Who Is the Mango Man Of India Kaleem Ullah Khan: 120 साल पुराने आम के पेड़ के मालिक कलीम उल्लाह खान को ‘मैंगो मैन ऑफ़ इंडिया’ भी कहा जाता है. ये पेड़ लखनऊ से कुछ ही दूर मलिहाबाद चौराहे के पास है. जिसमें कुल 300 वैरायटी के आम फलते हैं. इस पेड़ की ख़ासियत है कि इसमें अलग-अलग तरह के आम होते हैं. जिसके करता-धरता मलिहाबाद के हाजी कलीम उल्लाह खान हैं. चलिए इस आर्टिकल के माध्यम से हम आपको उनके बारे में विस्तार से बताते हैं. (Mango Man Of India)

आइए बताते हैं कौन हैं मैंगो मैन कलीम उल्लाह खान (Who is Mango Man Kaleem Ullah Khan)

The Economic Times

83 वर्षीय कलीम बताते हैं कि “लोगों के लिए, ये सिर्फ एक पेड़ है. लेकिन अगर आप अपने दिमाग से देखें तो ये एक पेड़ है, एक बाग है, और दुनिया का सबसे बड़ा आम का कॉलेज है.”

The Economic Times

“लोग आएंगे और जाएंगे, लेकिन आम हमेशा रहेंगे और सालों बाद जब भी ये सचिन आम खाएंगे, लोग क्रिकेट के हीरो को याद करेंगे” कलीम के आमों का नाम काफ़ी दिलचस्प है. उनके सबसे पहले आम के क़िस्म का नाम ‘ऐश्वर्या’ है. उन्होंने ये नाम ऐश्वर्या राइ बच्चन के 1994 के Miss World beauty pageant जीतने की ख़ुशी में रखा था और वो कहते हैं कि ऐश्वर्या उनके बेस्ट क्रिएशन में से एक है. सिर्फ़ ऐश्वर्या ही नहीं उन्होंने अपने आमों का नाम नरेंद्र मोदी, सचिन तेंदुलकर और अनारकली के नाम से भी रखा है.

इन आमों का व्यापार नहीं होता है

Outlook India

कलीम उल्लाह खान अपने आमों से बहुत प्यार करते हैं. उन्होंने बताया था कि वो इन आमों का व्यापार नहीं करते हैं. इस पेड़ से 1-2 नहीं किलो भर आम निकलते हैं. जिन्हें बेचा नहीं बल्कि बांट दिया जाता है. जैसे की कलीम कहते है कि ये पेड़ आम का कॉलेज है, जिसपर पढ़ाई होनी चाहिए. कलीम ये तक कहते हैं कि अगर इन आमों पर ठीक से रीसर्च किया जाए, तो ये कई बड़ी बीमारियों का इलाज बन सकता है.

जुलाई तक आ सकते हैं 20 नए क़िस्म के आम

The Economic Times

गर्मियों के सीज़न में आम का सेवन खूब किया जाता है. कलीम ने बताया कि आम के बौर पेड़ पर आ चुके हैं और मैंगो मैन के मुताबिक इस बार 20 से ज़्यादा नए वैरायटी के आम आने की आशंका है.

Wikipedia

2008 में, उनके Horticulture में अद्भुत योगदान के लिए राष्ट्रपति प्रतिभा पाटिल से पद्म श्री भी मिल चुका है.

The Economic Times

कलीम उल्लाह सिर्फ़ सातवीं तक ही पढ़ें हैं, उसके बाद उनका पढ़ाई में मन नहीं लगा और वो अपने पिता के साथ नर्सरी में काम करने लगे थे. उन्होंने मात्र 17 वर्ष की उम्र में सबसे पहले ग्राफ्टिंग के ज़रिए पेड़ उगाया था. लेकिन वो बारिश की वजह से ख़राब हो गया. लेकिन हिम्मत न हारकर एक बार फ़िर 1987 में पेड़ पर काम के उसे सफ़ल बनाया.

इस पेड़ के आम का स्वाद आपको लखनऊ जाकर ही मिल सकता है.