Bihar Judiciary Success Story of Kamlesh Kumar: हाथ की अधूरी लकीरें कलम की स्याही से पूरी की जा सकती है. इस बात सुबूत बिहार के कमलेश कुमार हैं. कभी झुग्गी-झोपड़ी रहते थे, पिता के साथ ठेला लगाते थे. मगर आज जज बनकर अपनी क़िस्मत और ज़िंदगी दोनों को बदल चुके हैं.

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आइए जानते हैं कि कैसे कमलेश कुमार ने झुग्गी-झोपड़ी से कोर्ट रूम तक का सफ़र तय किया-

पिता संग लगाते थे ठेला

बिहार के सहरसा जिले के रहने वाले कमलेश कुमार पिता बेहद ग़रीब हैं. उनके पिता दस भाई-बहनों में से एक थे. बड़ा परिवार और ग़रीबी, ऐसे में पेट पालने दिल्ली आ गए. यहां कभी उन्होंने कुली का काम किया तो कभी रिक्शा चलाया.

रहने के लिए लाल किले के पीछे वाली झुग्गी-झोपड़ियों चले गए. मगर एक दिन सरकार के आदेश पर झुग्गी-झोपड़ियां हटा दी गईं. मजबूरन परिवार ने यमुना पार किराये के घर में रहना शुरू किया. परिवार का पेट भरने के लिए कमलेश के पिता चांदनी चौक पर छोले-भटूरे का ठेला लगाने लगे. तब कमलेश दसवीं पास कर चुके थे. वो अपने पिता की मदद के लिए अक्सर उनके साथ ठेले पर जाया करते थे.

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पुलिस वाले के थप्पड़ ने बदल दिया सब

एक दिन कमलेश अपने पिता के साथ थे और उनके सामने ही एक पुलिसवाले ने उनके पिता को एक जोरदार थप्पड़ मार कर ज़बरदस्ती उनका ठेला बंद करवा दिया. थप्पड़ तो पिता के गाल पर लगा, मगर उसके निशान कमलेश के दिल पर आ गए. वो बेबस थे तो कुछ कर न सके. (Bihar Judiciary Success Story of Kamlesh Kumar)

लेकिन कमलेश इस घटना को भुला नहीं पा रहे थे. उन्हें उनके पिता ने बताया था कि पुलिसवाले जज से बहुत डरते हैं. बस यही बात कमलेश के दिल में घर कर गई. उन्होंने अपने ग़ुस्से की आग को आगे बढ़ने की ऊर्जा में बदल दिया. उन्होंने ठान लिया कि अब बनना जज ही है.

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असफलता से निराश हुए मगर हार नहीं मानी

कमलेश ने दिल्ली यूनिवर्सिटी में लॉ किया. वो एक एवरेज स्टूडेंट ही थे, मगर फिर भी जज बनने की तैयारी की. उन्होंने रह-रह कर पुलिस वाले का वो थप्पड़ याद आता था, जो उनके पिता के गाल पर पड़ा था. कमलेश ने अपनी स्किल्स बेहतर कीं. अंग्रेज़ी सीखी.

Bihar Judiciary Success Story of Kamlesh Kumar

2017 में UP Judiciary का एग्ज़ाम दिया, मग क्लियर न कर पाए. इसके बाद उन्होंने Bihar Judiciary की तैयारी शुरू की, मगर फिर असफल रहे. इसके बाद कोविड के कारण उनके करीब 3 साल बर्बाद हो गए. इतना सब होने के बावजूद कमलेश ने न तो उस हादसे को भुलाया और न हार मानी. उन्होंने अपनी तैयारी रुकने नहीं दी.

उनकी इसी लगन और मेहनत का ये परिणाम रहा कि आखिरकार 2022 में कमलेश 31st Bihar Judiciary Examination में 64वीं रैंक प्राप्त कर गए और उनका सलेक्शन हो गया. दिलचस्प ये था कि इधर ख़बर कमलेश का रिज़ल्ट आया और उधर उनके पिता चांदनी चौक पर छोले-भटूरे बेच रहे थे. इस ख़बर को सुनने के बाद उनके पूरे परिवार की आंखों में खु़शी के आंसू थे.

कमलेश ने साबित कर दिया कि दूसरों से सबसे बड़ा बदला ख़ुद में सकारात्मक बदलाव करना है.

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