Senior Citizen Business Entrepreneur: कहते हैं कि सफ़लता पाने की कोई उम्र नहीं होती. बस मन में मज़बूत विश्वास और कुछ कर दिखाने का दृढ़ संकल्प होना चाहिए. जो लोग सिर्फ़ उम्र को देखकर सोचने लगते हैं कि उम्र निकल गई, वो हमेशा हाथ पर हाथ धरे बैठे रहते हैं. ये सब मन की धारणाएं हैं कि युवाओं में जोश ज़्यादा होता है और उम्र ढलने के दौरान बुज़ुर्गों में ये जोश ठंडा पड़ने लगता है. सपने पूरे करने के लिए कभी देर नहीं होती.
आज हम आपको कुछ ऐसे ही सक्सेसफुल 11 लोगों के बारे में बताएंगे, जिन्होंने सीनियर सिटीज़न (Senior Citizen Business Entrepreneur) कहलाने के बाद अपना बिज़नेस शुरू किया और वो इसमें लगातार तरक्की कर रहे हैं.
Senior Citizen Business Entrepreneur
1. राधाकृष्ण चौधरी
85 साल की उम्र के पड़ाव में जहां लोग हार मान जाते हैं और घर पर बैठ जाते हैं, वहीं इस उम्र में राधाकृष्ण चौधरी ने अपना बिज़नेस शुरू किया है. लोग प्यार से उन्हें ‘नानाजी’ कहकर बुलाते हैं. उनकी कंपनी का नाम अविम हर्बल है और ये आयुर्वेदिक कंपनी है. हाल ही में, उनका इंस्टाग्राम पर एक वीडियो भी वायरल हुआ था, जिसमें वो अपनी नई कार के साथ दिख रहे हैं. ये उनकी पहली कार है और ये उन्होंने 85 साल की उम्र में ख़रीदी है.
2. निर्मला हेगड़े
64 वर्षीय निर्मला हेगड़े को कुकिंग करना और घर पर लोगों को खाना खिलाना बहुत पसंद था. लॉकडाउन के दौरान ही उन्हें अपने इस टैलेंट का एहसास हुआ और उन्होंने इसे बिज़नेस में बदलने की सोची. उन्होंने अपनी बिल्डिंग के सिक्योरिटी गार्ड्स के लिए खाना बनाना शुरू किया. इसके बाद जब निर्मला ने अपना ख़ुद का फ़ूड वेंचर शुरू किया, तब मात्र 2 दिनों में ही उनकी 8,000 रुपये की कमाई हो गई. आज मेन्यू में उनके बेस्टसेलर में अप्पम और लहसुन की चटनी बनी हुई है, जिसे अब तक सैकड़ों ऑर्डर मिल चुके हैं. (Senior Citizen Business Entrepreneur)
मंजू जी ने अपना रेस्तरां तब शुरू किया था, जब वो 80 साल की थीं. वो पहले ये देखा करती थीं कि उनके बच्चों को उनके हाथ की बनाई हुई कढ़ी और दाल ढोकली काफ़ी पसंद आती थी. एक दिन अचानक से उन्हें ये ख्याल आया कि दूसरों को भी इसका स्वाद लेना चाहिए. जब 80 साल की उम्र में उनके बेटों ने इंग्लैंड के ब्राइटन में उन्हें एक जगह गिफ्ट की, तब वो इससे ज़्यादा ख़ुश और कभी नहीं थीं. आज वो कहती हैं कि एक परिवार का पालन-पोषण करने और अपने सपनों को ठंडे बस्ते में डालने के बाद, वो भाग्यशाली हैं कि उन्हें अपने जुनून का पीछा करने का अवसर मिला है.
4. संतोषिनी मिश्रा
संतोषिनी मिश्रा ओडिशा में अपने पति के साथ रहती थीं. उनके पति एक पान की दुकान चलाते थे और परिवार का पूरा पालन-पोषण वही करते थे. लेकिन जब उनकी एक बीमारी की वजह से मौत हो गई, तो सारी ज़िम्मेदारी संतोषिनी पर आ गई. चूंकि वो कुकिंग में अच्छी थीं, तो उन्होंने उसे ही आगे बढ़ाने का फ़ैसला किया है. वो 74 साल की हैं और आज उनकी ओडिशा में केटरिंग सर्विस वेडिंग्स और बाकी कार्यक्रमों के लिए ली जाती हैं. उनके नीचे क़रीब 100 कर्मचारी काम करते हैं. (Senior Citizen Business Entrepreneur)
5. नागमणि
बेंगलुरु की निवासी नागमणि को लोग प्यार से ‘मणि आंटी’ भी कहते हैं. उनके कॉलेज के दिनों में काफ़ी बाल झड़ते थे. उस दौरान उनकी एक दोस्त ने उनसे एक घरेलू इलाज़ शेयर किया था, जिसने उनके बालों में क़माल कर दिया था. आज 88 वर्षीय नागमणि की खुद की एक ब्रांड ‘रूट्स एंड शूट्स’, जो इसी आइडिया की उपज है. उनकी ब्रांड का तेल एकदम नैचुरल चीज़ों से बनता है. इसमें पड़ने वाले बीज को गर्म करने के लिए 6 हफ़्तों तक सूरज की रोशनी में भी रखा जाता है.
लक्ष्मी अम्मल और कस्तूरी शिवरमन नाम की मां-बेटी की इस जोड़ी ने बिज़नेस चलाने के अपने डर को तब मात दी, जब उन्होंने अपने तमिलनाडु के रेटनाई गांव में ‘Pico Farm stay’ की शुरुआत की. चूंकि वो ज़मीन लक्ष्मी के पति के गुज़रने के बाद 37 सालों तक बंजर रही थी, तो उसे यूज़ में लाने के लिए फ़ार्म-स्टे एक अच्छा ऑप्शन था. यहां ठहरने वाले गेस्ट यहां के खेत में उगने वाली सब्ज़ियों और फ़लों से बने लज़ीज़ पकवानों के साथ मॉडर्न सुविधाओं का भी आनंद लेते हैं. अब तक ये फ़ार्म क़रीब 200 मेहमानों को होस्ट कर चुका है. इन दोनों की उम्र 81 और 71 साल है. (Senior Citizen Business Entrepreneur)
7. मंजू देवी पोद्दार
कोलकाता में आप कहीं भी चले जाओ, हर कोई आपको यही कहेगा कि आपको मंजू देवी (65 वर्षीय) के यहां की मिठाई ज़रूर खानी चाहिए. इनकी दुकान की फ़ेमस मिठाई ‘मावा की परवल, ‘नारियल चक्की‘ और ‘मावा पेड़ा’ हैं. उनकी इस दुकान के आइडिया के पीछे उनकी 21 साल की नातिन यशी चौधरी का दिमाग़ है. उन्होंने ही अपनी नानी को अपना ख़ुद का बिज़नेस ‘नानीज़ स्पेशल‘ शुरू करने के लिए प्रेरित किया था. वो दिल्ली, जयपुर, अहमदाबाद समेत देश के हर कोने में अपनी डिलीवरी पहुंचाती हैं.
8. अलामेलु अम्मल
अचार तो सबको ही पसंद होता है. केरल के कलपथी कस्बे के पलक्कड़ में निवास करने वाली अलामेलु अम्मल को अपने लजीज़ अचार के लिए जाना जाता है. वो इन्हें ख़ुद ही बनाती हैं. वो कन्नूर में पली-बढ़ी हैं, जहां उनके आसपास चारों तरफ़ आम के पेड़ ही पेड़ होते थे. उस दौरान वो पेड़ों से आम तोड़ कर लाती थीं और उसका अचार बनाकर अपने रिश्तेदारों को खिलाती थीं. आज वो सिर्फ़ आम नहीं, बल्कि नींबू का भी अचार बनाती हैं. आज उनकी हर दिन की अचार की सेल 10 किलो के क़रीब है.
9. कोकिला पारेख
कोकिला पारेख आम गृहणियों की तरह नॉर्मल लाइफ़ जिया करती थीं. लेकिन फिर लॉकडाउन आया और उनके डेली रूटीन पर रोक लग गई. वो चाय बहुत अच्छी बनाती थीं. लॉकडाउन के दौरान उन्हें सूझा कि क्यों ना वो अपनी चाय का पूरे भारत को स्वाद चखाएं. उन्होंने महामारी के दौरान अपना बिज़नेस शुरू किया और उसका नाम ‘कोकिला और तुषार की चाय मसाला‘ रखा. आज उन्हें पैन इंडिया से रोज़ाना सैंकड़ों ऑर्डर मिलते हैं. वो 79 साल की हैं.
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10. आशा पुरी
75 वर्षीय आशा पुरी काफ़ी सालों से अपने हाथों ने स्वेटर और मफलर बुनती आ रही थीं. एक दिन उनकी पोती कृतिका सोंधी ने उनसे इसको बिज़नेस में तब्दील करने को कहा. उस दौरान उन्हें इस बात का विश्वास नहीं था कि मशीन से बनने वाले कपड़ों के ज़माने में कोई उनके हाथ से बने स्वेटर लेना चाहेगा. हालांकि, साल 2017 में उन्होंने ‘With Love From Granny‘ नाम का बिज़नेस शुरू किया और आज उन्हें हर महीने 100 ऑर्डर आते हैं.
इन लोगों ने साबित कर दिया कि अपने सपनों को पूरा करने के लिए हर उम्र सही होती है.