Why Do Indian Criminals Often Run To Nepal: जब भी पुलिस को किसी अपराधी की तलाश होती है तो आपने अक्सर सुना होगा कि उनके नेपाल भागने को लेकर शक जताया जाता है. मगर आपने कभी सोचा है कि आख़िर सारे अपराधी भागकर नेपाल ही क्यों जाते हैं? आख़िर नेपाल में ऐसा क्या है, जो ये देश उनके लिए छुपने का एक सुरक्षित ठिकाना बन गया है? (Indian Criminals In Nepal)

orfonline

तो आइए जानते हैं कि आख़िर क्यों अपराधी पुलिस से भाग कर नेपाल चले जाते हैं-

Why Do Indian Criminals Often Run To Nepal

आसान है नेपाल भागना

उत्तर प्रदेश और बिहार के अपराधियों के लिए नेपाल भागना बहुत आसान है. दोनों ही प्रदेशों के कई जिले नेपाल से सटे हैं. ऐसे में चोरी-लूट से लेकर हत्या और आतंकी वारदातों तक को अंजाम देने के बाद अपराधी नेपाल भाग जाते हैं. ख़ास तौर पर यूपी-बिहार के अपराधी तो पैदल ही बॉर्डर क्रॉस कर जाते हैं. देश के दूसरे राज्यों से भी जब किसी अपराधी को नेपाल भागना होता है तो वो यूपी-बिहार का ही रुख करता है. (Nepal Border With Indian States)

cloudfront

इसके अलावा, नेपाल में भारतीयों को पासपोर्ट की ज़रूरत भी नहीं पड़ती. अपराधी आराम से सड़क पार कर विदेश चले जाते हैं. कुछ अपराधियों ने तो वहां जाकर दोहरी नागरिकता तक ले ली है.

कानूनी अड़चनों से मिलता है अपराधियों को फ़ायदा

ऐसा नहीं है कि नेपाल और भारत के बीच प्रत्यर्पण संधि नहीं है. मगर इसमें बहुत सी दिक्कते हैं. दरअसल, प्रत्‍यर्पण संधि दो देशों के बीच हुआ ऐसा समझौता है, जिसके मुताबिक, देश में अपराध करके दूसरे देश में छुपने वाले अपराधी को पकड़कर पहले देश को सौंप दिया जाता है. (India Nepal Extradition Treaty)

नेपाल की कोइराला सरकार ने भारत के साथ अक्टूबर 1953 में प्रत्यर्पण संधि की थी. भारत-नेपाल ने 2005 में भी नई प्रत्‍यर्पण संधि पर हस्‍ताक्षर किए थे, मगर इसमें भी दिक्कतें थीं और बाद में इसमें संशोधन की ज़रूरत महसूस की गई.

anyl4psd

ऐसे में बहुत सी कानूनी अड़चनें आती हैं. नेपाल जाने के बाद गिरफ़्तारी बेहद मुश्किल है. दूसरे देश का मामला होने के चलते नियम-कानून बहुत जटिल हैं. सरकार के स्तर से बात, फिर वहां की पुलिस से तालमेल. तब तक अपराधी के वहां से भी भाग जाने की आशंका बनी रहती है. लीगल प्रोसीज़र के जटिल होने के कारण अपराधी फ़ायदे में रहते हैं.

क्योंकि, बड़े अपराधी या आतंकी हों तो मंत्रालय के स्तर से बातचीत की भी जाए, लेकिन छोटे-मोटे अपराधियों के लिए पूरी लंबी प्रक्रिया अपनाना उतना व्यवहारिक नहीं हो पाता.

पुलिस सीधा नेपाल में नहीं घुस सकती

अगर नेपाल में कोई अपराधी छुपा हो तो भारतीय पुलिस सीधा बॉर्डर क्रॉस नहीं कर सकती. पहले नेपाल पुलिस अपराधी को पकड़ेगी, फिर भारतीय पुलिस को सौंपेगी. अगर भारतीय पुलिस बिना बताए नेपाल जाकर छापेमारी करेगी या गिरफ़्तारी करेगी तो अंतरराष्ट्रीय कानूनों का उल्लंघन होगा. साथ ही, 6 महीने की सज़ा भी हो सकती है.

tnnbt

हालांकि, ऐसा नहीं है कि भारतीय पुलिस ने कभी ऐसा किया नहीं. जब पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री सरदार प्रताप सिंह कैरों की हत्या हुई थी तो हत्यारे नेपाल भाग गए थे. तब पुलिस नेपाल जाकर अपराधी को पकड़ लाई थी. वहीं, नेपाल से सटे गोरखपुर, देवरिया, गोंडा, बहराइच जैसे जिले की पुलिस कई बार नेपाल में घुस जाती है. हालांकि, इसे कोई अच्छी प्रैक्टिस नहीं माना जाता है.

सही तरीका यही है कि अगर नेपाल सरकार हमारी पुलिस को ऑपरेशन की अनुमति दे तो वहां जाकर छापेमारी और गिरफ़्तारी की जा सकती है. हालांकि, कानूनी प्रक्रिया लंबी होने के कारण दिक्कतें आती हैं और अपराधी इसी का फ़ायदा उठाते हैं. यही वजह है कि नेपाल बहुत से अपराधियों का सुरक्षित ठिकाना बन गया है.

ये भी पढ़ें: गुस्सा आने पर दरवाज़ा तो ख़ूब तेज़ी से बंद किया होगा, अब इसके पीछे की साइंस भी जान लो