Dhruv Vidyut Can Convert Cycle into an Electric Vehicle: बड़े स्तर के तक़नीकी आविष्कारों से अलग भारत में छोटे स्तर के, लेकिन ज़रूरी आविष्कार भी देखने को मिल रहे हैं. कुछ तो ऐसे हैं जो सच में काबिले तारीफ़ हैं. इसी क्रम में हम आपको हरियाणा के एक व्यक्ति द्वारा किए गए जबरदस्त आविष्कार के बारे में बताते हैं, जो किसी भी साइकिल को मात्र 20 मिनट में Electric Vehicle बन सकता है. 

आइये, जानते हैं कौन हैं वो व्यक्ति और कैसा है उनके द्वारा किया गया आविष्कार (Dhruv Vidyut Can Convert Cycle into an Electric Vehicle)

गुरसौरभ का ध्रुव विद्युत

Dhruv Vidyut Can Convert Cycle into an Electric Cycle
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Dhruv Vidyut Can Convert Cycle into an Electric Vehicle: हम जिस आविष्कारक बात कर रहे हैं उनका नाम है गुरसौरभ, जो हरियाणा के हिसाल से संबंध रखते हैं. गुरसौरभ ने एक इलेक्ट्रिक किट बनाकर तैयार किया है, जो किसी भी साइकिल को इलेक्ट्रिक वाहन में तब्दिल कर सकता है. जी हां, उन्होंने इलेक्ट्रिक कन्वर्ज़न किट बनाया है, जो आसानी से किसी भी साइकिल या साइकिल रिक्शा में फ़िट हो सकता है और व्यक्ति बिना पैडल मारे मोटर साइकिल जैसा अनुभव ले सकता है. 

इस ख़ास आविष्कार का नाम गुरसौरभ ने ‘ध्रुव विद्युत’ रखा है. 

कहां से मिली प्रेरणा 

Dhruv Vidyut Can Convert Cycle into an Electric Cycle
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Dhruv Vidyut Can Convert Cycle into an Electric Vehicle: गुरसौरभ द्वारा बनाया गया ये इलेक्ट्रिक कन्वर्जन किट मात्र 20 मिनट में साइकिल में फ़िट हो सकता है और साइकिल को एक अच्छी स्पीड दे सकता है. गुरसौरभ को ये ख़ास किट बनाने का आईडिया रेट्रोफ़िटिंग से मिली, जिसमें गाड़ियों के मोटर में बदलाव कर इलेक्ट्रिक में बदला जा सकता है. 

वहीं, गुरुसौरभ के इस किट को लगाने लिए किसी तरह की कटिंग की ज़रूरत नहीं होती है, ये आसानी से साइकिल में फ़िट हो सकता है. वहीं, ये इतना मजबूत है कि भारी किचड़ में से भी साइकिल को गुज़ार सकता है.  इसके अलावा ये फ़ायर प्रूफ़ भी है.  

गांव में आने-जाने की समस्या

 

cycle into an electric vehicle
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Cycle into an Electric Vehicle: गुरसौरभ सिंह हिसार (हरियाण) के एक गांव से संबंध रखत हैं. अपने गांव में आने-जाने की दिक्कत को देखते हुए उन्होंने इस किट को बनाने का सोचा. गुरसौरभ कहते हैं कि मेरे गांव में बच्चे ज़्यादा दूरी का सफ़र तय कर पढ़ने नहीं जा पाते हैं. वहीं, महामारी के दौरान मैंने ये महसूस किया कि सिर्फ़ पैदल चलने से व्यक्ति की दुनिया 4-5 किमी तक ही सीमित रह जाती है. 

अपने आविष्कार पर गुरसौरभ कहते हैं कि इस किट से आने जाने की समस्या का समाधान निकलेगा. 

बता दें कि गुरसौरभ ने इंग्लिश लिटरेचर में ग्रेजुएशन किया है और साथ ही रेट्रो-फ़िटिंग की पढ़ाई की है. इस ख़ास किट को बनाने से पहले गुरसौरभ मैन्युफ़ैक्चरिंग के साथ-साथ फ़िल्म मेकिंग में भी हाथ आज़मा चुके हैं.

25 किमी प्रति घंटे की रफ़्तार 

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Dhruv Vidyut Can Convert Cycle into an Electric Cycle: गुरसौरभ की बनाई किट साइकिल को 25 किमी प्रति घंटे की रफ़्तार से दौड़ा सकती है. वहीं, साथ ही साथ 170 किलो की वजन क्षमता है और ये एक बार चार्ज करने पर साइकिल 40 किमी तक दौड़ सकती है. 

ये किट वाटरप्रूफ़ के साथ-साथ फ़ायरप्रूफ़ भी है. इसमें एक चार्जिंग पोर्ट भी लगाया गया है, जो फ़ोन की बैटरी को भी चार्ज़ कर सकता है. गुरसौरभ चाहते हैं कि उनका ये आविष्कार भारत के हर आम आदमी तक पहुंचे.