जलियांवाला बाग़(Jallianwala Bagh) अमृतसर का वो बाग़ है जहां पर आज से 102 साल पहले स्वतंत्रता संग्राम का सबसे बड़ा नरसंहार हुआ था. ब्रिटिश अधिकारी जनरल डायर ने 13 अप्रैल 1919 में बड़ी ही क्रूरता से बेकसूर लोगों पर गोली चलाने का आदेश दिया था.

उन गोलियों के निशान आज भी जलियांवाला बाग़ की दीवारों पर मौजूद हैं. हाल ही में इस ऐतिहासिक स्मारक का नवीनीकरण हुआ है. जिसको लेकर विवाद हुआ है. चलिए जानते हैं आख़िर क्यों जलियांवाला बाग़ को लेकर इनती कॉन्ट्रोवर्सी हो रही है. 

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1. क्या हुए हैं बदलाव 

जलियांवाला बाग़ में मुख्य स्मारक की मरम्मत की गई है, शहीदी कुएं का जीर्णोद्धार किया गया है, नए पेंटिंग्स और मूर्तियां लगाई गई हैं. इसके साथ ही ऑडियो-विज़ुअल और थ्रीडी 3D तकनीक के जरिए नई गैलरियां बनाई गई हैं. फूलों का एक तालाब बनाया गया है और एक लाइट एंड साउंड शो भी शुरू किया गया है. 

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2. क्यों हो रहा विरोध 

स्मारक के नवीनीकरण के दौरान उस गली को भी बदला गया है जहां से होकर लोग बाग़ के अंदर जाया करते थे. पहले यहां दोनों तरफ सिर्फ़ साधारण और कोरी दीवारें थीं. अब इन दीवारों पर पेंट कर दिया गया है और इन पर लोगों की आकृतियां उकेर दी गई हैं, जिनमें लोग हंसते-मुस्कुराते दिख रहे हैं. साथ ही लोग कह रहे हैं कि ऐसे स्मारक में लाइट एंड साउंड शो नहीं होना चाहिए.

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3. क्या कहा विपक्ष ने 

कांग्रेस नेता राहुल गांधी और सीपीआई के नेता सीताराम येचुरी इसे शहीदों का अपमान बताया है. 

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4. क्या कहते हैं इतिहासकार 

बहुत से इतिहासकारों ने इस स्मारक के सौंदर्यीकरण पर चिंता व्यक्त की है. उनका कहना है कि ये स्मारक भयावह त्रासदी और अंग्रेज़ों द्वारा भारतीयों के क्रूर दमन प्रतीक है. उन्होंने इसे इतिहास को मिटाने जैसा बताया है. उनका मानना है कि ऐसा करने से स्मारकों की विरासत का मूल्य नष्ट हो जाता है.   

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5. क्या कहती है सरकार  

केंद्र सरकार ने इसका सौंदर्यीकरण करवाया है. उनका कहना है कि इस दौरान किसी भी ऐतिहासिक वस्तू, पेंटिंग या अन्य किसी चीज़ को नुक़सान नहीं पहुंचाया गया है. बीजेपी से राज्य सभा के सदस्य और जलियांवाला बाग़ के ट्रस्ट के ट्रस्टियों में से एक श्वेत मलिक ने कहा कि दीवारों पर बनाई गई ये आकृतियां वहां आने वालों से उनका परिचय कराएंगी जो हत्याकांड के दिन बाग़ में मौजूद थे और मारे गए थे. उन्होंने बताया कि पहले लोग इस तंग गली का इतिहास जाने बिना यहां आया करते थे, लेकिन अब जब लोग वहां चलेंगे तो इतिहास के साथ साथ चलेंगे. 

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6. पहले भी हो चुका है रेनोवेशन

जलियांवाला बाग़ के ट्रस्ट के रिकॉर्ड के मुताबिक, पहली बार इसका रेनोवेशन 1957 में हुआ था. 1960 में जब काम पूरा हुआ तो ये तंग गली पहले वाले स्वरूप में काफ़ी अलग हो गई थी.

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