कश्मीर की आयशा अजीज़, भारत की सबसे कम उम्र की पायलट बन गई हैं, लेकिन ये उनकी ज़िंदगी की पहली उपलब्धी नहीं है. इससे पहले साल 2011 में आयशा सबसे कम उम्र में स्टूडेंट पायलट का लाइसेंस पाने वाली स्टूडेंट बनी थीं. आयशा कश्मीरी हैं, और उन्होंने अपनी प्लाइंग का पहला लाइसेंस रूस के फ़्लाइंग स्कूल सोकोल एयरबेस से प्राप्त किया. वहां उन्होंने MIG-29 उड़ाना सीखा. 

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इसके बाद वो भारत वापस आईं और बॉम्बे फ़्लाइंग क्लब जॉइन किया और वहां से डिग्री लेकर आज कॉमर्शियल पायलट बन गई हैं. आयशा बताती हैं कि बीते कुछ सालों में कश्मीर की महिलाओं ने पढ़ने और आगे बढ़ने की तरफ कदम बढ़ाया है और उनकी स्थिती में सुधार भी हुआ है.  

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इस पेशे को लेकर आयाशा का कहना है कि मुझे शुरू से उड़ना और घूमना काफ़ी पसंद था. उन्हें 9 से 5 वाली बोरिंग जॉब हमेशा से पसंद नहीं थी. यही कारण था कि उन्होने इस काम को चुना. इतना ही नहीं उन्हें इस पेशे की ज़िमेदारियों का भी पूरा एहसास है. उनके मुताबिक 200 यात्रियों की ज़िंदगी का दारोमदार पायलट के हाथों में होता है और ये कोई आसान काम नहीं.