ज़रा सोचिए! अगर किसी मोहल्ले में रहने वाले 100 लोगों में से 50 लोगों का नाम ‘आत्माराम’ हो तो कैसा होगा? है न मज़ेदार बात! अब हम आपको आगे जो बताने जा रहे हैं वो सचमुच में हैरान कर देने वाली बात है. दरअसल, हाल ही में बिहार (Bihar) में जनगणना के दौरान पता चला कि वहां के एक छोटे से मोहल्ले में 1-2 नहीं, बल्कि 40 से अधिक महिलाओं के पति का नाम ‘रूपचंद’ है. क्यों लगा न झटका! जी हां ये बात 100 फ़ीसदी सच है.

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आख़िर कौन है ये रूपचंद?

मामला बिहार के अरवल ज़िले के अरवल बाज़ार का है. इस बात का ख़ुलासा उस मोहल्ले की जातीय जनगणना के दौरान हुआ है. दरअसल, अरवल ज़िले के नगर परिषद क्षेत्र में वॉर्ड नंबर 7 के रेडलाइट इलाक़े में अधिकारी जब जनगणना करने पहुंचे तो पता चला कि मोहल्ले की 40 से अधिक महिलाओं के बेटे, पति और पिता का नाम ‘रूपचंद’ है.

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इस दौरान जब जनगणना अधिकारी एक के बाद एक घर में जनगणना करने गये तो उन्होंने पाया कि यहां कि हर महिला के बेटे, पति और पिता का नाम ‘रूपचंद’ है. महिलाओं के इन जवाबों से जनगणना अधिकारी हैरान रह गये. इसके बाद अधिकारियों ने जब सभी महिलाओं के ‘आधार कार्ड’ चेक किये तो इनमें भी पति के रूप में ‘रूपचंद’ का नाम दर्ज़ था. ये सब देख जनगणना अधिकारियों का दिमाग चकरा गया.

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इसके बाद जनगणना अधिकारी ‘रूपचंद’ नाम के इस शख़्स की तलाश में जुट गये. इस दौरान उन्होंने कई स्थानीय लोगों से इसके बारे में जानकारी हासिल की. इसके बाद जो नतीजा सामने आया वो हिला देने वाला था. दरअसल, पूरे इलाक़े में ‘रूपचंद’ नाम का कोई इंसान था ही नहीं. असल में इस इलाक़े के लोग ‘पैसे’ को ही ‘रूपचंद’ कहते हैं. इनके लिए पैसा ही सब कुछ है.

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दरअसल, रेडलाइट एरिया होने की वजह से यहां की अधिकतर महिलाएं सालों से वैश्यावृति और नाच-गाकर अपना जीवन गुजारती हैं. उन्हें इस धंधे से जो भी पैसा मिलता है उसी से उनके घर-परिवार का गुज़ारा होता है. इसीलिए इस इलाक़े के लोगों के लिए आज ‘पैसा’ ही सब कुछ बन गया है, जिसे वो अपनी स्थानीय भाषा में ‘रूपचंद’ कहते हैं.

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जनगणना अधिकारी राजीव रंजन राकेश के मुताबिक़, इस रेडलाइट इलाक़े में ऐसे दर्जनों परिवार हैं, जिन्होंने ‘रूपचंद’ यानी ‘पैसे’ को ही अपना सब कुछ मान लिया है. यही कारण है कि यहां की अधिकतर महिलाओं ने सरकारी कागज़ों में अपने बेटे, पति और पिता का नाम ‘रूपचंद’ लिखवाया हुआ है.

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