जिस तरह मेढक बरसात में बाहर आते हैं, वैसे ही नेता चुनाव में. उसके बाद दोनों ही अपने-अपने बिल में दुबक जाते हैं. मेढक से फिर शिकायत नहीं रहती, क्योंकि उसने हमसे कोई वादा नहीं किया होता. मगर नेताओं के अधूरे वादे याद कर मन किलस जाता है. ओडिशा के एक ट्रक ड्राइवर रंजीन नायक के साथ भी कुछ ऐसा ही हुआ. पिछले दो चुनावों से वो सुन-सुन कर थक गए कि उनके गांव की नदी पर पुल बनेगा. मगर जब ऐसा नहीं हुआ तो रंजीत ने अपनी पत्नी के जेवर गिरवी रख कर पुल बनवा दिया है. (Odisha Driver Pawns wife Jewellery To Build Bridge)
नदी पार करने की कोशिश में ज़ख़्मी हो जाते थे लोग
ये घटना रायगड़ा ज़िले के काशीपुर ब्लॉक के गुंजरमपंजारा गांव की है. रिपोर्ट के मुताबिक, 26 वर्षीय रंजीत के गांव में 100 परिवार रहते हैं. नेता चुनावी वादे करते आ रहे थे कि बिछला नदी पर पुल बनवाया जाएगा. ताकि, गांववाले पास के कालाहांडी ज़िले में बने ज़िला अस्पताल तक आसानी से पहुंच सके. मगर ऐसा हुआ नहीं.
नदी पार करने की कोशिश में बहुत से लोग ज़ख़्मी होते थे. नदी गहरी नहीं थी लेकिन बहाव तेज़ था. पुल पार करने की कोशिश में मोटरसाइकिल तक बह जाती थी. रंजीत ने कई बार नेता और प्रशासन से गुहार लगाई कि पुल बन जाएगा तो गांव वाले आसानी से कालाहांडी और नबरंगपुर ज़िलों तक सफ़र कर सकेंगे. मगर किसी ने नहीं सुनी.
पुल के लिए गिरवी रख दिए पत्नी के जेवर
ऐसे में रंजीत ने जून 2022 में प्रशासन और सरकारी अधिकारियों से उम्मीद करना छोड़ दिया. और ख़ुद ही गांव की समस्या को दूर करने की ठानी. हालांकि, उनके पास इतना पैसा नहीं था कि कॉन्क्रीट का पुल बना सकें. ऐसे में उन्होंने लकड़ी का पुल बनाने का सोचा.
मगर उसके लिए भी रंजीत के पास पैसा नहीं था. ऐसे में उन्होंने अपनी पत्नी के जेवर गिरवी रख कर 70,000 रुपये का इंतज़ाम किया. जिसके बाद बांस, लकड़ी जैसा पुल बनाने का सामान ख़रीद लाए. पुल बनाने में रंजीत के पिता कैलाश ने भी साथ दिया. दोनों ने मिल कर पुल बनाना शुरू किया.
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बता दें, रंजीत ने पुल बनाने के लिए ट्रक ड्राइविंग का काम भी कुछ दिनों के लिए छोड़ दिया. आख़िरकार, नवंबर 2022 में पिता और बेटे ने मिल कर पुल तैयार कर लिया. पुल भले ही लकड़ी से बना है, मगर इतना मज़बूत है कि इस पर आसानी से दोपहिया वाहन चलाए जा सकते हैं.
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