Earthquakes In India: दिल्ली-एनसीआर (Delhi NCR) समेत यूपी में भूकंप के तेज़ झटके महसूस किए गए हैं. भारत के साथ ही नेपाल और चीन में भी भूकंप के झटके महसूस किए गए. भूकंप का केंद्र नेपाल रहा है. इसकी तीव्रता रिक्टर पैमाने पर 6.3 मापी गई है.

वहीं, उत्तराखंड के पिथौरागढ़ में बुधवार की सुबह भूकंप के झटके महसूस किए गए. रिक्टर स्केल पर इनकी तीव्रता 4.3 मैग्नीट्यूड मापी गई. 

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भारत में पिछले कुछ वक़्त से काफ़ी भूकंप के झटके महसूस किए जाने लगे हैं. ऐसे में ये जानना बेहद ज़रूरी है कि आख़िर हमारे देश में सबसे ज़्यादा भूकंप कहां और क्यों आते हैं.

Earthquakes In India: भारत में सबसे ज़्यादा भूकंप कहां आते हैं?

भारत में सबसे ज़्यादा भूकंप हिमालय पर्वत और इसके आसपास के इलाके में आते हैं. इनमें कश्मीर, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, सिक्किम, उत्तर-पश्चिमी राज्यों में ज़्यादा भूकंप के झटके महसूस किए जाते हैं. इसके पीछे वजह सीस्मिक गतिविधियां हैं. यानि पृथ्वी के भीतर की परतों में होने वाली भोगौलिक हलचल. (Earthquakes In India)

दरअसल, क़रीब चार करोड़ साल पहले भारतीय उपमहाद्वीप यहीं पर यूरेशियाई प्लेट से टकराया था और हिमालय पर्वत का निर्माण हुआ. ये हर साल एक सेंटीमीटर ऊपर उठ रहा है. इसी हलचल के कारण इस इलाके में अक्‍सर भूकंप आते रहते हैं.

वैज्ञानिकों ने बनाए हैं भूंकप के पांच ज़ोन

भूगर्भ विशेषज्ञों ने भारत के क़रीब 59% भू-भाग को भूकंप संभावित क्षेत्र के रूप में वर्गित किया है. भारत के पूरे भूखंड को पांच भूकंप जोन में बांटा गया है. एक ही राज्य के अलग-अलग इलाके अलग-अलग ज़ोन में आ सकते हैं. ज़ोन-1 में भूकंप आने की आशंका सबसे कम रहती है वहीं ज़ोन-5 में ज़्यादा प्रबल रहती है.

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बता दें, ज़ोन-5 में जम्मू और कश्मीर का हिस्सा (कश्मीर घाटी), हिमाचल प्रदेश का पश्चिमी हिस्सा, उत्तराखंड का पूर्वी हिस्सा, गुजरात में कच्छ का रण, उत्तरी बिहार का हिस्सा, भारत के सभी पूर्वोत्तर राज्य, अंडमान और निकोबार द्वीप समूह शामिल हैं.

जोन-4 में जम्मू और कश्मीर के शेष हिस्से, लद्दाख, हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड के बाकी हिस्से, हरियाणा के कुछ हिस्से, पंजाब के कुछ हिस्से, सिक्किम, उत्तर प्रदेश के उत्तरी हिस्से, बिहार और पश्चिम बंगाल का छोटा हिस्सा, गुजरात, पश्चिमी तट के पास महाराष्ट्र का कुछ हिस्सा और पश्चिमी राजस्थान छोटा हिस्सा इस ज़ोन में आता है. दिल्ली-एनसीआर का इलाक़ा भी सीस्मिक ज़ोन-4 में आता है और यही वजह है कि उत्तर-भारत के इस क्षेत्र में सीस्मिक गतिविधियां तेज़ रहती हैं.

जोन-3 में केरल, गोवा, लक्षद्वीप समूह, उत्तर प्रदेश और हरियाणा का कुछ हिस्सा, गुजरात और पंजाब के बचे हुए हिस्से, पश्चिम बंगाल का कुछ इलाका, पश्चिमी राजस्थान, मध्यप्रदेश, बिहार का कुछ इलाका, झारखंड का उत्तरी हिस्सा और छत्तीसगढ़. महाराष्ट्र, ओडिशा, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, तमिलनाडु और कर्नाटक का कुछ हिस्सा शामिल है. (Earthquakes In India)

जोन-2 में आते है राजस्थान, हरियाणा, मध्यप्रदेश, महाराष्ट्र, ओडिशा, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना और तमिलनाडु का बचा हुआ हिस्सा. वहीं, ज़ोन-1 में भूकंप आने की आशंका सबसे कम रहती है, इसलिए उनके नाम शामिल नहीं किए जा रहे.

क्या होता है रिक्टर स्केल?

आपने जब भी भूकंप का ज़िक्र सुना होगा तो अक्सर पाया होगा कि रिक्टल स्केल की बात भी होती है. मसलन, जो अभी भूकंप आया है उसकी तीव्रता रिक्टर पैमाने पर 6.3 मापी गई है. बता दें, रिक्टर स्केल का इस्तेमाल भूकंप की तीव्रता को मापने के लिए किया जाता है. कोई भी भूकंप कितना घातक हो सकता है, ये उसकी रिक्टर स्केल पर मापी गई तीव्रता पर निर्भर करता है.

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मसलन, रिक्टर स्केल पर 1.0 से 2.9 तीव्रता वाले भूकंप को माइक्रो स्तर का माना जाता है. आमतौर पर इनका पता नहीं चलता. वहीं, 3.0–3.9 को माइनर, 4.0–4.9  को हल्का, 5.0–5.9 को मध्यम, 6.0–6.9 को तेज़ भूकंप माना जाता  है. इससे भीड़भाड़ वाले इलाकों में ज्यादा नुकसान हो सकता है.

वहीं, जिन भूकंप की तीव्रता रिक्टर स्केल पर 7.0–7.9 आती है, उन्हें भीषण भूकंप माना जाता है. इसके अलावाव, 8.0 या अधिक तीव्रता वाले भूकंप अत्यधिक भीषण कैटेगरी में आते हैं. ये काफ़ी ख़तरनाक होते हैं.

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