परीक्षा हो जाने के बाद अकसर पुरानी किताबें रद्दी में बेच दी जाती हैं. लेकिन अगर इन्हीं किताबों को किसी ज़रूरतमंद को दे दिया जाए तो उसका भविष्य सुधर सकता है. साथ में ये शहर को साफ़ सुथरा रखने में भी इससे मदद मिल सकती है. कुछ इसी इरादे के साथ भोपाल नगर निगम ने किताब घर नाम की एक योजना की शुरुआत आज से 2 साल पहले की थी. इसका लाभ आज हज़ारों लोग उठा रहे हैं.

Bhopal Municipal Corporation (BMC) ने किताब घर नामक इस परियोजना की शुरुआत वर्ष 2019 में की थी. भोपाल के लोग अब तक यहां पर लाखों बुक्स और मैग्ज़ीन्स दान कर चुके हैं. इन्हें ऐसे परिवार के बच्चों को दिया जाता है जो किताबें ख़रीदने अक्षम हैं.

ये भी पढ़ें: किताबें बहुत सी पढ़ी होंगी तुमने, मगर कितना जानते हो बच्चों की सबसे पहली किताब के बारे में?

newindianexpress

जो ख़राब कॉपी/किताब आती है उसे यहां पर रिसाइकल करने के लिए भी भेजा जाता है. भोपाल के अतिरिक्त नगर आयुक्त एम.पी. सिंह के मुताबिक, इसकी शुरुआत स्वच्छ भारत अभियान के तहत ही की गई थी ताकि बेकार कॉपी-किताबों से होने वाले कचरे से निपटा जा सके.

patrika

इसके लिए BMC ने www.thekabadiwala.com के साथ हाथ मिलाया, जो देश के कई शहरों में ग़रीब लोगों तक किताबें पहुंचाने का काम कर रहे है. इनके कर्मचारी भोपाल के कोने-कोने से पुरानी किताब-कॉपी इकट्ठी कर भोपाल की 85 Resident Welfare Associations (RWAs) और नगर निगम के स्थानीय कार्यालयों में रखते हैं. यहां से कोई भी इन्हें आसानी से हासिल कर सकता है. यहां सिर्फ़ नर्सरी से 12वीं तक की किताबें ही नहीं बल्कि मैगज़ीन्स और प्रतियोगी परीक्षाओं की बुक्स भी मिलती हैं.

timesofindia

इस बारे में बात करते हुए एम.पी. सिंह ने कहा- ‘हमारे कल्चर में पुरानी किताबें दूसरों को दान देने का चलन है. इसी परंपरा को ध्यान में रखते हुए हमने ये योजना शुरू की. अब इससे सैंकड़ों ग़रीब बच्चों को भला हो रहा है. कोरोना काल में जब लोगों की आर्थिक स्थिति ख़राब है तो ऐसे में ये उनके लिए बड़ी राहत है. कम से उनके बच्चों की पढ़ाई का ख़र्च तो इससे कुछ कम हो रहा है.’

briflynews

Thekabadiwala.com के निदेशक अनुराग असाती ने बताया कि 2020 की शुरुआत में इन्हें 1 लाख किताबें दान में मिली थीं. उनका कहना है कि किताबें किसी का भी करियर संवार सकती हैं. वो भोपाल नगर निगम का इस मुहिम में साथ देने के लिए धन्यवाद करते नहीं थकते.

वाकई में ये वेबसाइट और BMC दोनों इस योजना को सफ़लतापूर्वक लागू करने के लिए तालियों के हक़दार हैं.