कुछ कहानियां ख़ुशी देने के साथ-साथ आंखों में नमी दे जाती हैं. एक ऐसा ही वाकया असम में देखने को मिला, जिसे जानकर आप ख़ुश भी होंगे और आंखें भी भर आएंगी. ये कहानी असम के डिब्रूगढ़ ज़िले की है, जहां एक 20 वर्षीय लड़की रोज़ाना साइकिल पर सब्ज़ी बेचने के लिये घर-घर जाती है. ताकि परिवार का पेट भर सके. 

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परिवार के लिये जनमोनी गोगोई की ये मेहनत देख असम से पुलिस से रहा नहीं गया और उन्होंने उसे दुपहिया वाहन गिफ़्ट कर दिया. हांलाकि, पुलिस ने उसे आर्थिक सहायता पहुंचाने की कोशिश भी की, पर उसने आर्थिक मदद लेने से मना कर दिया. दरअसल, कुछ समय पहले ही सोशल मीडिया पर जनमोनी की एक तस्वीर ख़ूब शेयर की जा रही थी, जिसमें में वो साइकिल में दो बड़े-बड़े थैले लटकाये हुए दिखाई दे रही थी. इस तस्वीर पर असम पुलिस की नज़र पड़ी और उन्होंने जनमोनी के बारे में पूरी जानकारी इकठ्ठा की. 

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पुलिस उप-अधीक्षक पल्लवनमुमेद का कहना है कि उसने आर्थिक मदद लेने से इंकार कर दिया था. इसलिये हमने उसे दुपहिया वाहन उपहार में देने का फ़ैसला किया. ताकि वो ज़्यादा मात्रा में सब्ज़ी ले जा सके. जनमोनी डिब्रूगढ़ ज़िले के बोगीबील इलाके की निवासी है. जनमोनी का कहना है कि उसके पिता 18 सालों से बीमार हैं. वो चल फिर नहीं सकते है. वो पिछले 2 सालों से बोरबारुहा बाज़ार में सब्ज़ी बेचने में मां की मदद कर रही है. 

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वहीं 25 मार्च से देशभर में लॉकडाउन घोषित होने के बाद से वो साइकिल से घर-घर जाकर सब्ज़ी बेच रही है. जनमोनी कक्षा 12 तक पढ़ी हुई है और उसके बाद से उसने परिवार की मदद के लिये सब्ज़ी बेचना शुरू कर दिया. जनमोनी की मां मोनोमोटी का कहना है कि अगर उनकी बेटी सब्ज़ी बेचकर पैसे न कमाये, तो लॉकडाउन के दौरान घर चलाना काफ़ी मुश्किल हो जाता है. 

असम पुलिस की दरियादिली के लिये उनकी जितनी तारीफ़ की जाये कम हो जाए. 

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