Why Train Wheels Are Made Of Metal: हमा अपने दैनिक जीवन में कई तरह के वाहनों का इस्तेमाल करते हैं. ये सभी वाहन अच्छी तरह से काम करने के लिए अलग़-अलग़ तरीक़े की टेक्नोलॉजी इस्तेमाल करते हैं. बस, ट्रक, कार और बाइक रोड पर चलती हैं. इस दौरान आपने गौर किया होगा कि इन सभी के टायर रबड़ के बने होते हैं. वहीं, ट्रेन (Train) और मेट्रो जो पटरी पर चलती हैं, उनमें मेटल के पहिये लगे होते हैं. क्या आपके मन में कभी ये ख्याल आया कि हम अलग़-अलग़ तरीक़े के ट्रांसपोर्ट में अलग़ पहिए क्यूं इस्तेमाल करते हैं?

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आइए आपको बताते हैं कि अलग़ ट्रांसपोर्ट के मोड में अलग़ तरीक़े के पहिए (Why Train Wheels Are Made Of Metal) क्यूं लगाए जाते हैं.

महत्वपूर्ण कारक जो पहियों की चॉइस को प्रभावित करते हैं

ट्रेन और कार के पहियों के बारे में बात करने से पहले हम कुछ महत्वपूर्ण कारकों को जान लेते हैं जो पहियों की चॉइस को प्रभावित करते हैं. किस तरह के पहिए एक ट्रांसपोर्ट में इस्तेमाल किए जाते हैं, उसका फ़ैसला लेने में इन कारकों का महत्वपूर्ण रोल होता है. आइए एक-एक करके इनके बारे में भी जान लेते हैं. 

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1. स्पीड

सभी वाहन अलग़-अलग़ स्पीड पर ट्रैवल करते हैं. एक वाहन की कितनी स्पीड है, उसके हिसाब से भी उसमें इस्तेमाल करने वाले पहियों का चयन किया जाता है.

2. घर्षण 

घर्षण (Friction) सबसे महत्वपूर्ण कारक है ये फ़ैसला करने में कि ट्रांसपोर्ट में किस तरह के पहिए इस्तेमाल होने चाहिए. घर्षण एक फ़ोर्स का रूप है. आमतौर पर रगड़ तब महसूस की जाती है, जब एक वस्तु किसी दूसरी वस्तु की सतह के संपर्क में आती है. हर वस्तु किसी दूसरी वस्तु की स्पीड के विपरीत दिशा में दूसरी वस्तु की सतह पर फ़ोर्स लगाती है. जितनी कम रगड़ होगी यानि संपर्क में आने वाली दो वस्तुएं जितनी स्मूथ होंगी, वो एक-दूसरे के ऊपर उतनी ही तेज़ी से मूव कर पाएंगी. 

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3. इलाका

हम जिस तरीक़े के भूभाग या इलाक़े में जा रहे हैं, हम उस हिसाब से भी अपना वाहन चूज़ करते हैं. अलग़-अलग़ भूभागों में अलग़ तरीक़े की ट्रांसपोर्ट चाहिए होते हैं और इस प्रकार विभिन्न प्रकार के पहियों की भी आवश्यकता होती है.

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ट्रेन को मेटल के पहिए क्यों चाहिए होते हैं?

ट्रेनों को हाई स्पीड से भारी मात्रा में भार ढोते हुए लंबी दूरी कवर करनी होती है. इसलिए हमें उन पहियों का इस्तेमाल करना होता है, जो इन सभी कंडीशन पर खरे उतरें. सबसे पहले ट्रेन के पहियों के लिए घर्षण मिनिमम होनी चाहिए. एक ट्रेन पटरी पर चलती है, जो पूरी तरह से समान और स्मूथ होती है. चूंकि इस रूट में कोई गड्ढे या छेद नहीं होते हैं, इसलिए ट्रेन का उद्देश्य हाई स्पीड बनाए रखना होता है.

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कोई भी ट्रेन तभी हाई स्पीड मेंटेन कर सकती है, जब पटरियों और उसके पहिये के बीच में कम घर्षण हो. ये टारगेट स्मूथ मेटल के पहिए बनाकर अचीव किया जाता है. पटरी और पहिए दोनों को मेटल का बनाया जाता है और ये एक-दूसरे के खिलाफ़ स्मूथ रहते हैं. ये घर्षण को काफ़ी हद तक कम कर देता है. ये भी देखा गया है कि स्टील के पहियों पर स्टील की पटरी इस्तेमाल करने पर घर्षण 85-90 प्रतिशत कम हो जाती है. 

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ट्रेन काफ़ी भारी होती हैं. रबर के पहियों को मूव करने के लिए काफ़ी ज़्यादा एनर्जी चाहिए होती है. अगर ट्रेन के पहिए रबर के बनाए जाते, तो उसके इंजन को ट्रेन को मूव करने के लिए काफ़ी एनर्जी की ज़रूरत होती, क्योंकि इसका वजन काफ़ी ज़्यादा होता है. जब किसी वस्तु का भार बढ़ता है, तब रगड़ भी बढ़ जाती है, जिससे रबड़ के टायर और भी अधिक रगड़ का कारण बनते हैं. 

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कार में रबड़ के पहिए क्यों इस्तेमाल किए जाते हैं?

ट्रेन के विपरीत कार एक ऐसा वाहन है, जो रोड पर ट्रैवल करता है. ऐसा कई बार होता है, जब हमें अपनी कार गाढ़ी मिट्टी और गड्ढों से भी निकालनी पड़ती है. कभी-कभी रोड असमतल भी होती है. इसकी पकड़ तभी मज़बूत होती है, जब वाहन के पहिए और भूभाग में ज़्यादा रगड़ हो. ये रगड़ रबड़ देती है. जिन सड़कों और ज़मीनों से वाहन गुजरते हैं, वे भी टायरों को लगातार नुकसान पहुंचाते हैं, लेकिन मेटल के पहियों को बार-बार बदलना बहुत महंगा पड़ता है. 

रबर के टायर बदलने में काफ़ी सस्ते होते हैं और टेस्टिंग कंडीशन में काफ़ी देर तक चलते हैं. कार को ब्रेक की भी ज़रूरत होती है और उनको ट्रेनों की तुलना में ज़्यादा बार ब्रेक लगाना और रुकना पड़ता है. इसलिए  के टायरों को शामिल करने से इसमें भी मदद मिलती है. चूंकि कारों को केवल एक निश्चित गति बनाए रखने की आवश्यकता होती है और वे ट्रेनों की तरह भारी नहीं होती हैं. रबड़ के टायर उन्हें स्पीड प्राप्त करने से नहीं रोकते हैं और इंजन की ऊर्जा को बर्बाद नहीं करते हैं, जैसा कि ट्रेनों के मामले में होता है. 

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अब समझे इसके पीछे का लॉजिक.