Gujrat Teacher Get Maths Formulae Printed On His Kurta: गुजरात के रहने वाले नीलमभाई का पढ़ाने का तरीक़ा है काफ़ी दिलचस्प! अध्यापक का हमारी ज़िंदगी बहुत महत्त्व होता है. सोशल मीडिया पर कई प्रेरणादायक कहानियां आपने सुनी होंगी. जहां कोई अध्यापक 12 किलोमीटर का रास्ता तय करके एक बच्चे को पढ़ाने जाता है, तो कोई लाखों की नौकरी छोड़कर बच्चों को पढ़ाता है. लेकिन गुजरात के इस अध्यापक ने अपने कुर्ते पर गणित के फ़ॉर्मूला और अक्षर ही लिखवा लिए. जिसके पीछे एक बहुत ही अनोखी कहानी है. जो हम आपको इस आर्टिक्ल के माध्यम से बताएंगे-

चलिए जानतें हैं गुजरात के इस अध्यापक की दिलचस्प कहानी-

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नीलमभाई बलिसना (गुजरात) के रहने वाले हैं

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पतन जिले में स्थित नीलमभाई पटेल बलिसना गांव के रहने वाले हैं. जो हरीनगर प्राइमरी स्कूल में पिछले 16 वर्षों से पढ़ा रहे हैं. नीलमभाई जबसे अध्यापक बने, उन्होंने अपने मन में तबसे ठान लिया था कि वो ज़्यादा से ज़्यादा बच्चों को शिक्षित करेंगे. जिसकी वजह से आज उस गांव के 70 से ज़्यादा बच्चे रोज़ हरीनगर प्राइमरी स्कूल आते हैं.

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आपने हमेशा स्कूल के अध्यापक को सिंपल पैंट और शर्ट में देखा होगा. लेकिन नीलमभाई का सोचना इस मामले में थोड़ा अलग है. जितने अनोखे वो खुद हैं, उतना ही अनोखा उनके पढ़ाने का स्टाइल भी है. जहां वो बच्चों का ध्यान केंद्रित करने के लिए गणित के फ़ॉर्मूला और कॉमन शब्द से लिखा हुआ कुर्ता या शर्ट पहनते हैं. उनके दिमाग में ये आईडिया कोविड-19 के दौरान आया. जब कोई घर से बाहर नहीं निकलना चाहता था. तब उन्होंने ये यूनिक आईडिया निकाला.

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कोविड-19 के दौरान सारे स्कूल बंद थे. उसी वक़्त सरकार ने सारे अध्यापकों को ऑनलाइन क्लास लेने को कहा. लेकिन गांव में अभी भी इंटरनेट सेवाएं नहीं थी. इसी वजह से नीलमभाई ने स्ट्रीट पर बच्चों को पढ़ाना शुरू किया. लेकिन ज़्यादा सुविधाएं न होने के कारण, उनके दिमाग में ये आईडिया आया और उन्होंने कुर्ते पर कठिन शब्द और फ़ॉर्मूला छपवाया और उसे पहनना शुरू कर दिया.

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शिक्षा के साथ-साथ बच्चों का संपूर्ण रूप से विकास होना भी बहुत ज़रूरी होता है. इस चीज़ का खास ख्याल रखते हुए वो बच्चों को हमेशा नई प्रजाति के पक्षी, जानवर, पेड़ और पौधों के बारे में बताते हैं. यहां तक कि उन्होंने अलग-अलग पक्षियों का घोंसला भी बनाया हुआ है. उन्होंने स्कूल के बाग़ीचे में सहजन के पौधे भी लगाए हैं.

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नीलमभाई के इस शानदार पहल के लिए अबतक उन्हें कई अवॉर्ड्स से नवाज़ा जा चुका है. उन्होंने अपने इस यूनिक आईडिया से सिर्फ़ बच्चों की ही नहीं बल्कि कई अध्यापकों को भी इंस्पायर किया है.