सरबजीत सिंह उर्फ़ बॉबी, एक ऐसा शख़्स जिसे लोग ‘वेला’ बुलाते थे. वेला यानि जिस आदमी के पास कोई काम नहीं है. मगर आज यही शख़्स शिमला में ऐसे काम कर रहा है, जिससे न सिर्फ़ हिमाचल बल्क़ि पूरे देश को उस पर गर्व है. (Sarbjeet Singh aka Vella Bobby Giving Free Ambulance Service In Shimla)

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वेला बॉबी के नाम से मशहूर सरबजीत सालों से शहर के अस्पताल से श्मशान तक शवों को ले जाने का काम मुफ़्त में कर रहे हैं. इतना ही नहीं, वो तीमारदारों और मरीज़ों के लिए मुफ़्त खाना और ब्लड डोनेशन कैंप तक लगवाते हैं.

जूतों की दुक़ान चलाने वाला बना मसीहा

सरबजीत शिमला में जूतों की दुक़ान चलाते हैं. उन्हें शुरू से गाड़ी चलाने का शौक़ था. वो हमेशा से ही लोगों की मदद करते आ रहे थे. फिर बाद में उन्होंने अपना काम छोड़कर शव वाहन चलाना शुरू कर दिया. वो मुफ़्त में ही शहर के अस्पताल से श्मशान तक शवों को ले जाने का काम करने लगे.

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Sarbjeet Singh aka Vella Bobby Giving Free Ambulance Service In Shimla

बॉबी खुद को वेला पुकारे जाने पर बुरा नहीं मानते, बल्कि अब तो ये उनका नाम ही पड़ गया है. क्योंकि, सालों से वो अपना काम छोड़कर मुफ़्त में शव वाहन चला रहे हैं.

सरबजीत कहते हैं कि शिमला में श्मशान काफ़ी दूर है. पैदल पहुंचना मुश्किल होता है. ग़रीब लोगों को काफ़ी परेशानी उठानी पड़ती है. उन लोगों के लिए श्मशान तक पहुंचने के लिए शव वाहन का इंतज़ान करना बड़ा मुश्किल था. ऐसे में सरबजीत ने उनकी मदद करने का फ़ैसला किया. आज सरबजीत की सेवा उन लोगों के लिए किसी वरदान से कम नहीं है और इस काम के लिए वो दिन-रात हाज़िर रहते हैं.

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हज़ारों लोगों की कर चुके हैं मदद

सरबाजीत पिछले 10 सालों से लगातार ये काम कर रहे हैं. वो अब तक हज़ारों लोगों की अंतिम यात्रा पूरी करवा चुके हैं. इनमें से ज़्यादातर ग़रीब लोग थे, जिनका शिमला कैंसर अस्पताल में निधन हो गया था. इसके अलावा, सरबजीत हर रविवार, शहर के अस्पतालों की मदद से अपने ख़र्च पर ब्लड कैंप लगाते हैं. पहले वो यही काम गुरुद्वारों के बाहर करते थे.

वो कहते हैं, ‘राजधानी शिमला में प्रदेश भर से लोग इलाज कराने आते हैं. शिमला के प्रमुख अस्पतालों इंदिरा गांधी मेडिकल कॉलेज और कमला नेहरू अस्पताल में हमेशा खून की कमी रहती है. इसलिए मैंने इन मरीज़ों की मदद के लिए ब्लड डोनेशन कैंप लगवाए.’

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उन्होंने ‘ऑलमाइटी ब्लैसिंग्स’ नाम की एक संस्था भी बनाई है. इसके ज़रिए वो शहर भर में चार कैंटीन चला रहे हैं, जहां पर मरीज़ और उनके रिलेटिव्स को मुफ़्त खाना मिलता है. वाक़ई, अगर हर कोई सरबजीत जितना वेला होने लगा तो दुनिया में कोई भी ज़रूरतमंद खाली हाथ सड़कों पर नज़र नहीं आएगा.

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