कोरोना वायरस के चलते देशभर में जारी लॉकडाउन के कारण प्रवासी मज़दूरों हालात बेहद ख़राब है. अब तक 100 से अधिक प्रवासी मज़दूर या तो भूख से या फिर हज़ारों किमी पैदल चलकर अपनी जान गंवा चुके हैं. इनमें से क़रीब 50 मज़दूर ऐसे भी थे जिन्होंने सड़क हादसों अपनी जान गंवाई.   

देशभर से ग़रीब मज़दूरों के मरने का सिलसिला जारी है…   

बिहार के मुज़फ़्फ़रपुर रेलवे स्टेशन से भी एक ऐसा ही दर्दनाक मामला सामने आया है. भूख, गर्मी और डिहाइड्रेशन से बेहाल एक महिला ने स्टेशन पर ही दम तोड़ दिया. इस दौरान उसका ढाई साल का मासूम बच्चा मां को ढंके ‘कफ़न’ को हटाकर उसे जगाने की कोशिश करता रहा, लेकिन उसे नहीं मालूम कि मां अब कभी नहीं उठेगी. 

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इस घटना का एक वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल होने के बाद से ही हर कोई हैरान है. हैरानी बात तो ये है कि इंसानियत को शर्मसार कर देनी वाली ये घटना रेल प्रशासन की नज़रों के समक्ष हुई है. 

सोशल मीडिया पर शेयर किए जा रहे इस वीडियो में आप रेलवे प्लेटफ़ॉर्म पर लेटी एक महिला को देख सकते हैं. इस दौरान उसे एक कपड़े से ढंका गया है, लेकिन उसका मासूम बच्चा उसे ढंके ‘कफ़न’ को हटाने की कोशिश कर रहा है. ज़ाहिर सी बात है पर मां उसकी बात नहीं सुन रही. 

बताया जा रहा है कि ये महिला श्रमिक ट्रेन के ज़रिए मुज़फ़्फ़रपुर पहुंची थी. इस महिला ने शनिवार को गुजरात से ट्रेन ली थी और सोमवार को मुज़फ़्फ़रपुर में ट्रेन से उतरने के थोड़ी देर बाद ही उसकी मौत हो गई. जिसके बाद महिला के शव को स्टेशन के प्लेटफ़ॉर्म पर ही लिटा दिया गया था. 

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महिला के परिवारवालों ने बताया कि ट्रेन में खाने-पीने को कुछ न मिलने पर उसकी तबियत ख़राब हो गई थी. ट्रेन से उतरने बाद बाद भी किसी ने भी उसकी नहीं की. 

ढाई साल के एक अन्य बच्चे की भी मौत 

इसके अलावा मुज़फ़्फ़रपुर स्टेशन पर ही एक ढाई साल के बच्चे की भी मौत हो गई. मृतक बच्चे के परिजन का कहना है कि भीषण गर्मी और ट्रेन में खाना-पानी नही मिलने के कारण बच्चे की हालत काफी बिगड़ गई और उसने स्टेशन पर ही दम तोड़ दिया. भूख की वजह मां को भी दूध नहीं हो रहा था, इसलिए वो बच्चे को दूध नहीं पिला सकी. 

मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो सोमवार से अब तक ‘श्रमिक स्पेशल ट्रेन’ में भूख-प्यास, गर्मी और डिहाइड्रेशन से बेहाल 9 प्रवासी मज़दूरों की मौत हो चुकी है.