Custodial Deaths: पुलिस का काम आरोपी को पकड़ना है और न्यायालय का काम अपराध साबित होने पर सज़ा देना. ऐसे में पुलिस की ज़िम्मेदारी होती है कि आरोपी शख़्स को कोर्ट के सामने पेश करे. मगर कई बार ऐसा देखा गया है कि पुलिस हिरासत में ही व्यक्ति की हत्या (Murder In Police Custody) हो जाती है. कभी हत्या का आरोप पुलिस पर सीधे लगता है या फिर कभी कोई दूसरा अपराधी इस जघन्य अपराध को अंजाम देता है. दोनों ही सूरतो में ज़िम्मेदारी पुलिस की बनती है. (Action Against Police In Custodial Deaths)
ऐसे में आइए जानते हैं कि पुलिस कस्टडी में किसी आरोपी की हत्या पर लापरावाह पुलिस अफ़सरों पर क्या कार्रवाई हो सकती है?
पुलिस वालों पर केस
पुलिस हिरासत में किसी की मौत होने पर तत्काल प्राथमिकी दर्ज की जानी चाहिए. साथ ही, सीआरपीसी की धारा 176 के तहत, मजिस्ट्रेट को हिरासत में हुई मौत पर पुलिस जांच से अलग एक स्वतंत्र जांच अनिवार्य तौर पर करानी है. मौत के 24 घंटे के अंदर ‘जांच मजिस्ट्रेट’ को पोस्टमार्टम के लिए शव को जिला सर्जन के पास भेजना चाहिए.
Action Against Police In Custodial Deaths
कानून के जानकारों के मुताबिक, पुलिस कस्टडी में अपराधी की हत्या पर जवाबदेह पुलिस वालों पर धारा 302 (हत्या), 304 (गैर इरादतन हत्या), 304ए (गैर-ज़िम्मेदारी से हत्या) और 306 (खुदकुशी के लिए उकसाने) के तहत केस चलाया जा सकता है. इतना ही नहीं, पुलिस अधिनियम के तहत भी लापरवाह और संबंधित पुलिस अधिकारियों के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई की जा सकती है.
हालात, परिस्थितियां और गवाही के आधार ज़िम्मेदार पुलिस अफ़सर को इन धाराओं में से किसी का सामना करना पड़ सकता है. इन धाराओं के तहत हत्या या हत्या के प्रयास के तहत मिलने वाली कानूनन सजा मान्य हो सकती है.
वहीं, दूसरी तरफ पुलिस कस्टडी में आरोपी की हत्या को लेकर पुलिस अधिनियम 1861 की धारा 7 और 29 के आधार पर गैर जिम्मेदार अधिकारी को निलंबित या फिर बर्खास्त किया जा सकता है.
पुलिस कस्टडी में मौत का आंकड़ा
सुप्रीम कोर्ट पुलिस हिरासत में किसी की मौत या हत्या को लेकर गंभीर टिप्पणी कर चुका है. इसे जघन्य माना है लेकिन पुलिस हिरासत में मौत की घटनाएं बदस्तूर जारी है. केंद्रीय गृह मंत्रालय ने राज्यसभा में जानकारी दी थी कि साल 2017 से 2022 के बीच पुलिस हिरासत में मौत के कुल 669 मामले दर्ज किए गए हैं. (Death Cases In Police Custody)
पांच सालों में पुलिस कस्टडी के दौरान सबसे ज़्यादा मौतें गुजरात में हुईं. यहां कुल 80 लोगों की पुलिस हिरासत में मौत हुई. वहीं, 76 मौतों के साथ महाराष्ट्र दूसरे नंबर पर और 41 मौतों के साथ उत्तर प्रदेश का तीसरा स्थान है.
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