में बता चला तो उनकी ग़ुस्सा तुरंत ख़त्म हो गया.

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5. कब तक चलेगी पद यात्रा

इंदिरा गांधी प्रधानमंत्री थीं और उत्तर प्रदेश में दलितों पर अत्याचार की घटना के खिलाफ Atal Bihari Vajpayee ने पदयात्रा की थी. उस समय उनके मित्र अप्पा घटाटे ने पूछा था, पदयात्रा कब तक चलेगी? तब उस सवाल के जवाब में अटल जी ने कहा था, ‘जब तक पद नहीं मिलता, तब तक यात्रा चलती रहेगी.’

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6. दूल्हा वीपी सिंह हैं

साल 1984 में इंदिरा गांधी की मौत के बाद कांग्रेस को प्रचंड बहुतम मिला. ऐसे में कांग्रेस को हराने के लिए विपक्षी गठबंधन करने लगे. वीपी सिंह को बड़ी मुश्किल से गठबंधन के लिए राज़ी किया गया. उस वक़्त एक प्रेस कांफ़्रेस के दौरान जब अटल से पूछा गया कि अगर बीजेपी के ज़्यादा सीट मिलीं तो पीएम कौन होगा? इस पर वीपी सिंह मौजूदगी में अटल मुस्कुराते हुए बोले, ‘इस बारात के दूल्हा वीपी सिंह हैं.’