Bihar Teacher Takes one Rupee Fee for Coaching: जहां अधिकतर लोग अपने फ़ायदे और अपनी तरक़्की के लिए मेहनत करते हैं, तो कुछ लोग ऐसे भी हैं समाज को सुधारने, उनके दुखों की दवा बनने और समाज की प्रगति के लिए काम करते हैं. आपने कई लोगों के बारे में सुना होगा जो मुफ़्त में ग़रीबों को खाना खिलाते हैं, ज़रूरतमदों की मदद करते हैं, पर्यावरण के लिए काम करते हैं या समाज को आत्मनिर्भर बनाने की मुहिम में लगे हुए हैं. 

इस कड़ी में एक नाम बिहार के R.K. Sir का भी जुड़ गया है, जो छात्रों से सिर्फ़ 1 रुपए फ़ीस लेते हैं और अब तक 545 छात्रों को इंजीनियर बना चुके हैं. आइये, जानते हैं कौन हैं बिहार के आर. के सर.

आइये, अब विस्तार से पढ़ते (Bihar Teacher Takes 1 Rupee Fee for Coaching:) हैं आर्टिकल

बिहार के आर.के. श्रीवास्तव

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हम जिस बिहार के टीचर की बात कर रहे हैं उनका पूरा नाम रजनीकांत श्रीवास्तव है. वो राज्य के रोहतास ज़िले के बिक्रमगंज शहर में रहते हैं. आर.के. सर क़रीब 15 सालों से उन बच्चों को शिक्षा देने का काम कर रहे हैं, जो मेहनत करके पढ़ना तो चाहते हैं, लेकिन उनके पास कोचिंग में एडमिशन लेने के लिए पैसे नहीं है. 

आर.के.सर ने ऐसे होनहार, लेकिन आर्थिक रूप से कमज़ोर बच्चों के दुख को समझा और उनका साथ देने का फ़ैसला ले लिया.

1 रुपये गुरु दक्षिणा वाली क्लास

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Bihar Teacher Takes one Rupee Fee for Coaching: आर.के.सर अपने गांव में ही ‘1 रुपये गुरु दक्षिणा वाली क्लास’ चलाते हैं और इसी के लिए वो देश भर में जाने भी जाते हैं. वो एक गणित के अध्यापक हैं और बच्चों को देश के प्रसिद्ध इंजीनियरिंग और मेडिकल कॉलेज में दाखिला लेने में मदद करते हैं. उनके यहां पढ़ने वाला छात्र सिर्फ़ एक रुपए उन्हें गुरु दक्षिणा देता है और इसके अलावा एक भी पैसा वो छात्रों से नहीं लेते हैं. 

ऐसा उन्होंने ग़रीब बच्चों के लिए किया था, लेकिन आज वो सभी बच्चों को इसी तरह पढ़ाते हैं, भले वो अमीर क्यों न हो. 

बचपन से देखी है ग़रीबी 

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RK Sir of Bihar: रजनीकांत श्रीवास्तव उर्फ़ आर.के.सर जब छोटे थे तभी उनके पिता का निधन हो गया था. तब तक घर का ख़र्च खेती से ही चल रहा था. आगे चलकर उनके बड़े भाई ने घर संभालने के लिए ऑटो चलाना शुरू कर दिया था. 

उस दौर रजनीकांत समझ गए थे कि एक ग़रीब के आगे बढ़ने का एकमात्र ज़रिया पढ़ाई है. विज्ञान और गणित में उनकी रुची शुरू से ही रही थी. वो स्कूली पढ़ाई के बाद इंजीनियर बनना चाहते थे. 

2004 में जब वो IIT के एंट्रेंस एग्जाम की तैयारी कर रहे थे, तो उन्हें टीबी की बीमारी से जकड़ लिया और इस वजह से उन्हें 9 महीने घर पर ही रहना पड़ा. इस बीच वो बच्चों को पढ़ाने लग गए थे और उन्होंने फैसला किया कि वो एक टीचर ही बनेंगे. 

उन्होंने आगे चलकर गणित में मास्टर्स की डिग्री हासिल की और बच्चों को पढ़ाना शुरू कर दिया. 

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2008 में की कोचिंग की शुरुआत 

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साल 2008 में उन्होंने कोचिंग देना शुरू कर दिया था. शुरुआत में वो पास के बच्चों को एक रुपये में कोचिंग दे रहे थे, लेकिन धीरे-धीरे दूर-दूर से भी उनके पास बच्चे आने लग गए. वहीं, जो बच्चे बहुत ही आर्थिक रूप से कमज़ोर होते, उनके लिए वो रहने की और खाने की भी व्यवस्था ख़ुद ही कर देते हैं. 

आर.के. सर अब तक मात्र 1 रुपए गुरु दक्षिण लेकर 545 बच्चों को देश बढ़िया इंजीनियरिंग कॉलेज में एडमिशन दिलवा चुके हैं. 

मुफ़्त कोचिंग के अलावा, वो और भी जगह गणित पढ़ाने के लिये जाते हैं. वर्तमान में वो पटना की अवसर कोचिंग में गणित पढ़ा रह हैं. इसके अलावा वो गेस्ट टीचर के रूप में भी जाते रहते है. आर.के.सर हरियाणा और मगध सुपर 30 और कौटिल्य कैंपस में भी जा चुके हैं. अलग-अलग जगहों में पढ़ाकर जो पैसा आर.के.सर कमाते हैं, उसका एक बड़ा हिस्सा वो ग़रीब बच्चों पर ही ख़र्च कर देते हैं. 

World Book of Records London में दर्ज है नाम

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बता दें कि बिहार के आर.के.सर का नाम Pythagorean Theorem को बिना रुके 52 तरीक़ों से सिद्ध करने के लिए उनका नाम World Book of Records London में दर्ज किया जा चुका है. इसके अलावा, उन्हें भारत के पूर्व राष्ट्रपति के हाथों पुरस्कार भी मिल चुका है. 

उनका कहना है कि बच्चों के हाथों से मिलने वाला एक-एक रुपया ही उनके लिए करोड़ों की संपत्ति समान है.