भारत कहने को तो एक महान देश है, पर मैं नहीं मानती… क्यों क्योंकि जिस देश में बड़े-बड़े मंचों पर, चुनावी रैलियों में, महिला सशक्तिकरण की डिबेटों में, तो एक औरत को देवी का दर्ज़ा दिया जाता है, उसी देश में उसकी सुरक्षा मुद्दा नहीं बनता, बल्कि उसकी सुरक्षा से ज़्यादा एक पीपल के पेड़ की सिक्योरिटी मायने रखती है.

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इन दिनों यूपी की वाराणसी पुलिस एक अनोखा काम कर रही है. करीब पिछले 15 दिनों से वाराणसी पुलिस 24*7 पीपल के पौधे की सुरक्षा कर रही है. इतना ही नहीं इस पौधे की निगरानी के लिए सीसीटीवी कैमरे भी लगाए गए हैं. पीपल के पौधे की सुरक्षा के लिए 4 सिपाही तैनात हैं. इसका कारण ये है कि कुछ असामाजिक तत्व बार-बार इस पौधे को उखाड़ दे रहे थे, इसलिए लोगों ने पुलिस से इसकी सुरक्षा की गुहार लगाई. और पुलिस की मुस्तैदी देखिये बिना वक़्त गवाए, बिना पलक झपकाए उसकी सुरक्षा कर रहे हैं. दरअसल, बनारस के एक इलाके में हिन्दू-मुसलमान पीपल के पौधे को लेकर भीड़ रहे हैं. क्योंकि दंगे का डर है. भले ही लोग और पुलिस इसके लिए अनेकों तर्क क्यों न दे. पर यहां सवाल ये है कि क्या इस शहर की बाकी सारी समस्याएं हल हो गई हैं?

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मगर मेरा सवाल ये भी है कि इतनी मुस्तैदी से प्रदेश में लड़कियों की सुरक्षा के कदम क्यों नहीं उठाये जा रहे हैं?

ये सवाल सिर्फ़ प्रदेश नहीं, बल्कि देश की पूरी पुलिस फ़ोर्स और समाज के तथाकथित ठेकेदारों और समाज के हर इंसान से है कि लड़कियों की सुरक्षा क्या आपके लिए मायने नहीं रखती? हरियाना के रेवाड़ी में एक गैंगरेप होता है और सरकार असम्वेदसनशीलता से उस लड़की की मां को एक चेक थमा देती है. इंसाफ़ दिलाने के बजाए सरकार उसकी इज़्ज़त की कीमत तय करती है.

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जब वो शिकायत दर्ज कराने जाते हैं, पुलिस के मुंह में दही और और हाथों में मेहंदी लग जाती है. उस मासूम लड़की के गुनहगार खुलेआम घूमते हैं क्योंकि उनको कोई डर ही नहीं.

अभी हाल ही में सोशल मीडिया पर एक वीडियो वायरल हो रहा था, जिसमें एक परिवार अपनी 3 साल की बच्ची के साथ हुए यौन शोषण के लिए आरोपियों को सज़ा देने की अपील कर रहे हैं. बच्ची का स्कूल में कई दिनों से शारीरिक शोषण किया जा रहा था और किसी को पता नहीं चला. परिवार के लोगों ने ये तक बोला कि एक-दो बार तो ऐसा भी हुआ कि जब वो स्कूल से घर आई तो उसकी पैंटी नहीं होती थी और व दर्द की शिकायत करती थी. स्कूल प्रशासन से इस बारे में पूछने पर कोई जवाब तक नहीं मिलता. क्यों इतने छोटे बच्चों के लिए तो स्कूल में आया होती है, उसके रहते ऐसा कैसे हो गया? जवाब है?

इस देश में लड़कियों की सुरक्षा के नाम पर कुछ नहीं किया जाता है, लेकिन एक पीपल के पेड़ के लिए सिपाही तैनात हैं. स्कूल में बच्चों के साथ बलात्कार हो जाता है और सिस्टम सो जाता है लेकिन एक राजनेता का कुत्ता या बिल्ली गायब हो जाए तो शहर छान लिया जाता है.

पीपल के पौधे से मुझे शिकायत नहीं, बल्कि जलन है. उसको वो मिल रहा है, जो इस देश की बेटियों को मिलनी चाहिए, इज़्ज़त, सुरक्षा और आज़ादी.