गोवा में कोरोना के मरीज़ों का इलाज कर रहे एक डॉक्टर अपने सभी मरीज़ों को अस्पताल से डिस्चार्ज करते वक़्त गले मिलते हैं. ऐसे करके वो लोगों के ये सन्देश देना चाहते हैं की कोरोना से ठीक हुए लोगों के साथ अलग बर्ताव न करें और न ही संक्रमण फैलने के डर से समाज उन्हें अलग-थलग करें.   

डॉ. एडविन गोम्स, गोवा मेडिकल कॉलेज मेडिसिन विभाग के प्रमुख हैं. जिन्होंने COVID-19 रोगियों के इलाज के लिए मार्गो स्थित ESI अस्पताल में डॉक्टरों की एक टीम का नेतृत्व किया है, ने पिछले तीन महीनों में डिस्चार्ज होते वक़्त लगभग 190 मरीज़ों को गले लगाया है. 

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डॉक्टर ने कहा कि यह इन रोगियों को अस्वीकार नहीं करने के लिए हर किसी को संदेश भेजने का उनका तरीक़ा है. वो इन मरीज़ों को ‘COVID angels’ बुलाते हैं.  

उनका कहना है की Covid-19 के संक्रमण से स्वास्थ्य हुए मरीज़ों का प्लाज़्मा अन्य रोगियों के लिए बड़ा लाभकारी होगा.  

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कोरोना वायरस मामलों के इलाज के अपने अनुभव पर डॉ. गोम्स ने कहा कि ‘सांस की तकलीफ़’ नामक एक लक्षण है. 

यदि कोई सांस की तकलीफ़ वाली अवस्था में चला जाता है, तो व्यक्ति को बचाना मुश्किल हो जाता है. सांस की तकलीफ़ होने पर चिकित्सा सहायता लेनी चाहिए, जिसे ये लोग (ठीक हुए मरीज़) जानते हैं. 

-डॉ. एडविन गोम्स

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PTI से हुई इनकी इस बातचीत में उन्होंने अपने एक मरीज़ की प्रसंशा करते हुए बताया कि कैसे वो ठीक होने के बाद अस्पताल में बाक़ी मरीज़ों की मदद करने में भी लगा हुआ है. यह मरीज़ गोवा के वास्को शहर में एक COVID-19 हॉटस्पॉट इलाके, मंगोर हिल से आया हुआ है.  

डॉ. गोम्स का मानना है कि इस तरह के लोगों को राज्य सरकार द्वारा स्थापित COVID देखभाल केंद्रों में काम करने के लिए रखा जा सकता है.