Success Story of Anil Agarwal in Hindi: सफलता वही है जिसके पीछे कड़ी मेहनत हो. और इस चीज़ को समझकर इंसान अपने जीवन में कुछ भी हासिल कर सकता है. ऐसे ढेरों उदाहरण आपको विश्व भर में मिल जाएंगे, जब कुछ पाने की चाह में इंसान ने हैरान कर देने वाले काम करके दिखाए. Success Story की इस कड़ी में हम आपको बताने जा रहे हैं देश के बड़े उद्योगपतियों (List of Indias Top Industrialist in Hindi) में शामिल वेंदाता ग्रुप के Non-Executive Chairman अनिल अग्रवाल के बारे में, जो कभी बिहार से कुछ बनने की चाह में खाली हाथ निकले थे. अनिल अग्रवाल (Success Story of Anil Agarwal in Hindi) उन इंसानों में शामिल हैं, जिन्होंने कठिन संघर्ष करके अपने सपने पूरे किए. 

आइये, इस लेख में विस्तार से जानते हैं Success Story of Anil Agarwal in Hindi

कम उम्र में छोड़ दिया था स्कूल

Success Story of Anil Agarwal in Hindi
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Success Story of Anil Agarwal in Hindi: अनिल अग्रवाल का जन्म बिहार के पटना शहर में साल 1954 को हुआ था. भले उनके घर की आर्थिक स्थिति कमज़ोर थी, लेकिन अनिल अग्रवाल के सपने बहुत बड़े थे. जीवन में कुछ कर दिखाने का जज़्बा कम उम्र में ही उनके अंदर आ गया था. यही वजह थी कि अपना निवास स्थान छोड़ वो मुंबई के लिए रवाना हो गए थे. मात्र 15 साल की उम्र में उन्होंने पढ़ाई छोड़ दी थी. 

वहीं, कहा जाता है कि जब वो घर से निकले, तो उनके हाथ में एक टीफिन बॉक्स और बिस्तर था. 

शुरू किया कबाड़ बेचना 

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Success Story of Anil Agarwal in Hindi: कोई काम छोटा बड़ा नहीं होता, ये बात उन्हें बहुत पहले समझ आ गई थी और साथ ही ये भी कि इंसान छोटे से ही बड़ा बनता है. घर से निकलकर उन्होंने कबाड़ बेचने यानी Scrap Dealer का काम शुरू कर दिया.  

जल्द ही वो कबाड़ के धातुओं का व्यापार करने लगे और 1970 में उन्होंने स्टरलाइट इंडस्ट्रीज नाम की कंपनी की स्थापना कर दी. ये कंपनी आगे चलकर 90 के दशक में देश की पहली धातुओं को रिफ़ाइन करने वाली कंपनी बनकर उभरी. इसी कंपनी से अनिल अग्रवाल ने Vedanta Group तक का सफ़र तय किया. वर्तमान में वेंदाता ग्रुप न सिर्फ़ देश बल्कि विश्व की चुनिंदा बड़ी खनन कंपनियों में से एक है. अनिल अग्रवाल कहते हैं कि, “अगर आप मज़बूत इरादों के साथ अपना पहला कदम उठाते हैं, तो मंज़िल पाना तय है.” 

वेदांता लिमिटेड आज एल्युमीनियम, जिंक-लेड-सिल्वर, तेल, गैस, लौह अयस्क, स्टील, तांबा, बिजली, निकल, फेरो मिश्र धातु, ग्लास डिस्प्ले, ऑप्टिकल फ़ाइबर और सेमीकंडक्टर्स के साथ डिल करने वाला एक अग्रणी Natural Resources Conglomerates है. 

पत्नी का मिला सहयोग 

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भविष्य में और आगे बढ़ने में अनिल अग्रवाल की पत्नी (किरण) का भी ख़ूब सहयोग मिला. भारत से लंदन जाने में भी पत्नी का सहयोग रहा. हर कदम पर एक मज़बूत स्तंभ की तरह वो खड़ी रहीं. जब उन्होंने अपनी पत्नी से कहा कि हम लंदन शिफ़्ट हो रहे हैं, तो थोड़ी हैरान हो गईं थी.

फिर जल्दी-जल्दी सारी पैकिंग की और बेटी के स्कूल में जाकर 6 महीने की छुट्टी की बात रही, क्योंकि उन्हें लगता था कि हम जल्द ही वापस भारत आ जाएंगे. अनिल अग्रवाल ने लंदन में भी अपनी अलग पहचान बनाने में कामयाब रहे. 

संपत्ति डोनेट करने की घोषण 

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Success Story of Anil Agarwal in Hindi: Cnbctv18 के अनुसार, अनिल अग्रवाल की नेट वर्थ $3 billion (300 crore USD) है. London Stock Exchange में कंपनी की लिस्टिंग के 10 साल होने पर अपनी 75 फीसदी संपत्ति दान करने की घोषणा की थी. इस पर उनका कहना था कि जो कमाया है उसे समाज को वापस करना चाहता हूं. 

आज वेंदाता ग्रुप भारत के साथ-साथ आयरलैंड, अफ़्रिका, ऑस्ट्रेलिया व कई अन्य देशों के साथ व्यापार करती है. जानकारी के अनुसार, इस कंपनी में क़रीब 65 हज़ार कर्मचारी काम करते हैं. 

कोई भी काम करने से पहले दही चीनी खाते हैं

एक ट्वीटर पोस्ट शेयर करके अनिल अग्रवाल कहते हैं कि, “किसी भी बड़े भाषण से पहले मैं दही चीनी खाता हूं. ये मेरा अच्छा पुराना लकी चार्म है. जब मैं बच्चा था तब मेरी मां मुझे ये खिलाती थी, न केवल परंपरा के रूप में बल्कि उनके आशीर्वाद के रूप में भी. लोग इसे मीठी दही भी कहते हैं, मगर मेरे लिए तो ये मेरी मां का आशीर्वाद है.”