Padma Awards: दुनिया के कई देशों में सरकार से सम्मान पाने वाले लोग नतमस्तक होकर, सिर झुकारकर, एक घुटने पर बैठकर अपने देश के प्रथम नागरिक या फिर राष्ट्रपति से अवॉर्ड हासिल करते हैं, लेकिन हमारे देश की बात ही निराली है. यहां सरकार से नागरिक पुरस्कार पाने वाली एक ट्रांसजेंडर राष्ट्रपति की नज़र उतारकर देशवासियों के लिए दुवाएं मांगती नज़र आती हैं तो वहीं एक बुज़ुर्ग शख़्स राष्ट्रपति के सिर पर हाथ रखकर उन्हें आशीर्वाद देता है. यही कारण है कि भारत दुनिया में सबसे अलग है और यही हमारे संस्कार भी हैं.

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9 नवंबर, 2021 को दिल्ली के राष्ट्रपति भवन के ऐतिहासिक ‘दरबार हॉल’ में ‘पद्म पुरस्कारों’ के विजेताओं को सम्मानित किया गया था. इस दौरान कर्नाटक की रहने वाली ट्रांसजेंडर मंजम्मा जोगाती (Manjamma Jogati) को भी सम्मानित किया गया. राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद (President Ramnath Kovind) ने कला (लोकनृत्य) के क्षेत्र में योगदान के लिए मंजम्मा को देश के सबसे प्रतिष्ठित सम्मानों में से एक पद्मश्री (Padma Shri) पुरस्कार से सम्मानित किया. 

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अनोखे अंदाज़ में हासिल किया पद्मश्री

मंजम्मा जोगाती ‘ट्रांसजेंडर समुदाय’ से ताल्लुक रखती हैं. वो कर्नाटक में लोक नर्तकी (Folk Dancer) के तौर पर काफ़ी मशहूर हैं. मंजम्मा ने पद्म श्री (Padma Shri) पुरस्कार लेते वक्त अनोखे अंदाज़ में राष्ट्रपति का अभिवादन किया. इस दौरान वो अपनी साड़ी के पल्लू से राष्ट्रपति की नज़र उतारकर देशवासियों के लिए दुवाएं मांगती नज़र आई थीं. ये नज़ारा देख ‘दरबार हॉल’ तालियों की गड़गड़ाहट से गूंज उठा. इसके बाद मंजम्मा ने मुस्कुराते हुए अवॉर्ड लिया और उनकी इस मुस्कान ने सबका दिल जीत लिया.

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कौन हैं मंजम्मा जोगाती? 

मंजम्मा का जन्म कर्नाटक के बेल्लारी ज़िले में मंजुनाथ शेट्टी के रूप में हुआ था. लेकिन 15 साल की उम्र में उन्होंने ख़ुद को एक महिला के रूप में पहचानना शुरू कर दिया था. इसके बाद उनके माता-पिता अनुष्ठान करवाने के लिए उन्हें मंदिर लेकर गये. इस अनुष्ठान के बाद ‘मंजुनाथ शेट्टी’ हमेशा के लिए ‘मंजम्मा’ बन गईं और फिर कभी घर नहीं लौटी. मंजम्मा ने केवल 10वीं तक की पढ़ाई की है. 

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घर से निकलने के बाद झेलीं मुश्किलें 

घर छोड़ने के बाद मंजम्मा को शुरुआत में काफ़ी मुश्किलों का सामना करना पड़ा. उन्होंने सड़कों पर भीख़ मांगकर गुज़ारा किया. इस दौरान उन्हें कई बार शारीरिक शोषण भी झेलना पड़ा. इससे आहात होकर उन्होंने सुसाइड करने का फ़ैसला भी किया, लेकिन वो किसी तरह बच गईं. इसके बाद उनकी मुलाकात कल्लव जोगाती से हुई, जिनसे मंजम्मा ने ‘जोगाती लोकनृत्य’ सीखा. नृत्य ने मंजम्मा की ज़िंदगी बदल दी और वो देशभर में मशहूर हो गयीं. गुरु कल्लव की मृत्यु के बाद उन्होंने इस परंपरा को आगे बढ़ाया, जो अभी तक जारी है.

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मंजम्मा जोगाती ‘कर्नाटक जनपद अकादमी’ की पहली ट्रांसजेंडर अध्यक्ष भी बनीं, जो कि एक सरकारी निकाय है. अब कला के क्षेत्र में उनके योगदान को देखते हुए उन्हें भारत सरकार ने ‘पद्मश्री पुरस्कार’ से सम्मानित किया है.

बता दें कि साल 2019 में तमिलनाडु की भरतनाट्यम डांसर नार्थकी नटराज (Narthaki Nataraj) देश के चौथे सबसे बड़े नागरिक सम्मान ‘पद्मश्री’ पुरस्कार पाने वाली भारत की पहली ट्रांसजेंडर बनी थीं.

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