हिमालय की पहाड़ियों को लड़ाई के लिए बेहद दुर्गम माना जाता है. ये दुनिया के सबसे चुनौतीपूर्ण युद्ध क्षेत्रों में से एक है. मगर यहां चुनौती सिर्फ़ दुश्मन से निपटने की नहीं होती है. बॉर्डर पर तैनात सैनिकों को कड़ाके की ठंड और भूस्खलन से भी दो-चार होना पड़ता है. सियाचिन और भारत-चीन सीमा पर ये चुनौती और भी अधिक हो जाती जब तापमान -40 डिग्री से भी नीचे चला जाता है.

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कुछ जगहों पर ठंड का आलम कुछ यूं रहता है कि चंद ही मिनट में इंसान खड़े-खड़े जम जाए. ऐसे में सैनिकों को ठंड से बचाने के लिए ख़ास उपाय किये जाते हैं. आइये जानते हैं कि वो उपाय क्या हैं: 

1. Extreme Cold Weather Clothing & Equipment

जवानों को जानलेवा ठंड से बचाने के लिए उन्हें ख़ास तरह के कपड़े, टेंट और Equipment दिए जाते हैं. इन्हें ख़ास Snow Goggles, Boots और Sleeping bags भी दिए जाते हैं.

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सियाचीन में तैनात सैनिकों को ठंड से बचने के लिए जो पर्सनल किट दिया जाता है वो लगभग 1 से 1.5 लाख का होता है. इसमें कई लेयर वाले विशेष कपड़े, जैकेट, दस्ताने, जूते, फ़ेस मास्क, विशेष स्लीपिंग बैग, ऑक्सीजन सिलेंडर और हिमस्खलन में दबे लोगों का पता लगाने के लिए विशेष उपकरण शामिल होते हैं.

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समाचार एजेंसी ANI के अनुसार सैनिकों को ठंड से बचाने वाले 60 हज़ार विशेष कपड़ो का सेट सेना के पास है. इस साल 30 हज़ार और ऐसे ही Extreme Cold Weather Clothing Sets अमेरिका से मंगवाए गए हैं. इन्हें चीनी अतिक्रमण का मुक़ाबला करने के लिए LAC पर तैनात सैनिकों को दिया जाना है.

गौरतलब है कि भारत-चीन सीमा पर काफ़ी लंबे समय से तनाव है. चीन ने भारत सीमा में कथित रूप से अतिक्रमण किया था. इसी क्रम में गलवान घाटी में हुए झड़प में भारत के 20 सैनिक मारे गए थे. चीन अब भी LAC के पास डटा हुआ है. 

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2. Artic Tent

सैनिकों के रहने के लिए जो टेंट दिए जाते हैं वो ऐसे होते हैं जो माइनस तापमान में भी काम आते हैं. भारत ने हाल ही में 30,000 ArcticTents के लिए आर्डर दिए हैं. 

ठंड में 18 हज़ार फ़ीट की ऊंचाई ऊपर तैनात सैनिकों के लिए मुंह-हांथ धोना, शेविंग करना, बाथरूम जाना भी दूभर होता है. इसके अलावा नाक से खून आना, हाई ब्लड प्रेसर, श्वसन संबंधी समस्याएं आदि  काफ़ी ऊंचाई पर आम बीमारियां हैं.  

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इनके त्याग के लिए हर देशवासी शुक्रगुज़ार है.