What Is Solar Halo: आसमान में हमेशा कुच न कुछ हलचल मची रहती है. धरती की हलचल पर लोग ग़ौर नहीं करते मगर जब आसमान में कुछ नया दिखता है तो वो चारों-तरफ़ दिखने लगता है. जैसे कुछ दिन पहले आसमान में तीन तारे एक सात ऊपर नीचे दिखे ते, जो कुछ ग्रह थे. वैसे ही कल यानि शुक्रवार को भी प्रयागराज सहित उत्तर भारत के कई ज़िलों में सूरज के चारों तरफ एक गोलाकार घेरा देखा गया. इसके बाद, सोशल नेटवर्किंग साइट पर हर जगह बस यही दिखा. स्टेट्स हो या रील सबमें सूरज की इसी तस्वीर को लगाया गया.

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आइए जानते हैं जिसे देखकर सब चकरा गये आख़िर वो क्या है और सूरज के चारों-ओर ये गोला कैसे बनता है इसे क्या कहते हैं? (What Is Solar Halo)

इसे विज्ञान की भाषा में सोलर हालो (Solar Halo) या फिर सन रिंग (Sun Ring) भी कहते हैं. विशेषज्ञों का कहना है कि, ऐसा वातावरण में मौजूद हेक्सागोनल क्रिस्टल (Hexagonal Crystal) के कारण होता है. दरअसल, जब वातावरण में मौजूद सूर्य का प्रकाश बर्फ़ के क्रिस्टल के साथ परस्पर क्रिया करता है तो ये अपवर्तित हो जाता है. प्रकाश के इस मुड़ने से सूर्य की किरणें कई रंगों में अलग-अलग हो जाती हैं, जिससे एक स्पेक्ट्रम बनता है, जिसे Sun Halo कहते हैं. कई बार इस गोले में इंद्रधनुष की तरह कई रंग भी दिखाई देते हैं. Sun Halo को 22-डिग्री-रिंग हालो भी कहा जाता है.

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28 अप्रैल 2023 यानि की बीते शुक्रवार ऐसा पहली बार नहीं हुआ था. इससे पहले, 20 फरवरी 2016 में चांद के आस-पास भी Halo देखा गया था उस दिन भी शुक्रवार ही था. इसके अलावा, 20 जुलाई 2015 को उत्तराखंड के हल्द्वानी, बेतालघाट के में भी Sun Halo दिखा था, जिसमें इंद्रधनुषी रंग दिखाई दे रहे थे. इस साल रविवार का दिन था.

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आपको बता दें, जब किसी लाइट या एनर्जी वाली चीज़ के चारों-ओर गोलाकार आकृति बने तो उसे Halo कहते हैं. विज्ञान के अलावा, आध्यात्म में भी हालो का ज़िक्र किया गया है, जो भगवान की तस्वीरों में देखने को मिलता है.