दाढ़ी बड़ी हो जाए तो पहली फुर्सत में आप या तो नाई के पास जाते हैं या फिर घर पर शेविंग करते हैं. दोनों ही सूरत में ब्लेड की ज़रूरत होती है और ब्लेड की बात हो और जिलेट का नाम आए ऐसा हो ही नहीं सकता. Gillette कई वर्षें से हमारी शेव करने की परेशानियों को दूर करता आ रहा है. चलिए आज इस कंपनी सक्सेस स्टोरी भी आपको बता देते हैं.

Gillette की गाथा बताने से पहले आपको बता दें कि शेविंग करने का इतिहास सदियों पुराना है. पाषाण युग में भी इंसान शेविंग करते थे, हां, तब ये आज के जितनी सरल-सुलभ नहीं थी. उस दौर में लोग नुकीले पत्थर से शेविंग किया करते थे. अब बात करते हैं जिलेट की.

पहले ब्लेड को बार-बार पैना करना होता था

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19वीं सदी आते-आते शेविंग के लिए ब्लेड का इस्तेमाल शुरू होने लगा था. लेकिन इन्हें बार-बार रेतना कर पैना करना पड़ता था. इससे लोग परेशान थे. लोगों की इस दिक्कत पर ग़ौर फरमाया किंग कैंप जिलेट(King Camp Gillette) ने. उन्होंने इसे पहले से अधिक सुरक्षित और सरल बनाने के बारे में सोचा. बात उन दिनों की है जब वो लोहे का व्यापार किया करते थे. एक बार एक कर्मचारी ने उनको कहा कि उनकी कंपनी को ऐसी चीज़ बनानी चाहिए जो बार इस्तेमाल करने के बाद फेंकनी पड़े. इससे लोग हमारा उत्पाद बार-बार ख़रीदने हमारे पास आएंगे.

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ऐसे आया आईडिया

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जब ये बात हो रही तब कर्मचारी दाढ़ी पर हाथ फेर कुछ सोच रहा रहा था. कैंप के दिमाग़ में रेज़र बनाने का आईडिया आ गया और वो शेविंग को आसान और सरल बनाने की खोज में जुट गए. कुछ समय बाद वो रेज़र लेकर आए जो पहले के ब्लेड से कई गुणा अच्छा था. इसे बनाने में कई वर्ष लगे थे. 1903 में इसका उत्पादन शुरू हुआ. पहले साल में  कंपनी ने 51 रेज़र और 168 ब्लेड बेचे थे.

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लोगों को सिखाया घर शेविंग करने का तरीका

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बिक्री कम हो रही थी और कंपनी घाटे में जा रही थी, तब कैंप ने शेविंग कैसे करना ये सीखाने के लिए मैगज़ीन में इश्तेहार निकाले. 1904 के अंत तक कंपनी ने करीब 90 हज़ार रेज़र और 1 करोड़ 24 लाख ब्लेड का बनाए और बेच डाले. जाहिर सी बात है कंपनी का प्रोडक्ट लोगों को रास आ रहा था. दिन और रात में जिलेट के रेज़र की कारखानों में बनाए जाने लगे.

कॉम्पिटिशन का भी निकाला तोड़

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डिमांड काफ़ी थी और कॉम्पिटिशन में भी कोई नहीं था. कुछ ही समय में जिलेट ने अपने रेज़र का पेटेंट भी करवा लिया. अब इनके रेज़र की देखा-देख कई और रेज़र बनाने वाले मार्केट में आ गए. सिरिक, विलकिंसन, निंजा, लेंसर और टोपाज़ जैसे ब्रांड मार्केट में आ चुके थे. लेकिन जिलेट ने भी हार नहीं मानी. उसने न सिर्फ़ अपनी शेविंग किट को सस्ता और किफ़ायती बनाया बल्कि उसके डिज़ाइन पर भी काम करना शुरू कर दिया.

दुनिया का पहला दो ब्लेड वाला रेज़र

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1925 में जिलेट ने सेफ़्टी रेज़र लॉन्च किया. इसे इस्तेमाल करते समय स्किन के कटने का ख़तरा कम था. 1957 में कंपनी ने रेज़र का स्टाइल बदल दिया. रेज़र के हैंडल में एक एडजस्टमेंट डायल फिट किया. लोग इसे अपने हिसाब से सेट कर शेव कर सकते थे. फिर ऐसा रेज़र निकाला जिसे 4-5 पांच बार इस्तेमाल किया जा सकता था. 1971 में जिलेट ने दुनिया का पहला दो ब्लेड वाला रेज़र मार्केट में उतारा, जिसका नाम ट्रैक टू था.  

अंतरिक्ष यात्री भी इनकी शेविंग किट इस्तेमाल करते हैं

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तब से लेकर आज तक जिलेट अपने रेज़र में कुछ न कुछ बदलाव करती रहती है. ताकी लोगों के शेविंग करने में कोई दिक्कत न हो और वो मार्केट पर भी अपनी पकड़ बनाए रखे. अपनी इसी ख़ासियत के चलते ही Gillette आज भी दुनियाभर में नंबर वन कंपनी बनी हुई है. इसके द्वारा बनाए गए ब्लेड और रेज़र्स की दुनियाभर में डिमांड है. कहते हैं कि इनकी शेविंग किट तो अंतरिक्ष यात्री भी इस्तेमाल करते हैं.

सच में जिलेट ने लोगों को शेविंग करने का तरीका सिखाया है. वरना लोग आज भी शेविंग करने के लिए क्या-क्या जुगत करते फिरते. थैंक्स जिलेट.