Sedition Cases in the History of India : भारतीय दंड संहिता यानी इंडियन पीनल कोड में अलग-अलग अपराधों के लिए सज़ा का प्रावधान है. इसमें एक धारा Section 124 A भी है, जिसे राजद्रोह या देशद्रोह से जुड़ी गतिविधी में पाए जाने वाले व्यक्तियों पर लगाया जाता है. हालांकि, इस दौरान सुप्रीम कोर्ट ने इस कानून पर पुनरीक्षण होने तक रोक लगाई हुई है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि जब तक इस पर पुनरीक्षण नहीं होता है, तब तक Section 124 A के तहत एफ़आईआर दर्ज न की जाए.


बता दें कि देशद्रोह का क़ानून भारत पर ब्रिटिश राज के दौरान से है. वहीं, इस कानून के तहत अंग्रेज़ों ने कई भारतीय क्रांतिकारियों पर मुकदमा चलाया था.

इस लेख में हम आपको बताने जा रहे हैं अंग्रेज़ी शासन से लेकर अब तक किन-किन चर्चित चहरों पर Sedition Charge यानी राजद्रोह का आरोप लगाया जा चुका है.  

आइये, अब विस्तार से पढ़ते हैं आर्टिकल (Sedition Cases in the History of India).  

सबसे पहले जानिए 21वीं शताब्दी के कुछ फ़ेमस लोगों के बारे में जिनपर राजद्रोह का आरोप (Sedition Cases in the History of India) लगाया जा चुका है.

1. हार्दिक पटेल 

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पाटीदार ओबीसी आरक्षण आंदोलन के नेता हार्दिक पटेल पर 2015 में देशद्रोह के आरोप में केस दर्ज किया गया था. ये केस अहमदाबाद की क्राइम ब्रांच द्वारा दर्ज किया गया था. उनके साथ और 5 लोगों पर देशद्रोह के आरोप (Sedition Cases In India) में केस दर्ज किया गया था. ये केस अहमदाबाद में पटेल समुदाय की रैली में हुई हिंसा के बाद दर्द किया गया था. इससे पहले भी उनपर देशद्रोह के आरोप में केस दर्ज किया जा चुका है.

2. कन्हैया कुमार  

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Sedition Cases in the History of India : जेएनयू के पूर्व छात्र और कांग्रेस के नेता कन्हैया कुमार पर भी देशद्रोह के मामले में केस दर्ज (Sedition Cases in India) किया चुका है. ये केस जेएनयू में इस इवेंट के दौरान लगाए गए देशविरोधी नारों के बाद लगाया गया था. हालांकि, इन नारों में कन्हैया शामिल थे कि नहीं, ये अब तक सिद्ध नहीं हुआ है.  

3. अरुंधति रॉय  

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2010 में हुर्रियत नेता सैयद गिलानी, अरुंधति रॉय और कई अन्य लोगों पर एंटी-इंडिया स्पीच के मामले के लेकर दिल्ली पुलिस द्वारा देशद्रोह का केस दर्द किया गया था. सुशील पंडित नाम के व्यक्ति द्वारा दायर एक याचिका पर एक स्थानीय अदालत के निर्देश के बाद प्राथमिकी दर्ज की गई थी. सुशील पंडित ने आरोप लगाया था कि गिलानी और रॉय ने 21 अक्टूबर 2010 को “आजादी-द ओनली वे” पर एक सम्मेलन में भारत विरोधी भाषण दिए.  

4. बिनायक सेन  

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पेशे से एक बाल रोग विशेषज्ञ बिनायक सेन पर छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा कथित तौर पर नक्सलियों का समर्थन करने के लिए देशद्रोह का आरोप (sedition cases in India) लगाया गया था. हालांकि, उन्हें 15 अप्रैल, 2011 को भारत के सर्वोच्च न्यायालय द्वारा जमानत दी गई थी, जिसमें कहा गया था कि छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा आरोपी के खिलाफ राजद्रोह का कोई सबूत पेश नहीं किया गया था.  

5. असीम त्रिवेदी 

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असीम त्रिवेदी नाम के कानपुर के कलाकार पर ‘आपत्तिजनक’ कार्टून के लिए देशद्रोह का आरोप लगाया गया था. उन पर 2011 में मुंबई में भ्रष्टाचार विरोधी कार्यकर्ता अन्ना हजारे की एक रैली के दौरान संविधान का मजाक उड़ाने वाले बैनर लगाने और अपनी वेबसाइट पर पोस्ट करने का भी आरोप लगाया गया था.  

6. प्रवीण तोगड़िया 

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Sedition Cases in the History of India : राजस्थान सरकार ने 2003 में वीएचपी नेता पर राजद्रोह का आरोप लगाया था. उन पर राष्ट्र के खिलाफ युद्ध छेड़ने के प्रयास का आराप था.  

7. सिमरनजीत सिंह मान 

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शिरोमणि अकाली दल-अमृतसर के अध्यक्ष सिमरनजीत सिंह मान पर देशद्रोह (Sedition Cases in India) के चार अलग-अलग मामलों का आरोप लगाया गया था. ऑपरेशन ब्लू स्टार की 21वीं बरसी पर मान ने 6 जून 2005 को स्वर्ण मंदिर परिसर में खालिस्तान समर्थक नारे लगाए थे.

8. अकबरुद्दीन ओवैसी 

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Sedition Cases in the History of India: मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन के प्रेसिडेंट अकबरुद्दीन ओवैसी पर 22 दिसंबर 2012 को निर्मल में दिए गए कथित अभद्र भाषा के लिए करीमनगर की जिला पुलिस ने देशद्रोह का आरोप लगाया था. 

9. उमर खालिद  

indianexpress

कन्हैया कुमार के साथ उमर खालिद पर एंटी-इंडिया स्लोगन के आरोप में देशद्रोह का मामला दर्ज किया गया था. उन्हें अरेस्ट करके तिहाड़ जेल में डाल दिया गया था. खालिद अभी भी जेल में हैं, क्योंकि उनपर दिल्ली दंगे (2020) से जुड़े होने का आरोप है.  

ब्रिटिश काल के दौरान देशद्रोह का केस  

10. महात्मा गांधी 

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Sedition Cases in the History of India : जैसा कि हमने बताया कि देशद्रोह का कानून ब्रिटिश भारत के समय से है. अंग्रेज़ों ने देशद्रोह के आरोप में कई क्रांतिकारियों को जेल में डाल दिया था. 1922 में ब्रिटिश सरकार ने गांधी को सरकार विरोधी प्रदर्शनों में भाग लेने के लिए बॉम्बे में राजद्रोह के आरोप में गिरफ्तार किया था और उन्हें छह साल जेल की सजा सुनाई थी. हालांकि, उन्हें दो साल बाद चिकित्सकीय आधार पर रिहा कर दिया गया था.


महात्मा गांधी के अलावा, बाल गंगाधर तिलक, जवाहर लाल नेहरू, अबुल कलाम आज़ाद और विनायक दामोदर सावरकर पर भी देशद्रोह का चार्ज लगाया गया था.