GB system in Nagaland: भारत जैसे बड़ी आबादी वाले देश में लोकतांत्रिक तरीके से निष्पक्ष चुनाव कराना बहुत बड़ी बात है. हमारे देश ने पिछले 7 दशकों में बहुत हद तक ऐसा कर भी दिखाया है. हर नागरिक को वोट डालने का अधिकार है और एक व्यक्ति एक वोट का पालन पूरे देश में होता है. हालांकि, नागालैंड इस मामले में थोड़ा अलग है. क्योंकि, यहां एक ही शख़्स पूरे परिवार का वोट डाल सकता है (One person votes for entire family). इसके पीछे वजह है यहां का GB सिस्टम. (Nagaland Assembly Elections)

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दैनिक भास्कर की रिपोर्ट के मुताबिक, नागालैंड में एक ही शख़्स पूरे परिवार का वोट डाल सकता है. इसके लिए चुनाव से पहले अलग-अलग गांव में मीटिंग होती है और तय किया गया था कि किस प्रत्याशी को वोट देने के कितने रुपये मिलेंगे.

क्या है ये GB सिस्टम? (GB system in Nagaland)

नागालैंड GB सिस्टम को फ़ॉलो करता है. नागालैंड के गांवों में GB का मतलब राजा होता है. ये व्यवस्था राज्य के ज़्यादातर गांवों में लागू है. गांवों में एक GB होता है और उसके चार असिस्टेंट GB और एक विलेज काउंसिल होती है.

राजा अपने असिस्टेंट GB और विलेज काउंसिल की मदद से ये तय करता है कि चुनाव में वोट किसे देना है. GB ही ये तय करता है कि परिवार के सभी सदस्यों का वोट एक ही शख़्स डाल सकेगा, ताकि बूथ पर ज़्यादा भीड़ न हो. वोट डालने के लिए परिवारों को पैसा भी मिलता है.

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बहुत प्राचीन समय से चल रहा है ये सिस्टम

कहा जाता है कि नागालैंड में GB परंपरा प्राचीन काल से चली आ रही है. जो GB था उसका उत्तराधिकारी ही आगे GB होता रहेगा और जो असिस्टेंट GB है उसके उत्तराधिकारी भी इस राजशाही परंपरा को कायम रखे रहेंगे. इन्हें विलेज काउंसिल से परामर्श कर फैसला सुनाना होता है.

गांव के अपने नियम और कानून होते हैं, लेकिन सबसे अहम शर्त यही होती है कि GB जो भी आदेश देगा, उसका पालन करना होगा. कोई भी निर्णय GB की सहमति के बिना नहीं लिया जा सकेगा. अगर नियम-कानून में बदलाव की ज़रूरत होती है तो हेड GB के घर पर मीटिंग होती है, जिसमें राय-मशविरा कर संशोधन कर दिया जाता है.

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अगर विलेज काउंसिल किसी मुद्दे पर निर्णय लेती है, लेकिन लोग इससे असहमत हैं तो वे हेड GB के पास जा सकते हैं. उसका ही निर्णय अंतिम और मान्य होता है. गांव के विकास के लिए जो पैसा आता है, उसे कहां खर्च करना है, ये कमेटी तय करती है, लेकिन अंतिम आदेश GB का ही होता है.

हालांकि, इसे कोई कानूनी मान्यता नहीं मिली है. मगर इस तरह से वोटिंग की शिकायत मिलती रहती है. ख़ुद नेता भी इस पर सवाल उठाते हैं.

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