भारत सच में एक अद्भुत देश है, यहां लूटपाट करने वालों की कमी नहीं है और कमी उन लोगों की भी नहीं है, जो बिना स्वार्थ लोगों की सेवा में लगे रहते हैं. वहीं, जब बात सेवा भावना की आती है, तो सिखों का नाम सबसे पहले आता है. यह एकमात्र ऐसा कम्यूनिटी है जो कई वर्षों से विभिन्न लंगरों के माध्यम से भूखों को पेट भरते आ रहे हैं. 

वहीं, जब-जब देश में त्रासदी के दौर से गुज़रा, तो सिखों ने लोगों के बीच पहुंचकर उन्हें मुफ़्त में भोजन मुहैया कराया. इस ख़ास लेख में हम ऐसे ही इंसान के बारे में आपको बताने जा रहे हैं, जो अब तक 30 लाख से ज़्यादा भूखों का पेट भर चुके हैं.  

बाबा करनैल सिंह खैरा  

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अगर आप महाराष्ट्र के यवतमाल एनएच-7 से गुज़रें, तो करंजी गांव के पास आपको प्लास्टिक की चादरों से ढका एक टीनशेड दिख जाएगा. यहां 82 वर्षीय बाबा करनैल सिंह खैरा भूखों के लिए लंगर चलाते हैं. ख़ासकर करोना के वक़्त बाबा का यह लंगर भूखे मुसाफ़िरों के लिए बहुत मददगार साबित हुआ है.   

30 लाख से ज़्यादा भूखों को खिला चुके हैं खाना  

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जिस स्थान पर बाबा खैराजी का लंगर चलता है, उसके आसपास कोई होटल या रेस्तरां नहीं है. वहीं, यहां से गुज़रने वाले अधिकतर मुसाफ़िर गुरु का प्रसाद चखकर ही आगे बढ़ते हैं. बता दें कि यह लंगर क़रीब 33 साल से चल रहा है. इसकी शुरुआत 1988 में की गई थी. यहां लगभग 30 लाख से ज़्यादा मुसाफ़िर भोजन कर चुके हैं.  

मुफ़्त ऑक्सीजन भी कराते हैं मुहैया  

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बता दें कि लंगर के साथ-साथ बाबा खैराजी ने 15 ऑक्सीजन सिलेंडरों के साथ मुफ़्त ऑक्सीजन सेवा भी शुरू की है. ये सेवा कोविड से पीड़ित मरीज़ों के लिए है, जो ऑक्सीजन सिलेंडर जुटाने में असमर्थ है या जिन्हें वक़्त पर ऑक्सीजन नहीं मिलता.

मुस्कुराकर करते हैं स्वागत  

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बाबा खैराजी लंगर में आने में मुसाफ़िरों को मुस्कुराकर स्वागत करते हैं. जानकारी के अनुसार उनकी 17 लोगों की टीम है, जो दिन-रात सेवा में लगी रहती है. 17 लोगों में 11 खाने पकाने वाले हैं और बाकी सब्ज़ी काटने व अन्य काम करते हैं.   

बेज़ुबान जानवरों को खिलाते हैं खाना   

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जानकर हैरानी होगी इस लंगर के ज़रिए इंसानों के साथ-साथ बेज़ुबान जानवरों को भी खाना खिलाया जाता है. यहां आपको रोज़ाना कुत्तों के साथ-साथ गाय व बिल्लियों को भोजन करते देखा जा सकता है.   

भाई ने की थी आर्थिक सहायता  

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मुफ़्त में लंगर कराने के लिए काफ़ी पैसों की भी जरूरत पड़ती है. इस काम में खैराजी बाबा के छोटे भाई गुरबक्श सिंह आर्थिक मदद करते हैं. बता दें कि बाबा के छोटे भाई न्यू जर्सी में रहते हैं. वहीं, अब अन्य जगहों से भी बाबा को इस काम के लिए आर्थिक मदद मिल रही है.

जुड़ा है गुरुद्वारा भगोद साहिब से   

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बता दें कि यह लंगर गुरुद्वारा भगोद साहिब से जुड़ा है, जोकि हाईवे लंगर स्थल से 11 किमी दूर जंगल में मौजूद है. जानकारी के अनुसार, यहां 1705 में कभी सिखों के 10वें गुरु गोविंद सिंह जी रुके थे.   

लॉकडाउन में कराया लाखों को भोजन  

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बाबा बताते हैं कि लॉकडाउन के शुरुआती 10 हफ़्तों में उन्होंने 15 लाख से ज़्यादा लोगों को भोजन कराया था. सच में महान हैं ऐसे इंसान, जो खु़द की परवाह न कर लोग कल्याण में लगे रहते हैं. हमें भी कुछ सीख बाबा खैराजी से लेनी चाहिए और ज़रूरतमंदों की मदद करनी चाहिए.