Indian Couple Fights To Get Daughter Back: 2011 में एक इंडियन कपल ने नॉर्वे में अपने बच्चों को पाने की लड़ाई लड़ी थी. वहां की सरकार ने सांस्कृतिक मतभेद का तर्क देते हुए उनपर ये आरोप लगाया था कि वो बच्चों की सही देखभाल नहीं कर रहे हैं.
अपने बच्चों को पाने के लिए उन्होंने काफ़ी संघर्ष किया और ये लड़ाई जीती भी. अब इस पर एक मूवी भी Mrs Chatterjee Vs Norway बन गई है जो इस वीकेंड रिलीज़ हो रही है. लेकिन आज हम इस फ़िल्म की नहीं इसी कहानी से मिलती-जुलती एक और इंडियन कपल की बात करेंगे, जो जर्मनी में कुछ ऐसे ही केस का सामना कर रहे हैं.
Indian Couple Fights To Get Daughter Back
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2021 से फ़ॉस्टर केयर में है बेटी
हम बात कर रहे हैं जर्मनी में रहने वाले भावेश और धारा शाह की. इनकी बेटी को साल 2021 की में वहां की सरकार ने अपनी कस्टडी में लेकर फ़ॉस्टर केयर में भेज दिया. उन पर बेटी के साथ सेक्सुअल असॉल्ट करने के आरोप लगे हैं, जो ग़लत हैं. धारा शाह ने एक इंटरव्यू में बताया समस्या तब खड़ी हुई जब उनकी बेटी अरिहा शाह का एक एक्सीडेंट का शिकार हुई. उनकी बेटी के जननांगों पर चोट लग गई. उन्होंने तुरंत बेटी को अस्पताल पहुंचा उसका इलाज करवाया.
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दंपत्ति पर लगे असॉल्ट के आरोप
इस बात का पता जब वहां के प्रशासन को लगा तो उन्होंने बेटी को ठीक होने के बाद फ़ॉस्टर केयर सेंटर भेज दिया. शाह दंपत्ति ने बताया कि डॉक्टर्स ने रिपोर्ट में असॉल्ट की बात नहीं मेंशन की फिर भी उन्होंने उनकी एक न सुनी और उनकी बेटी से उनको अलग कर दिया. अब लगभग 1.5 साल हो गए हैं और अभी तक उन्हें उनकी बेटी वापस नहीं मिली है.
मदद की तलाश में आए भारत
धारा शाह का कहना है कि केस लड़ते-लड़ते वो कर्ज तले दब गए हैं, होली के दौरान उन्होंने बेटी को बाहर त्यौहार मनाने के लिए आने का आग्रह किया था, लेकिन जर्मनी के प्रशासन ने उनकी कोई हेल्प नहीं की. थक हारकर उन्हें इंडिया आना पड़ा. यहां आकर उन्होंने सबसे पहले महाराष्ट्र के उप-मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस से मुलाकात कर मदद की गुहार लगाई.
पीएम मोदी से की मदद की अपील
उन्होंने पीएम मोदी से भी अपील की है अपनी बेटी को वापस पाने के लिए. धारा शाह ने बताया कि, फ़ॉस्टर केयर में उनकी बेटी को हिंदी भाषा नहीं सिखाई जा रही है और न ही भारतीय परंपरा का कोई ज्ञान उसे दिया जा रहा है. बेटी से मिलने की उनकी अर्जी तक खारिज कर दी गई.
मामले को ज़बरदस्ती खींच रहे
धारा ने कहा– ‘DNA टेस्ट, मेडिकल जांच और पुलिस जांच रिपोर्ट देने के बाद भी अथॉरिटी ने असॉल्ट का केस तो हटा लिया गया, लेकिन अभी तक उन्होंने हमारी बेटी को नहीं लौटाया. Berlin Child Care अधिकारी मामले को ज़बरदस्ती खींच रहे हैं. मगर मैं हार मानने वाली नहीं हूं.’
वहां पर उनकी निष्पक्ष सुनवाई नहीं हो रही थी, इसलिए अब वो भारत लौटे हैं. उन्हें उम्मीद है कि यहां की सरकार उनको न्याय दिलाने में मदद करेगी. इस सिलसिले में दंपत्ति ने विदेश मंत्री जयशंकर से भी हाथ जोड़ मदद करने की अपील की है. उनका मानना है कि यदि पीएम और विदेश मंत्री इस मामले को देखेंगे तो उन्हें जल्द न्याय मिलेगा.