Kuku Ram Inspiring Story : ये बात हम सभी जानते हैं कि ज़िंदगी आसान नहीं होती. उतार-चढ़ाव इसका एक अहम हिस्सा है, जिसका सामना हम सभी को करना पड़ता है. हालांकि, जिसकी आर्थिक स्थिति मज़बूत ना हो, उसके लिए परेशानियां थोड़ी आम लोगों से ज़्यादा बढ़ जाती हैं. लेकिन कुछ लोग उन सभी कठिनाइयों का सामना करके अपनी ख़ुद की जगह बनाते हैं. इन्हीं में से एक शख्स कुकू राम हैं, जिन्होंने 53 साल की उम्र में ‘मिस्टर वर्ल्ड’ का ख़िताब जीता है. 

वो एक अस्थायी सफ़ाई कर्मचारी हैं. उन्होंने गरीबी, सफ़ाई और मुफ़लिसी से निकलकर जो कर दिखाया है, वो सैंकड़ों लोगों के लिए प्रेरणा है. थाईलैंड में दिसंबर में हुई बॉडी बिल्डिंग की मिस्टर वर्ल्ड चैंपियनशिप में उन्होंने 50 साल से ज़्यादा उम्र की कैटेगरी में गोल्ड मैडल जीता है. आइए आपको कुकू राम की इंस्पायरिंग स्टोरी के बारे में बताते हैं.

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स्कूल छोड़कर की मजदूरी

कुकू की ज़िंदगी कभी आसान नहीं थी. उनका बचपन काफ़ी ग़रीबी में बीता, जिसकी वजह से बेहद कम उम्र में ही उन पर ज़िम्मेदारियों का बोझ आ गया. बात यहां तक पहुंच गई कि परिवार का 3000 रुपए का कर्ज़ चुकाने के लिए उन्हें अपनी पढ़ाई छोड़ देनी पड़ी. उन्होंने स्कूल छोड़ दिया और 6 साल तक पटियाला में एक डेयरी मालिक के यहां बंधुआ मजदूरी की. यहां सिर्फ़ उन्हें खाने और रहने को ही मिलता था. यहां से फिर उन्होंने किसी तरह अपनी जान छुड़ाई.  

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नगर पालिका में की अस्थायी कर्मचारी की नौकरी

बंधुआ मजदूरी जब उन्होंने छोड़ दी, तब बात उनकी आजीविका पर आ गयी. अपनी रोजी-रोटी चलाने के लिए उन्हें रिक्शा खींचना पड़ा. इसके बाद उन्होंने 15 साल में नगर पालिका में सफ़ाई कर्मचारी की नौकरी की. जब अस्थाई कर्मचारियों को स्थाई करने की बात आई, तो बदले में घूस के तौर पर मोटी रक़म मांगी गई. कुकू के पास घूस देने के लिए रुपए नहीं थे. इसके बाद अस्थाई सफ़ाई कर्मचारी की नौकरी से भी उन्हें हाथ धोना पड़ा. 

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शारीरिक व्यायाम ने बदली ज़िन्दगी

सफ़ाई कर्मचारी की अस्थाई नौकरी छूटने के बाद कुकू के जीवन में दुःखों का पहाड़ टूट पड़ा. कुछ समय बाद उन्होंने घर से 25 किलोमीटर दूर राजपुरा के कोर्ट कॉम्प्लेक्स में नौकरी जॉइन की. लेकिन इस बीच उन्होंने शारीरिक व्यायाम नहीं करना छोड़ा. इसने उनकी ज़िन्दगी बदल दी. 

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कैसे की बॉडी बिल्डिंग की शुरुआत?

कुकू के मुताबिक उनकी बॉडी बिल्डिंग की शुरुआत छत पर गोबर के उपले ले जाने में मां की मदद से शुरू हुई. वो समय बचाने के लिए बड़ी झाल में उपलों को भरते थे और फिर उन्हें ढोते थे, जिसके चलते उनकी मसल्स बनीं. जहां वो काम करते थे, वहां भी उन्हें पौष्टिक खाना मिलता था. इसके चलते उनकी सेहत बनती गई. 

बॉडी बिल्डिंग के शौक के चलते वो 16 साल की उम्र में केसर पहलवान के अखाड़े में भर्ती भी हुए थे, लेकिन पैसों की तंगी के चलते उन्हें वो छोड़ना पड़ा. थाईलैंड में वर्ल्ड चैम्पियनशिप में हिस्सा लेने के लिए उनकी कोर्ट के कर्मचारियों और वकीलों ने मदद की. अब कुकू की सरकार से अपील है कि उनका क़र्ज़ बढ़ता जा रहा है. अगर उन्हें रेलवे या पुलिस में सरकारी नौकरी मिल जाए, तो उनकी बड़ी मदद हो सकती है. 

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