ज़िन्दगी, एक जैसी नहीं होती. आज अगर सब कुछ है, तो हो सकता है कल कुछ न हो. आज अगर हम ग़मगीन हैं, तो कल ख़ुशियां आनी ही है. वक़्त के पहिये के आगे हम सब मजबूर हो जाते हैं, क्योंकि वक़्त किसी के लिए नहीं रुकता.

मुश्किल वक़्त में कई बार हमारे इरादे कमज़ोर पड़ने लगते हैं और हमारा झुकाव हार की तरफ़ हो जाता है. पर ऐसे ही वक़्त में ख़ुद को संभालने की सबसे ज़्यादा ज़रूरत पड़ती है. ख़ुद को संबल देने के लिए हम दूसरों का सहारा लेते हैं, पर दूसरों से अपने ग़मों और परेशानियों को बांटना हमेशा कारगर नहीं होता.

ऐसे में कुछ लफ़्ज़ ही काफ़ी होते हैं हमारा हौसला-अफ़ज़ाई करने के लिए.

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