‘रहफ़ मोहम्मद अल-क़ुनन’, ये नाम अचानक से अंतराष्ट्रीय स्तर पर चर्चा का विषय बन गया. 18 साल की लड़की साउदी अरब से भाग कर ऑस्ट्रेलिया जाना चाहती थी. इसके लिए क़ुनन को थाइलैंड से फ़्लाइट बदलनी थी लेकिन वहां उसे रोक दिया गया और वापस साउदी अरब भेजने की तैयारी की जाने लगी. इसके बाद जो हुआ, उसे आपको क्रमबद्ध तरीके से जानना चाहिए.

पकड़े जाने के बाद क़ुनन ने ट्विटर अकाउंट बनाया और थाइलैंड के समयानुसार, 3:20 AM को अरबी में ट्वीट किया. जिसमें लिखा था, ‘मैं एक लड़की हूं, जो कुवैत से थाइलैंड भाग कर आई हूं, मेरी ज़िंदगी ख़तरे में पड़ जाएगी अगर मुझ ज़बरदस्ती साउदी अरब भेजा गया.’
इस ट्वीट के घंटे भर के भीतर ट्विटर पर #SaveRahaf कैंपेन शुरू हो गया. दुनिया के कोने-कोने से समाजिक कार्यकर्ताओं ने थाइलैंड सरकार के ऊपर दबाव बनाने की कोशिश की, ताकी क़ुनन को वापस भेजने का फ़ैसला बदल जाए.
@rahaf84427714, stay strong. You’ve got the worldwide media attention now. Thailand can not ignore that.Bless you
— Hielkoo (@_Hielkoo__) January 7, 2019
इसके बाद संयुक्त राष्ट्र के अधिकारियों ने क़ुनन से मुलाक़ात की और बताया कि उसे किसी तीसरे देश में रिफ़्यूजी के तौर रखा जाएगा. इसकी प्रक्रिया शुरू हो चुकी है, प्रक्रिया समाप्त होने तक क़ुनन थालैंड में रहेगी, उसे कुवैत नहीं भेजा जाएगा.
So the 11.15am @KuwaitAirways flight has left – Rahaf is safe and still at BKK. But the Thai government is reportedly blocking @UNHCRThailand from coming to speak with her? Why? #SaveRahaf pic.twitter.com/ITI5zuhubU
— Sophie McNeill (@Sophiemcneill) January 7, 2019
अपने पहले ट्वीट के बाद क़ुनन ने पांच घंटे तक कई ट्वीट किए, जिनमें वो बताती रही कि कैसे उसका परिवार इस्लाम त्यागने की वजह से उस पर ज़ोर-ज़बरदस्ती कर रहा था.
क़ुनन के ट्वीट पर दुनिया की नज़र तब पड़ी जब इजिप्टियन-अमेरिकन समाजिक कार्यकर्ता Mona Eltahawy ने उसका ट्वीट अंग्रेज़ी में अनुवाद करना शुरू किया. हालांकि Mone को ट्विटर हैंडल के असली होने पर शक़ था.
This is a copy of my passport, Im shering it with you now because I want you to know I’m real and exist. pic.twitter.com/6yzVyFifp7
— Rahaf Mohammed رهف محمد (@rahaf84427714) January 6, 2019
जब चारों ओर क़ुनन के ट्वीट की बातें शुरू होने लगीं, तब उसके पहले ट्वीट के आठ घंटे बाद थाइलैंड के मानव अधिकार कार्यकर्ता Robertson ने उससे सीधे तौर पर बात की.
Robertson ने बाद में मीडिया को बताया, ‘उसने साफ़-साफ़ बताया था कि वो मानसिक और शारीरिक रूप से हिंसा की शिकार हो रही थी क्योंकि उसने इस्लाम को त्याग दिया था. जब उसने ऐसा कहा, तब मैं समझ गया था कि वो बहुत मुश्किल में है.’
साउदी अरब इस्लामिक क़ानून के हिसाब से इस्लाम छोड़ने की सज़ा मौत भी है.
इसके बाद Robertson ने मामले को सुलझाने के लिए संयुक्त राष्ट्र से जुड़े रिफ़्यूजी एजेंसियों और अन्य देश के राजदूतों से संपर्क किया.
जब बाहर की दुनिया में ये सभी घटनाएं घटित हो रही थी, तभी थाइलैंड में एयरपोर्ट अधिकारी क़ुनन को फ़्लाइट संख्या KU412 से सोमवार को 11:15 AM को उसे कुवैत वापस भेजने की तैयारी कर रहे थे.
She said there is 4 people waiting outside my room to make sure that I can’t leave the hotel #فتاه_تايلند #saverahaf pic.twitter.com/MzI11IWTpY
— Nourah #saverahaf (@nourahfa313) January 6, 2019
हालांकि मीडिया में ख़बर बन जाने के बाद एयरपोर्ट अधिकारियों ने क़ुनन को सोमवार को कुवैत भेजने के फ़ैसले को टाल दिया.
Hey I’m Rahaf. My father just arrived as I heard witch worried and scared me a lot and I want to go to another country that I seek asylum in
But at least I feel save now under UNHCR protection with the agreement of Thailand authorities. And I finally got my passport back🙏🏻❤️ pic.twitter.com/pQER7HDVi7— Rahaf Mohammed رهف محمد (@rahaf84427714) January 7, 2019
United Nations High Commissioner For Refugees(UNHCR) Giuseppe De Vincentiis भी सोमवार को एयरपोर्ट पहुंचे वहां थाइलैंड के अधिकारियों से बात की क़ुनन से भी उनकी मुलाकात हुई और ये तय हुआ कि उसे थाइलैंड में रहने दिया जाए और किसी अन्य देश में रिफ़्यूजी के तौर पर रहने की व्यवस्था की जाएगी क्योंकि कुवैत वापस भेजने से उसकी जान को ख़तरा है.