‘मैं मर जाऊं तो मेरी एक अलग पहचान लिख देना, लहू से मेरी पेशानी पे हिन्दुस्तान लिख देना’


‘शाख़ों से टूट जाएँ वो पत्ते नहीं हैं हम, आँधी से कोई कह दे कि औक़ात में रहे’  

‘फूलों की दुकानें खोलों ख़ुशबू से व्यापार करो, इश्क़ ख़ता है, तो ये एक बार नहीं, सौ बार करो’ 

हमारे आस-पास हर चीज़ होगी बस महफ़िल में ऐसी शानदार शायरियों की कमी होगी. बड़े ही दुख के साथ कहना पड़ रहा है कि राहत इंदौरी साहब अब हमारे बीच नहीं रहे. कई बड़ी हस्तियों ने ट्वीट करके इस ख़बर की पुष्टि की है. 

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रिपोर्ट के मुताबिक, कोरोना से संक्रमित होने के बाद उन्हें इंदौर के अरबिंदो अस्पताल में एडमिट कराया गया था. बताया जा रहा है कि अस्पताल में भर्ती होने के बाद उन्हें दो बार हार्ट अटैक भी आया था. कोरोना की रिपोर्ट पॉज़िटिव आने के बाद रविवार को उन्हें हॉस्पिटल ले जाया गया था. 

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हॉस्पिटल के डॉक्टर विनोद भंडारी का कहना है कि उन्हें 60 प्रतिशत निमोनिया था. उनके 70 प्रतिशत फेफड़े बेकार हो चुके थे. इसके अलावा वो हाईपरटेशंन और डायबिटीज़ से भी जूझ रहे थे. 

आप बहुत याद आयेंगे इंदौरी साहब. 

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