24 सितंबर 2014 को भारत ने वो कर दिखाया, जो दुनिया में पहले कभी नहीं हुआ था. जब हम सब अपने बिस्तर में सो रहे थे तो भारत का मंगलयान मंगल की कक्षा में स्थापित हो रहा था.
लाल ग्रह मंगल की कक्षा में अपने उपग्रह को पहली ही बार में सफलतापूर्वक स्थापित करने वाला दुनिया का पहला देश बन गया भारत. एशिया में चीन, जापान ने बेशक बहुत तरक्की की है, मगर मिशन मंगल में हमने उनको भी मात दे दी.
हमारे वैज्ञानिकों ने हमारे सिर को ऊंचा उठा दिया. यहां कुछ ऐसे तथ्य पेश कर रहे हैं जिससे हर भारतीय का सिर गर्व से ऊंचा हो जाएगा—
1. पहली ही बार में मंगल की कक्षा में अपना उपग्रह स्थापित करने का करिश्मा भारत ने कर दिखाया. पूरी दुनिया को इसकी तारीफ करनी पड़ी.
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2. सबसे कम लागत में सफल हुआ मंगलयान.
भारत ने मिशन मंगल के लिए केवल 74 मिलियन डॉलर का खर्च किया. हाल ही में आई हॉलीवुड की फिल्म ग्रेविटी पर 100 मिलियन डॉलर का खर्च हुआ था.
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3. यदि बात करें प्रति व्यक्ति खर्च की तो भारत के प्रत्येक नागरिक के हिस्से केवल 5 रुपये आते हैं.
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4. 780 मिलियन किलोमीटर के लिए 450 करोड़ रुपये का खर्च किया गया. एक किलोमीटर पर 5.77 रुपये खर्च हुए. 5.77 रुपये प्रति किलोमीटर से ज्यादा तो हमारे यहां ऑटोरिक्शा चार्ज करते हैं.
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5. दुनिया की सबसे बड़ी अंतरिक्ष एजेंसी नासा को अपने मंगल मिशन के लिए 5 साल की मेहनत और इंतजार करना पड़ा. भारतीय एजेंसी इसरो ने इसके लिए केवल 15 महीने लिए और पहली ही बार में मंगल फतह कर लिया.
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6. ये तथ्य भी ग़जब है. इस उपग्रह का वजन केवल 1350 किलोग्राम था. और हमारे यहां कई एसयूवी कारों का वजन इससे ज्यादा होता है.
7. दुनिया में अब तक 51 बार मंगल पर पहुंचने की कोशिश हुई है. इन 51 कोशिशों में से केवल 21 बार सफलता मिली है मतलब 50 प्रतिशत से भी कम. मगर भारत की सफलता 100 प्रतिशत है.
8. मंगल पर पैर जमाने के बाद भारत अब अमेरिका, रूस और यूरोप जैसे बड़े देशों की श्रेणी में शामिल हो गया है.
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9. इतनी कम कीमत में मंगल पर पहुंचकर भारत ने दिखा दिया है कि यहां इंजीनियरिंग बड़े स्तर पर हो सकती और कम कीमत पर भी.
10. नीचे दिए ट्वीट से ज़ाहिर होता है कि भारत को अब किस नज़रिए से देखा जा रहा है. पहला ट्वीट नासा के ‘क्यूरोसिटी रोवर’ की तरफ से किया गया है, जिसमें लिखा है कि नमस्ते. इसी ट्वीट में भारतीय अंतरिक्ष एजेंसी इसरो को बधाई दी गई है. दूसरा ट्वीट इसरो ने किया है.