सोशल मीडिया पर खाने से लेकर गाने तक और घूमने से लेकर बाल कटाने तक हर बात शेयर कर दी जाती है. लेकिन जब बात आती है अपने किसी ख़ास, समझ रहे हो न! एकदम ख़ास को अपनी पोस्ट में शामिल करने की तो हम चुप्पे से किनारे हो लेते हैं. वो लाख कहती रहें कि ‘जानू हम दोनों साथ में कितने क्यूट लगते हैं, चलो न एक इंस्टा पे पोस्ट हो जाए.’ लेकिन आप नहीं मानते. ‘बेबी हम क्यूट हैं ये दूसरे को क्यों बताना, मेरे बाबू को कहीं नज़र लग जाए तो?’

बस यूं हीं आप खेल जाते हैं. Carnegie Mellon University और University of Kansas ने भी अपनी रिसर्च में इस बात की पुष्टि की है कि सोशल मीडिया पर ओवरशेयरिंग ठीक बात नहीं है. लेकिन चूंकि आजकल इंसान अपनी हर बात सोशल मीडिया पर शेयर करने लगा है, ऐसे में इस रिसर्च में पाया गया कि अगर आप भी उन शेयरबाज़ों में से एक हैं, तो आपको अपने पोस्ट में उस ख़ास शख़्स को भी शामिल करना चाहिए. इससे आपका रिलेशनशिप मस्त चलेगा.
इस रिसर्च में शामिल University of Kansas के मनोविज्ञान के प्रोफ़ेसर Omri Gillath ने कहा कि, जब आप अपनी पोस्ट में अपने साथी के साथ रिलेशनशिप की ऑनलाइन पुष्टि करते हैं या फिर उसके साथ तस्वीर शेयर करते हैं तो ये आपके रिलेशनशिप के लिए अच्छा होता है. इससे सैटिसफ़ैक्शन के साथ-साथ इंटीमेसी भी बढ़ती है. साथ ही ऑनलाइन डिस्क्लोज़र के निगेटिव एफ़ेक्ट्स से भी आप बच जाते हैं.

अपने पांच अध्ययनों में शोधकर्ताओं ने तुलना करते हुए बताया कि तब क्या होता है, जब लोग सोशल मीडिया पर व्यक्तिगत जानकारी पोस्ट करते हैं और ये कैसे उनके रोमांटिक संबंधों और मित्रता में अंतरंगता और संतुष्टि को प्रभावित करता है. उन्होंने ये भी अध्ययन किया कि उस वक़्त क्या होता है, जब एक व्यक्ति अपने रिश्ते के बजाय ख़ुद के बारे में पोस्ट करता है. उन्होंने पाया कि अगर रोमांटिक पार्टनर को पोस्ट में शामिल नहीं किया जाता है तो वो अलग-थलग और कम स्पेशल महसूस करने लगता है. हालांकि, दोस्तों के साथ ऐसा नहीं होता है. उन्हें रोमांटिक पार्टनर जितना फ़ोमो फ़ील नहीं होता है.
बता दें, ये अपनी तरह का पहला इतना व्यवस्थित रिसर्च है, जो ये बताता है कि हम जो ऑनलाइन शेयर कर रहे हैं, वो किस तरह हमारे रिलेशनशिप्स को एफ़ेक्ट करता है. साथ ही इंटरनेट के आसपास कैसे हमारी पूरी दिनचर्या केंद्रित हो गई है.

एक बात और इसका रिसर्च का मतलब ये नहीं है आप तुरंत अपनी पर्सनल लाइफ़ सोशल मीडिया पर उड़ेल दें. वैसे भी बेहतर यही है कि अपनी ज़िंदगी को डिज़िटल प्लेटफ़ॉर्म पर सोशल बनाने के बजाय अपने साथी को ज़्यादा वक़्त दें. एक-दूसरे की असुरक्षा की भावना को समझे और कम करने की कोशिश करें.