दुनिया की ‘World Lightest Satellite’ लॉन्च की गई है और इसे बनाने वाले कोई बड़े वैज्ञानिक नहीं, बल्कि चेन्नई के ‘Space Kidz India’ के 10वीं कक्षा के छात्रों ने मिलकर तैयार किया है और इसे 28 घंटे के काउंटडाउन के बाद गुरुवार रात 11.37 बजे प्रक्षेपित किया गया. PSLVC-44 का प्रक्षेपण साल 2019 का ISRO का पहला सफ़ल मिशन है. इनके अविष्कार को सराहते हुए भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान केंद्र यानि ISRO ने इस सैटेलाइट को बिना किसी क़ीमत के लॉन्च किया है.
Excited as the countdown has begun this evening at 19:37 (IST). Launch is scheduled for tomorrow i.e; 24th Jan at 23:37 (IST). #ISRO #Kalamsat #PSLVC44 https://t.co/4tjh7uOM39
— Space Kidz India (@SpaceKidzIndia) January 23, 2019
इस बात की आधिकारिक पुष्टि करते हुए, गुरुवार रात क़रीब 11 बजकर 37 मिनट पर श्रीहरिकोटा के सतीश धवन ने ISRO की ओर से TOI को बताया, स्पेस सेंटर से पोलर सैटेलाइट लॉन्च कलाम-सैट और माइक्रोसैट-आर का सफ़ल परीक्षण किया जा चुका है. गुरुवार को प्रक्षेपण के दौरान PSLVC-44 ने इन दो सैटेलाइट को लेकर उड़ान भरी, जिसके बाद ISRO ने इस प्रक्षेपण के सफ़ल होने की जानकारी दी. इस सफ़ल परीक्षण के बाद ISRO ने माइक्रोसैट-आर को उसकी वांछित कक्षा में स्थापित कर दिया है.

इसके अलावा, ISRO की ओर से ट्विटर पर एक तस्वीर के साथ ट्वीट करके इस बात की जानकारी दी गई.
#ISROMissions 🇮🇳 Mission Accomplished! 🇮🇳 Thank You for your support!#PSLVC44 #MicrosatR#KalamsatV2 pic.twitter.com/uNqK8vf74L
— ISRO (@isro) January 24, 2019
इस सैटेलाइट लॉन्च के बाद देश के सभी प्रतिभाशाली छात्रों को संबोधित करते कहा गया, ‘ISRO देश के सभी छात्रों की प्रतिभा को सलाम करता है और उनके लिए हमेशा उपलब्ध है.

वहीं पीएम नरेंद्र मोदी ने भी वैज्ञानिकों को PSLVC के इस सफ़ल लॉन्च के लिए अपनी शुभकामनाएं दीं.
Heartiest congratulations to our space scientists for yet another successful launch of PSLV.
This launch has put in orbit Kalamsat, built by India’s talented students.— Narendra Modi (@narendramodi) January 25, 2019
आपको बता दें, कि भारतीय छात्रों द्वारा बनाई गई कलाम-सैट सैटेलाइट का नाम पूर्व राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम के नाम पर रखा गया है. सबसे छोटा सैटेलाइट होने के साथ-साथ ये एक कम्यूनिकेशन सैटेलाइट है, जिसे सिर्फ़ 12 लाख रुपये में तैयार किया गया है.

इससे पहले 2018 में ISRO ने कई उपग्रहों को सैटेलाइट लॉन्च वीकल की मदद से अंतरिक्ष में स्थापित किया था.