What Is Bigamy: महाराष्ट्र में दो जुड़वा बहनों ने एक ही लड़के से शादी कर ली. सोशल मीडिया पर जब इसका वीडियो वायरल हुआ तो पुलिस ने केस दर्ज कर मामले की जांच शुरू कर दी. रिपोर्ट्स के मुताबिक, मुंबई में एक ट्रैवल एजेंसी के मालिक अतुल उत्तम ऑटोडे ने महाराष्ट्र के सोलापुर में बहनों रिंकी और पिंकी पडगांवकर के साथ शादी की. (Can A Hindu Man Marry Two Women In India?)

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पुलिस ने एक शिकायत के आधार पर भारतीय दंड संहिता की धारा 494 (पती या पत्नी के जीवनकाल में फिर से शादी करना) के तहत दूल्हे के खिलाफ़ केस दर्ज किया है. यानि अतुल पर द्विविवाह या Bigamy का आरोप लगा है.

ऐसे में आइए जानते हैं कि द्विविवाह और बहुविवाह क्या है और क्या हिंदू लड़का या लड़की एक से ज़्यादा शादियां कर सकते हैं?

द्विविवाह और बहुविवाह क्या है? (What are Bigamy and Polygamy?)

अगर कोई शख़्स कानूनी रूप से पहले से शादीशुदा है और वो दूसरी शादी भी करता या करती है तो ये द्विविवाह या Bigamy कहलाता है. वहीं, बहुविवाह एक से अधिक व्यक्तियों से विवाह करने की प्रथा को कहते हैं.

विवाह को लेकर भारतीय कानून

भारत में विवाह करने का अधिकार संविधान के अनुच्छेद 21 और 1948 के मानवाधिकारों की सार्वभौम घोषणा के अनुच्छेद 16 दोनों से मिला है. भारत में कोई यूनिफ़ॉर्म सिविल कोड नहीं है, मगर धर्मों के अनुसार कानून हैं.

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हिंदू, 1955 के हिंदू विवाह अधिनियम के अधीन हैं, मुसलमान 1937 के मुस्लिम पर्सनल लॉ (शरीयत) आवेदन अधिनियम के अधीन हैं, ईसाई 1872 के भारतीय ईसाई विवाह अधिनियम के अधीन हैं, और पारसी, पारसी विवाह और तलाक अधिनियम 1936 के अधीन हैं. बता दें, 1955 का हिंदू विवाह अधिनियम बौद्ध, जैन और सिख धर्म का पालन करने वालों पर भी लागू होता है. (Bigamy in Hindu Marriage Act, 1955)

स्पेशल मैरिज एक्ट (SMA), 1954 को भारत में अंतरधार्मिक और अंतर-जातीय विवाहों को मान्य और पंजीकृत करने के लिए अधिनियमित किया गया था. ये दो वयस्क व्यक्तियों को एक सिविल अनुबंध के माध्यम से विवाह करने का अधिकार देता है. इस अधिनियम के तहत, हिंदू, मुस्लिम, ईसाई, सिख, जैन और बौद्ध विवाह शामिल हैं और किसी भी धार्मिक औपचारिकता को पूरा करने की आवश्यकता नहीं है. ये अधिनियम भारतीय नागरिकों और विदेशों में रहने वाले भारतीय नागरिकों पर लागू होता है.

क्या हिंदू एक से ज़्यादा शादी कर सकते हैं?

हिंदू विवाह अधिनियम की धारा 17 के अनुसार, अगर कोई हिंदू दो शादियां करता है तो ये अपराध होगा. इस तरह की दूसरी शादी भी अवैध और अमान्य होगी. यानि पहले जीवनसाथी के जीवित रहते हुए अगर दूसरी शादी होती है तो वो अमान्य होगी. इसके साथ ही भारतीय दंड संहिता (1860 का 45) की धारा 494 और 495 के प्रावधान भी कानून सम्मत कार्रवाई के लिए ऐसी शादी पर लागू होंगे.

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साथ ही, द्विवाह के प्रचलन वाले धर्म में परिवर्तित होकर भी दूसरी शादी की जाए तो भी वो अमान्य होगी. ‘सरला मुग्दल और अन्य बनाम भारत संघ’ मामले में कोर्ट ने कहा कि शख़्स ने इस्लाम में परिवर्तित होकर दूसरी शादी की. मगर उसने पहली शादी से तलाक नहीं लिया, जो कि हिंदू मैरिज एक्ट के अनुसार थी. ऐसे में व्यक्ति द्विवाह का दोषी है. और दूसरी शादी अमान्य है.

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