पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव के प्रचार के बीच मोदी सरकार का एक विज्ञापन इस वक़्त ख़ासी सुर्ख़ियां बटोर रहा है. दरअसल, 25 फ़रवरी को कोलकाता के कुछ अख़बारों में एक विज्ञापन निकला है, जिसका शीर्षक ‘आत्मनिर्भर भारत, आत्मनिर्भर बंगाल’ है. इसमें दावा किया गया कि ‘प्रधानमंत्री आवास योजना’ के तहत बंगाल में अब तक 24 लाख लोगों को आवास मिल चुके हैं.

इस विज्ञापन में एक तरफ़ प्रधानमंत्री मोदी की तस्वीर है और दूसरी तरफ़ कोलकाता की रहने वाली लक्ष्मी देवी की. महिला के हवाले से कहा गया कि ‘प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत मुझे अपना घर मिला है.’

हालांकि, दिलचस्प बात ये है कि लक्ष्मी देवी को कोई घर नहीं मिला है और न ही उन्हें इस विज्ञापन के बारे में पहले से कोई जानकारी थी. उनके पास ख़ुद का घर तो छोड़िए, जो किराए का कमरा भी है उसमें तक सोने की जगह नहीं है. 

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IndiaToday की रिपोर्ट के मुताबिक, कोलकाता के बहू बाज़ार के मलिंगा लेन में रहने वाली लक्ष्मी देवी को कोई आवास नहीं मिला है. वो 500 रुपये पर किराए के मक़ान में रहती हैं. उन्हें ऐसी किसी योजना के बारे में न पता है और न ही उन्हें इसका कोई लाभ मिला है. उन्हें ये भी नहीं पता है कि उनकी ये तस्वीर कब ली गई. जब वो सोकर उठीं तो लोगों ने बताया कि उनकी तस्वीर अख़बार में छपी है. 

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उन्होंने बताया कि सात लोगों का परिवार एक छोटे से किराए के कमरे में रहता है. उसमें सबके सोने की जगह भी नहीं होती, इसलिए वो बाहर सोती हैं. उनके पास शौचालय तक की सुविधा नहीं है. इस बारे में बीजेपी ऑफ़िस से संपर्क करने पर लक्ष्मी देवी कहती हैं, ‘मैंने किसी से बात नहीं की. मैं पढ़ी-लिखी नहीं हूं और मुझे इन सबके बारे में कोई जानकारी भी नहीं है.’

अब ऐसे में ये सवाल उठना लाज़मी है कि जब विज्ञापन में छपी महिला तक को घर नहीं मिला है, तो फिर 24 लाख अनदेखे लोगों में से कितनों को प्रधानमंत्री आवास योजना का लाभ मिला होगा?