Why Trains Have Generator Cars: हमारे देश की लगभग 80% जनता ट्रेन से सफ़र करती है. छुक-छुक चलती ट्रेन में ट्रैवल करने का अपना ही एक अलग़ मज़ा है. प्लेटफॉर्म पर ट्रेन का वेट करना, खिड़की से हरे-भरे पेड़ और मौसम के बदलते नज़ारे देखना, आसपास वाले यात्रियों की मज़ेदार बातचीत सुनना, चायवाले को हर स्टेशन पर ‘चाय चाय’ चिल्लाते देखना वगैरह, वगैरह. ट्रेन में ट्रैवल करने के दौरान का हर एक्सपीरियंस बेहद यादगार होता है. यही वजह है कि अपने फ़ेवरेट ट्रांसपोर्ट के बारे में लोग हर छोटी से छोटी चीज़ जानने के लिए उत्सुक रहते हैं. क्या आप जानते हैं कि कुछ ट्रेनों में जनरेटर भी लगा होता है? 

अब आप सोच रहे होंगे कि ट्रेन तो कोयले से चलती है, तो इसमें जनरेटर (Why Trains Have Generator Cars) लगे होने का क्या लॉजिक है. तो आइए आपको बताते हैं कि ट्रेन में जनरेटर कार क्यूं लगी होती है?

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हर ट्रेन में नहीं होती जनरेटर कार

दरअसल, हर ट्रेन में ‘जनरेटर कार’ नहीं लगी होती है. लेकिन कुछ ट्रेनों में जनरेटर होता है. जिस ट्रेन में LHB यानी लोड जनरेशन सिस्टम कोच इस्तेमाल होता है, उसमें जनरेटर कार लगाया जाता है. मतलब जितनी भी ट्रेन में LHB कोच यूज़ इस्तेमाल होंगे उसमें ‘जनरेटर कार’ का प्रयोग किया जाएगा.

क्यों पड़ती है ‘जनरेटर कार’ की ज़रूरत? 

पहले के ICF (इंटीग्रल कोच फैक्ट्री) कोच में बिजली की सप्लाई कोच के नीचे लगा अल्टरनेटर देता है. इस कोच को सेल्फ़ पॉवर जनरेटिंग कोच भी कहा जाता है. मगर LHB कोच में ख़ुद से पॉवर जनरेट करने की व्यवस्था नहीं होती है. इस पूरी ट्रेन में पॉवर की सप्लाई देने के लिए ‘जनरेटर कार’ का होना ज़रूरी है. एक ट्रेन में अगर ‘जनरेटर कार’ से काम नहीं बन पाता है, तो इमरजेंसी के लिए उसमें स्टैंड-बाई पॉवर कार भी लगानी पड़ती है. इस तरह हर LHB कोच के पीछे और आगे एक पॉवर कार लगी होती है. इस सिस्टम को एंड-ऑन जनरेशन कहा जाता है. 

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ट्रेनों में पैंट्री कार का क्या है रोल?

पैंट्री कार को रेलवे प्रणाली का सबसे अहम हिस्सा माना जाता है. यहीं से यात्रियों के लिए भोजन के इंतज़ामात किए जाते हैं. सरल शब्दों में समझें, तो यात्रियों की सुविधा के लिए खाने-पीने के सामान रखने के स्थान को पैंट्री कार कहा जाता है. आजकल तो ‘पैंट्री कार’ में स्टोर की सुविधा भी दी गई है. 

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किन ट्रेनों में होती है ‘पैंट्री कार’ की सुविधा?

कम दूरी की ट्रेनों में ‘पैंट्री कार’ नहीं होती है. जिन ट्रेनों का सफ़र 4 से 6 घंटों का ही है, उनमें ये सुविधा आपको नहीं मिलेगी. ये सुविधा सिर्फ़ लंबी दूरी की ट्रेनों में दी जाती है. इन ट्रेनों में एक्सप्रेस, राजधानी, पैसेंजर, शताब्दी आदि जैसी ट्रेन शामिल हैं. 

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