अगर चलती हुई ट्रेन का लोको पायलट लगातार 1 मिनट तक संचालन से संबंधित गतिविधियों जैसे हॉर्न बजाना, ब्रेक मारना, स्पीड बढ़ाना या घटाना न करे, तो ऐसे में ट्रेन की ये डिवाइस’ तुरंत एक्टिव हो जाती है और ड्राइवर को ऑडियो मैसेज के माध्यम से संकेत दे कर सावधान कराती है.
इस दौरान लोको पायलट को इस ऑडियो मैसेज का जवाब देकर ये कन्फर्म करना होता है कि वो सोया नहीं है, बल्कि जगा हुआ है. इसके बाद भी अगर लोको पायलट कोई एक्शन नहीं लेता तो इस डिवाइस द्वारा ट्रेन में ऑटोमेटिक इमरजेंसी ब्रेकिंग लगना शुरू हो जाता है. इस दौरान ट्रेन क़रीब 1 या 2 किलोमीटर दूर जाकर ख़ुद ही रुक जाती है. ये डिवाइस रेल दुर्घटना को रोकने में बेहद कारगर है.
भारतीय रेलवे में लोको पायलट (ड्राइवर) के सो जाने के कारण रेल दुर्घटना के मामले कम ही सामने आते हैं, क्योंकि ट्रेन में लोको पायलट (ड्राइवर) की अनुपस्थिति में असिस्टेंट लोको पायलट ट्रेन का संचालन करने के लिए मौजूद रहता है. वैसे भी रात के समय जिस ड्राइवर की ड्यूटी होती है उसे पर्याप्त नींद लेने की सलाह दी जाती है.