When Indian Archaeologist KK Muhammed Met Nirbhay Gurjar: भारतीय पुरातत्वविद केके मोहम्मद के नाम से तो आप वाकिफ़ ही होंगे. अगर नहीं भी जानते हैं तो बता दें कि ये वही पुरातत्वविद हैं, जो अयोध्या में बाबरी मस्जिद के नीचे एक मंदिर दबे होने की खोज को दुनिया के सामने लाए थे. हालांकि, उन्होंने सिर्फ़ राम मंदिर (Ram Mandir) की खुदाई में महत्वपूर्ण भूमिका ही नहीं निभाई है, बल्क़ि देश के कई मंदिर-मस्जिदों के इतिहास का खुलासा किया है. डकैतों और बागियों के गढ़ चंबल में भी उन्होंने कई मंदिरों का जीर्णोद्धार किया. इस दौरान उनका सामना निर्भय गुर्जर (Nirbhay Singh Gurjar) जैसे डकैत से भी हुआ.
हम आपको आज इसी से जुड़ा एक बेहद दिलचस्प क़िस्सा बताएंगे-
When Indian Archaeologist KK Muhammed Met Nirbhay Gurjar
डकैतों की मदद से बचाए प्राचीन मंदिर
बात साल 2005 की है. पुरातत्व विज्ञानी केके मोहम्मद ने ग्वालियर से 40 किलोमीटर दूर बटेश्वर स्थित 200 मंदिरों के जीर्णोद्धार का ज़िम्मा संभाला. 9वीं से 11वीं शताब्दी के बीच बने ये मंदिर पूरी तरह ज़मींदोज हो चुके थे. ये डाकुओं का इलाका था, काम करना बहुत मुश्किल था. उस वक़्त चंबल के बीहड़ में राम बाबू, निर्भय गुर्जर और पप्पू गुर्जर के आतंक का बोलबाला था.
ऐसे में यहां काम करने से पहले डाकुओं की इजाज़त लेना ज़रूरी था. कुछ सरेंडर कर चुके डाकू केके मोहम्मद के साथ थे. बाकी एक्टिव डाकुओं से इजाज़त ले ली गई. जिसके बाद केके मोहम्मद ने यहां कई मंदिरों का जीर्णोद्धार किया. इन मंदिरों को गुर्जर प्रतिहार राजाओं द्वारा बनवाया गया था.
जब निर्भय गुर्जर के पैरों पर गिर पड़े केके मोहम्मद
यहां का पूरा इलाका डकैतों के कब्ज़े में था. एक दिन केके मोहम्मद ने एक शख़्स को मंदिरों के पास अकेले बैठ कर बीड़ी पीते देखा. उन्हें बहुत ग़ुस्सा आया कि यहां मंदिर हैं और ये शख़्स बीड़ी पी रहा है. हालांकि, वो मंदिर के अंदर नहीं था, बल्कि़ बाहर ही बैठा था. केके मोहम्मद ग़ुस्से से उसके पास गए और डांट लगा दी.
‘तुम्हें शर्म नहीं आती है, मंदिर की जगह पर बैठ कर बीड़ी पी रहे हो?’
ये देखकर केके मोहम्मद के साथ काम करने वाले डाकू घबरा गए. वो दौड़ कर आए और केके मोहम्मद को उस शख़्स से बात करने के लिए मना किया. वो शख़्स मुंंह पर कपड़ा लपेटे बैठा था. केके मोहम्मद समझ गए कि उनसे ग़लती हो गई है और ये शख़्स कोई आम इंसान नहीं, बल्क़ि डकैत निर्भय गुर्जर है. बस फिर क्या केके मोहम्मद के हाथ-पांव फूल गए और वो वहींं उनके पैरों पर गिर गए.
हालांकि, निर्भर गुर्जर ने कुछ कहा नहींं. फिर केके मोहम्मद ने उन्हें बताया कि सर ये सारे मंदिर आप की वजह से बचे हैं. ईश्वर ने आपको कुछ सोच समझकर यहां भेजा है. इन मंदिरों को गुर्जर प्रतिहार राजाओं द्वारा बनवाया गया था और गुर्जर समुदाय के डाकू उस वंश के राजकुमार की तरह हैं. ये सुन कर निर्भर गुर्जर भी काफ़ी ख़ुश हो गया.
इसके बाद उन्होंने मंदिर के जीर्णोद्धार को अपना कर्तव्य मानते हुए मदद करना शुरू कर दिया. केके मोहम्मद ने कहा कि पूरी बातचीत के दौरान वो उसके पैर के पास नीचे ही बैठे रहे. निर्भय गुर्जर के सामने खड़े होने की उनकी हिम्मत नहीं थी.
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