सुप्रीम कोर्ट ने बीते सोमवार को एक बलात्कार के आरोपी से पूछा कि क्या वो सर्वाइवर से शादी करेगा. सुप्रीम कोर्ट की इस पीठ में सीजीआई बोबड़े, जस्टिस ए.एस.बोपन्ना और जस्टिस वी.रामसुब्रमण्यम थे.  

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Live Law की रिपोर्ट के अनुसार, याचिकाकर्ता मोहित सुभाष चवन (अब 23 वर्ष) पर 2014-15 में एक 16 साल की लड़की का रेप करने का आरोप लगा था. चवन के वक़ील एडवोकेट आनंद दिलीप ने कहा कि अगर याचिकाकर्ता की रेप केस में गिरफ़्तारी होती है तो वो सरकारी नौकरी से बर्ख़ास्त कर दिए जाएंगे.  

जस्टिस बोबड़े ने कहा कि याचिकाकर्ता को इस बार में लड़की को सेड्यूस करने और रेप करने से पहले सोचना था. सरकारी नौकर को तो ये पहले से पता होगा. 

हम तुम्हें शादी करने के लिए बाध्य नहीं कर रहे हैं. हमें ये बताओ कि शादी करोगे या नहीं. 

-CJI बोबड़े

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याचिकाकर्ता ने सुप्रीम कोर्ट को इस बात की जानकारी दी कि शादी संभव नहीं है क्योंकि याचिकाकर्ता शादी-शुदा हैं. एडवोकेट दिलीप ने कोर्ट को बताया कि याचिकाकर्ता ने लड़की से शादी करने की इच्छा ज़ाहिर की थी, लड़की ने मना कर दिया था. 

सुप्रीम कोर्ट की पीठ ने याचिकाकर्ता को अरेस्ट से 4 हफ़्तों की राहत दे दी.  

रेप की घटना पर 2019 में IPC के सेक्शन 376, 417, 506 और POCSO एक्ट के सेक्शन 4 और 12 के तहत FIR दर्ज की गई. लड़की का आरोप था कि 2014-15 में जब वो 16 साल की थी और 9वीं कक्षा में पढ़ती थी तब आरोपी उसका पीछा करता था. क्योंकि आरोपी दूर का रिश्तेदार था तो वो घर भी आता-जाता था. लड़की ने बताया कि इसी दौरान एक दिन आरोपी उसके घर में पीछे के दरवाज़े से घुसा और उसका रेप किया. आरोपी ने लड़की को धमकी भी दी. लड़की ने बताया कि रेप के बाद भी आरोपी उसका पीछा करता था. लड़की ने बताया कि आरोपी हमेशा घर आता और उसके साथ सेक्शुअल इंटरकोर्स करता. लड़की ने डर की वजह से किसी को ये सब नहीं बताया.  

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लड़की ने बताया कि जब उसने सोशल वर्कर की मदद से केस दर्ज करने की कोशिश की तब आरोपी की मां शादी का प्रस्ताव लेकर आई. लड़की का ये भी आरोप है कि आरोपी ने अपनी अनपढ़ मां से स्टाम्प पेपर पर अंगूठा लगवाया जिस पर लिखा था कि आरोपी और लड़की के बीच अफ़ेयर था और कन्सेन्ट से दोनों के बीच सेक्शुअल इंटरकोर्स हुआ. जब लड़की बड़ी हो जाएगी तब दोनों के बीच शादी होगी लेकिन आरोपी ने किसी और से शादी कर ली.  

सत्र न्यायालय ने जब आरोपी को बेल दे दी तब लड़की ने बॉम्बे हाई कोर्ट में बेल खारिज करवाने की अर्ज़ी डाली. बॉम्बे हाई कोर्ट ने सेशन कोर्ट के बेल देने के निर्णय को ग़लत बताया और यहां तक कहा कि इस तरह का जजमेंट न्यायाधीश की क़ाबिलियत पर सवाल उठाता है.