आज भी जानवरों (Animals) के साथ लोगों द्वारा बुरा बर्ताव करना कोई नई बात नहीं है. लोग ऐसा दशकों से करते आए हैं. इंसान होने का नाजायज़ फ़ायदा उठाकर कई लोग मस्ती में भी जानवरों का शोषण करते हैं. जानवर हम इंसानों की तरह अपने हक़ के लिए लड़ नहीं सकते हैं और न ही कोर्ट कचहरी में जाकर अपने साथ हुए हादसे की पीड़ा को बयां कर सकते हैं. हालांकि, साउथ अमेरिका के इस देश ने जानवरों के साथ सालों से हो रहे शोषण पर प्रकाश डाला है और इस दिशा की ओर एक बेहतरीन क़दम उठाया है. इस देश ने सुनिश्चित किया है कि जानवरों को वो अधिकार मिले, जिसके वे हक़दार हैं और वो बिना शोषण के स्वतंत्र रूप से रह सकें. 

आइए आपको उस देश और वहां लागू किए गए जानवरों के अधिकारों के बारे में विस्तार से बताते हैं. 

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Ecuador Animal Rights

जानिए वो कौन सा देश है

ये साउथ अमेरिकी देश एक्वाडोर (Ecuador) की कहानी है, जो जंगली जानवरों को क़ानूनी अधिकार देने वाला दुनिया का पहला देश बन गया है. इस देश के सर्वोच्च न्यायालय ने उस केस के पक्ष में फ़ैसला दिया है, जिसमें एक वूली बंदर (Woolly Monkey) को एक लाइब्रेरियन एना बीट्रिज बरबानो प्रोआनो जंगल से घर ले आई, जब वो 1 महीने की थी. एना ने उस बंदर को एस्ट्रेलिटा (Estrellita) नाम दिया था. एना ने एस्ट्रेलिटा की 18 सालों तक परवरिश की और उसका अच्छे से ख़्याल रखा.  (Ecuador Animal Rights)

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घर में आराम से रह रही थी एस्ट्रेलिटा

एस्ट्रेलिटा को एना के घर में कोई कमी नहीं थी. वो वहां बिल्कुल आराम से रह रही थी. एना उसका बहुत ख्याल रखती थी और उसके खान-पान व किसी भी चीज़ में कोई कमी नहीं होने देती थी. उसने घर में ही इंसानों की तरह इशारों में बातचीत करना सीखा, अलग-अलग आवाज़ें निकालना सीखा. 

स्थानीय प्रशासन ने उठाया ये क़दम

फिर एक दिन एस्ट्रेलिटा को स्थानीय प्रशासन वाले आकर जबरन अपने साथ ले जाते हैं और उसे चिड़ियाघर में डाल देते हैं. अचानक से ज़िंदगी में आए इस बदलाव को एस्ट्रेलिटा को बर्दाश्त करना मुश्किल हो गया और कार्डियो-रेस्पिरेटरी अरेस्ट आने के कारण उसकी मौत हो गई. उसकी मौत से पहले एना ने एस्ट्रेलिटा को वापस पाने के लिए कोर्ट में केस फ़ाइल किया था. उनका दावा था कि एस्ट्रेलिटा चिड़ियाघर में नहीं रह पाएगा और उसे वहां स्ट्रेस फ़ील होगा. अपने केस को मज़बूत बनाने के लिए एना ने वैज्ञानिक दस्तावेज भी लगाए थे. इसमें लिखा था कि अधिकारियों को उसे चिड़ियाघर में डालने से पहले उसकी स्थिति की जांच कर लेनी चाहिए थी. (Ecuador Animal Rights)

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कोर्ट ने रचा इतिहास

इन सभी चीज़ों को मद्देनज़र रखते हुए फिर जो कोर्ट ने फ़ैसला सुनाया, वो एक इतिहास बन गया. कोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि एस्ट्रेलिटा के अधिकारों का हनन एना और स्थानीय प्रशासन दोनों ने किया है. स्थानीय प्रशासन ने उसे चिड़ियाघर में डालने से पहले उसकी ज़रूरतों की फ़िक्र नहीं की. वहीं एना ने भी उसे जंगल से अपने घर लाकर बुरा किया, क्योंकि उसका पहला घर जंगल ही था. इसके बाद कोर्ट ने देश की सरकार को आदेश देते हुए कहा कि जानवरों के अधिकार के क़ानून को ठीक किया जाए. अगर जानवरों के अधिकार को लेकर कोई क़ानून न हो, तो नया बनाया जाए.

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क्या कहा कोर्ट ने अपने आदेश में?

कोर्ट ने कहा कि जंगली जानवरों को घरेलू बनाने की प्रक्रिया में पर्यावरण के बैलेंस पर असर पड़ेगा. इससे जानवर की आबादी तेज़ी से घटेगी. ये जंगली जानवरों के क़ानूनी अधिकारों का हनन है. उन्हें भी जीने का अधिकार है. ये उनकी इकोलॉजिकल प्रक्रिया है, जिसे इंसान रोक नहीं सकते. इस आदेश के तहत आप किसी भी जंगली जानवर का शिकार नहीं कर सकते और उन्हें जंगल से घर में लाकर पालतू नहीं बना सकते. इस देश में सभी प्रकार के जीव को क़ानूनी अधिकार दिया है. (Ecuador Animal Rights)

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इस कदम से एक्वाडोर की हर जगह तारीफ़ हो रही है.