हर साल की तरह ये वो वाला समय है ‘बारिश’ का!  

लोग कहते हैं बारिश प्यार का मौसम है. मैं पूछना चाहती हूं, क्या प्यार भाई? कौन सा प्यार जता लेते हो? चारों-तरफ़ आ रही बदबू और सड़कें जिसमें पानी ज़्यादा और सड़क कम है. उसमें तुम लोगों को क्या अच्छा दिखता है? 

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बारिश शुरू होते ही दो चीज़ें बिजली और टीवी का कनेक्शन सबसे पहले आपसे विदा ले लेता है.  

शुरू में तो बारिश की बूंदें जैसे ही पड़ती हैं तो सब खिड़की पर मिट्टी की सौंधी ख़ुशबू लेने पहुंच जाते हैं. मगर जल्द ही उन्हें कपड़े और घर के उन कोनों के बारे में ध्यान आ जाता है जहां से पानी टपक सकता है. अब बाल्टी, टब, किचन से लाए हुए बर्तन उनकी-उनकी निर्धारित जगह पर तैनात कर दिए जाते हैं.  

अगर आप ऑफ़िस जाने वाले व्यक्ति हैं तो मुबारक हो, न तो आपको आज कैब मिलेगी न ही मेट्रो आपको समय पर पहुंचाएगी.  

अगर कोई ऑटो मिल गया तो 50 की जगह 150 रूपए देने के लिए तैयार हो जाइए. उस पर भी पूरे रास्ते अपने बैग और ख़ुद को ऑटो के अंदर आने वाली बारिश की बौछारों से बचाते रहना.   

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यदि आप बारिश में पैदल चल के कहीं जा रहे हैं तो भाई, आपने बहुत स्ट्रगल किया है. कितना भी कोशिश कर लो जनाब कोई न कोई गाड़ी वाला आपके साथ कीचड़ की होली ज़रूर खेलेगा. (क्या हुआ इसे ही तो रोमांटिक कहते हैं.) 

और कितना मज़ा आता है न सड़कों पर भरे पानी के बीच रखे हुए उन एक-दो पत्थरों पर बचते-बचते जाना. (अत्यंत प्यारा)  

यदि आप लड़की हैं तो बाइक पर गेड़ियां मार रहे आवारा लड़के आपको छेड़ने का एक भी मौका नहीं छोड़ते. वैसे भी सामान्य दिनों में हम लड़कियों को अपने कपड़ों को लेकर कम टिप्पणियां सुननी पड़ती हैं की बारिश का मौसम उस पर चार चांद लगा देता है.  

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इधर-उधर का कूड़ा सड़कों नालों से बह कर सड़कों की तरफ आ जाता है. प्रदूषण में मिले बदबू से लैस हवा, इस मौसम को और सुंदर बना देती है.  

मतलब भाई, ऑफ़िस में बाहर जाकर 10 मिनट का जो ब्रेक आप लेते हैं वो भी छिन जाता है.  

हर चीज़ में नमी और चिप-चिपापन हो जाता है. 

मैं बता रही हूं कुछ रोमांटिक नहीं है, फ़ेसबुक और इंस्टाग्राम में बादल और बारिश की फ़ोटो खींच कर डालने को प्यार समझने वालों. हम सबको दिख रहा है बारिश हो रही है. सस्ती फ़ोटोग्राफ़ी को प्यार का नाम देना बंद करो क्योंकि थोड़ी देर बाद आप ही लोग हैं जो बोलते हैं, ‘यार, ये बारिश कब ख़त्म होगी?’