उत्तर-पूर्वी भारत इस वक़्त जहां कोरोना महामारी से निपटने में लगा है वहीं, दूसरी ओर चक्रवाती तूफ़ान अंफ़न ने भी इस पूरे इलाके को अपनी चपेट में ले लिया है. भारी बारिश, भूस्खलन और बाढ़ ने जीवन को अस्त-व्यस्त कर दिया है. आलम ये है कि असम, अरुणाचल प्रदेश और मेघायल में कम से कम तीन लोगों की मौत हो चुकी है. साथ ही बाढ़ से 350 से ज़्यादा गांव के क़रीब 2.50 लाख लोग इससे प्रभावित हुए हैं.   

ibtimes

NEWS18 की रिपोर्ट के मुताबिक़, ईटानगर के अधिकारियों ने बताया कि सोमवार रात को दिबांग घाटी जिले के आरजू गांव में एक घर भूस्खलन की चपेट में आ गया. इस हादसे में एक महिला और उसके दो बच्चे ज़िंदा दफ़न हो गए. पिछले कुछ दिनों से लगातार बारिश के कारण पूरे राज्य में भूस्खलन और बाढ़ से बड़े पैमाने पर तबाही देखने को मिल रही है.  

अरुणाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री पेमा खांडू ने तीन लोगों की जान जाने पर गहरा शोक जताया और मृतकों के परिजनों को तत्काल 4 लाख रुपये की अनुग्रह राशि देने की घोषणा की. असम में सात जिलों के 230 गांवों के क़रीब दो लाख लोग राज्य में बाढ़ से प्रभावित हुए हैं.  

insightonlinenews

असम राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण के अधिकारियों ने कहा कि राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया बल और राज्य आपदा प्रतिक्रिया बल की टीमों को उपकरणों के साथ 40 स्थानों पर पहले ही तैनात किया जा चुका है. मेघालय में लगातार बारिश और चक्रवाती तूफ़ान ने पहाड़ी राज्य के कुछ हिस्सों में क़हर बरपाया है, जिससे 21 गांवों में 2,000 से अधिक लोग प्रभावित हुए हैं.  

मेघालय के राजस्व और आपदा प्रबंधन मंत्री किर्मन शायला ने बताया कि पांच जिले प्रभावित हुए हैं. इस बीच जल शक्ति मंत्रालय के केंद्रीय जल आयोग (CWC) ने मंगलवार को असम की ब्रह्मपुत्र नदी के लिए बाढ़ अलर्ट जारी किया.  

news18

भारत मौसम विज्ञान विभाग ने इससे पहले मंगलवार को भी असम, मेघालय और अरुणाचल प्रदेश में मूसलाधार बारिश की चेतावनी दी थी. असम और पड़ोसी राज्यों के कई हिस्सों में पिछले सप्ताह सुपर चक्रवात अम्फ़न के कमजोर होने के बाद भारी बारिश हो रही है.  

इस बीच असम में बाढ़ से प्रभावित जिलों की संख्या पांच से बढ़कर सात हो गई है. वहीं, 1,000 हेक्टेयर से अधिक फ़सल जलमग्न हो गई और लगभग 1.95 लाख लोग प्रभावित हुए. असम राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (ASDMA) ने कहा कि गोलपारा और तिनसुकिया जिलों में बाढ़ से प्रभावित लोगों को पहले ही 35 राहत शिविरों में शरण दी जा चुकी है.   

केंद्रीय जल आयोग ने कहा कि ब्रह्मपुत्र नदी जोरहाट जिले में खतरे के स्तर से ऊपर बह रही थी, जबकि जिया भराली नदी सोनितपुर जिले में खतरे के निशान से अधिक थी.